उन्होंने शनिवार को पत्रकारों से कहा कि कोरोना वायरस के प्रसार की वजह से पिछले चार महीने से आय का कोई स्रोत नहीं है। जिसके परिणाम स्वरूप मां के पास रखी अपनी बचन निकाली और जमा कराने के लिए बैंक लेकर गया। जिसके बाद बैंक अधिकारियों ने बताया कि यह नोट काफी पहले बंद हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने और उनकी पत्नी ने नजदीकी अंथीयूर और आसपास के इलाकों में दस साल से अधिक समय तक अगरबत्तियां और कपूर बेचकर यह बचत की थी। इस प्रकार से हर सप्ताह अपनी मां को बचत के लिए कुछ पैसा दिया करते थे। जिसे वह अपने पास सुरक्षित रख लिया करती थी।
नियमित अंतराल पर इसे 500 और एक हजार के नोटों में बदलवा लेते थे। उन्होंने कहा कि हम तीनों को नोटबंदी के बारे में कुछ भी पता नहीं था। नोटबंदी की जानकारी के बाद मैने मुख्यमंत्री एडपाडी के. पलनीस्वामी को एक ज्ञापन भेजकर मदद का अनुरोध किया है। उनकी समस्याओं को जानने के बाद कलक्टर ने अपने पास से उन्हें 25 हजार देने का वादा किया था। वादे के मुताबिक राजस्व अधिकारी पति पत्नी को कलक्टर कैंप लेकर आए जहां पर कलक्टर ने उन्हें 25 हजार का चेक दिया। साथ ही कलक्टर के निर्देशानुसार पुराने नोटो को जिला कोषागार को सौंप दिया गया। उल्लेखनीय है कि पिछले साल तिरुपुर जिले से भी ऐसा ही मामला सामने आया था, जहां दो बुजुर्ग बहनों को पता चला था कि उनकी 46 हजार रूपए की जीवन भर की बचत एक हजार और पांच सौ के चलन से बाहर हो चुके नोटो में है।