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24 हजार के पुराने नोट लेकर बैंक में जमा करने पहुंचे दृष्टिबाधित पति-पत्नी

locationचेन्नईPublished: Jul 13, 2020 05:20:01 pm

Submitted by:

Vishal Kesharwani

जिले में अगरबत्ती बेचने वाले दृष्टिबाधित पति पत्नी उस समय स्तब्ध रह गए जब उन्हें पता चला कि उन्होंने मेहनत की कमाई से जो 24 हजार रूपए बचाए थे वे 1 हजार और 500 रूपए के चलन से बाहर हो चुके नोट हैं।

24 हजार के पुराने नोट लेकर बैंक में जमा करने पहुंचे दृष्टिबाधित पति-पत्नी

24 हजार के पुराने नोट लेकर बैंक में जमा करने पहुंचे दृष्टिबाधित पति-पत्नी


-जिला कलक्टर ने दिया 25 हजार का चेक
इरोड. जिले में अगरबत्ती बेचने वाले दृष्टिबाधित पति पत्नी उस समय स्तब्ध रह गए जब उन्हें पता चला कि उन्होंने मेहनत की कमाई से जो 24 हजार रूपए बचाए थे वे 1 हजार और 500 रूपए के चलन से बाहर हो चुके नोट हैं। हालांकि उनकी समस्याओं को गंंभीरता से लेते हुए जिला कलक्टर सी. कादिरवन ने सोमवार को 25 हजार का चेक प्रदान कर उनकी मदद की। अंतियूर के पोथियामोपनूर निवासी के. सोमू (54) ने दावा किया कि उन्हें नवंबर 2016 में हुई नोटबंदी के बारे में शुक्रवार को उस वक्त पता चला जब वे अपनी और अपनी पत्नी पलनीअम्मल की बचत की रकम बैंक में जमा कराने गए थे।

 

उन्होंने शनिवार को पत्रकारों से कहा कि कोरोना वायरस के प्रसार की वजह से पिछले चार महीने से आय का कोई स्रोत नहीं है। जिसके परिणाम स्वरूप मां के पास रखी अपनी बचन निकाली और जमा कराने के लिए बैंक लेकर गया। जिसके बाद बैंक अधिकारियों ने बताया कि यह नोट काफी पहले बंद हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने और उनकी पत्नी ने नजदीकी अंथीयूर और आसपास के इलाकों में दस साल से अधिक समय तक अगरबत्तियां और कपूर बेचकर यह बचत की थी। इस प्रकार से हर सप्ताह अपनी मां को बचत के लिए कुछ पैसा दिया करते थे। जिसे वह अपने पास सुरक्षित रख लिया करती थी।

 

नियमित अंतराल पर इसे 500 और एक हजार के नोटों में बदलवा लेते थे। उन्होंने कहा कि हम तीनों को नोटबंदी के बारे में कुछ भी पता नहीं था। नोटबंदी की जानकारी के बाद मैने मुख्यमंत्री एडपाडी के. पलनीस्वामी को एक ज्ञापन भेजकर मदद का अनुरोध किया है। उनकी समस्याओं को जानने के बाद कलक्टर ने अपने पास से उन्हें 25 हजार देने का वादा किया था। वादे के मुताबिक राजस्व अधिकारी पति पत्नी को कलक्टर कैंप लेकर आए जहां पर कलक्टर ने उन्हें 25 हजार का चेक दिया। साथ ही कलक्टर के निर्देशानुसार पुराने नोटो को जिला कोषागार को सौंप दिया गया। उल्लेखनीय है कि पिछले साल तिरुपुर जिले से भी ऐसा ही मामला सामने आया था, जहां दो बुजुर्ग बहनों को पता चला था कि उनकी 46 हजार रूपए की जीवन भर की बचत एक हजार और पांच सौ के चलन से बाहर हो चुके नोटो में है।

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