कई फैक्ट्रियों के मालिकों ने मौका देख कर दूषित पानी भी नदी में छोड़ दिया आखिर किसानों की मांग पर एक बारगी दूषित पानी को नदी में बहाने पर तो रोक लग गई, लेकिन पिछले तीन दिन की बारिश से नदी बहने लगी तो कई फैक्ट्रियों के मालिकों ने मौका देख कर दूषित पानी भी नदी में छोड़ दिया। शुक्रवार को एक बार फिर लोगों ने प्रशासन से फैक्ट्री मालिकों को पाबंद करने व दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है। उल्लेखनीय है कि दो साल पहले एक गैर सरकारी संगठन ने इसकी सफाई का बीड़ा उठायाथा। समाज सुधारक अन्ना हजारे के हाथों से इस कार्यक्रम की शुरुआत की गई पर काम कहीं दिखाईनहीं देता। नदी के किनारे के आस-पास के क्षेत्रों में अवैध कब्जा व औद्योगिक प्रदूषणबढ़ता जा रहा है।पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि पश्चिमी घाट से निकलनी वाली इस नदी का केवल दस किलोमीटर तक का ही हिस्सा साफ कहा जा सकता है। जिन शहर गांवों के पास से नदी बहती है वहां का कचरा इसके ही हवाले कर दिया जाता है। सेलवापुरम से नदी का प्रवाह कम होता जा रहा है। कोयम्बत्तूर व तिरुपुर इलाके में नदी को सबसे अधिक गंदगी का सामना करना पड़ता है। कहने को तो राज्य सरकार भी नदी व झीलों की सफाई के लिए योजनाएं बनाती रही है पर वे सब कागजों में ही रह जाती है।