यहां जारी एक विज्ञप्ति में रामदास ने कहा मुख्यमंत्री को अच्छे से पता है कि अगर शराब की दुकाने खोली गई तो मामलों में एक बार फिर से तेजी से वृद्धि होगी। पिछले साल जून में शराब की दुकानों को खोलने के विरोध में स्टालिन ने स्वयं ही प्रदर्शन किया था। मै जानना चाहता हूं कि क्या मुख्यमंत्री पर शराब की दुकानों को खोलने को लेकर दबाव डाला गया? इस पर उन्हें स्पष्टीकरण देनी चाहिए।
रामदास ने कहा सभी पार्टी के विधायकों को शामिल करते हुए एक सलाहकार समिति का गठन किया गया है, लेकिन समिति की अब तक सिर्फ एक बार बैठक हुई है। लॉकडाउन में रियायत प्रदान करने से पहले समिति के साथ विचार विमर्श क्यों नहीं किया गया? विशेषकर शराब की दुकानों को खोलने की अनुमति देने से पहले तो समिति का विचार जानना चाहिए था। इस प्रकार से डीएमके सरकार किस तरह की पारदर्शिता दिखा रही है? उन्होंने कहा कि शराब की दुकानों को खोलने के बजाय राजस्व उत्पन्न करने के कई अन्य तरीके भी हैं और सरकार चाहे तो पीएमके अपना सुझाव देने को भी तैयार है। रामदास ने राज्य में पूर्ण शराब बंदी की मांग को दोहराया और राजस्व उत्पन्न करने के लिए अन्य विकल्पों की ओर बढऩे का आग्रह किया।
इससे पहले ट्वीट कर पीएमके युवा विंग के नेता अंबुमणि रामदास ने केंद्र और राज्य सरकार से पेट्रोल और डीजल से 10 से 20 रूपए तक उत्पाद शुल्क में कटौती करने की अपील की। उन्होंने कहा कि राज्य के कुछ हिस्सों में पेट्रोल के दाम 100 रूपए के आसपास पहुंच रहे हैं और डीएमके सरकार ने दामों में कटौती करने के अपने चुनावी वादों को भी पूरा नहीं किया। ऐसी परिस्थिति में लॉकडाउन की वजह से परेशान लोगों की परेशानियां और भी बढ़ेगी। लोगों की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए सरकार को तत्काल प्रभाव से कदम उठाते हुए दामों में कटौती करनी चाहिए।