विवेक से बनाई गई नीति देती है सफलता
चेन्नईPublished: Oct 17, 2018 09:00:34 pm
चेन्नई. कोंडीतोप स्थित सुंदेशा मूथा भवन में आचार्य पुष्पदंत सागर ने कहा कि स्वर्णकार सोने से आभूषण बनाता है , मूर्तिकार मिट्टी से मूर्ति बनाता है और चित्रकार रंगों से चित्र प्रकट करता है।
विवेक से बनाई गई नीति देती है सफलता
चेन्नई. कोंडीतोप स्थित सुंदेशा मूथा भवन में आचार्य पुष्पदंत सागर ने कहा कि स्वर्णकार सोने से आभूषण बनाता है , मूर्तिकार मिट्टी से मूर्ति बनाता है और चित्रकार रंगों से चित्र प्रकट करता है। साधक तपस्वी साधना से परमात्मा को प्रकट करता है। सच्चा परमात्म प्रेम प्रकट हो जाए तो वह अपनी आत्मा को जान जाता है। परमात्मा की गरिमा- महिमा को जान जाता है। भक्त तो प्रतिकूलता में भी अनुकूलता का अनुभव करता है। परमात्मा सर्वकालिक है। सच्चा साधक कभी भी निज आत्म का अनुभव कर सकता है। तुम्हारी नवरात्रि की साधना में प्राणी के प्रति प्रेम बढ़े तो साधना सार्थक है नहीं तो समझना समय व्यर्थ गंवाया है। जिसे जीवन में आगे बढऩा है वो पहले अनीति से नीति में और फिर अतिनीति में आए। विवेक से बनाई गई नीति जीवन में सफलता का कारण है। सांसारिक नीति से उठकर धर्मनीति में आना सम्यक है। संप्रदायों ने आदमी को संकुचित बना दिया है। धन अधिक, सुख कम। सामग्री अधिक इच्छा कम। विषाद अधिक स्वास्थ्य कम, परिचय अधिक रिश्तों में मिठास कम। यह भौतिकता की देन है। अगर आप सुखी बनना चाहते हो तो याद रखो सुख धर्म से मिलता है, धन से नहीं।