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व्यावसायिक गतिविधियों से बढ़ा जल संकट

locationचेन्नईPublished: Jun 19, 2019 03:10:21 pm

Submitted by:

shivali agrawal

Rajsthan Patrika का campaign अमृतं जलम्
– sowcarpet,chennai के बद्रीयन गार्डन लेन स्थित श्री जावंतराज तेजराज सुराणा जैन विद्यालय एवं जूनियर कॉलेज में आयोजित कार्यक्रम-students ने भी बताई जल की महत्ता

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व्यावसायिक गतिविधियों से बढ़ा जल संकट

चेन्नई. यदि पृथ्वी से जल समाप्त हो गया तो कोई भी जीव-जन्तु जीवित नहीं रह पाएगा। यह अत्यंत ही चिंता का विषय है कि मनुष्य ने अपनी व्यावसायिक गतिविधियों के द्वारा पृथ्वी पर जल संकट पैदा कर दिया है।
श्री सीरवी समाज वडेर साहुकारपेट के पूर्व सचिव मांगीलाल सीरवी ने यह बात कही। वे मंगलवार को राजस्थान पत्रिका के महाभियान अमृतं जलम् कार्यक्रम के तहत आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहे थे। साहुकारपेट के बद्रीयन गार्डन लेन स्थित श्री जावंतराज तेजराज सुराणा जैन विद्यालय एवं जूनियर कॉलेज में आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि हमारे जीवन में जल का बहुत महत्व है। बिना जल के कुछ भी संभव नहीं है। जल के बिना मनुष्य के जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है। यहां तक कि पशु-पक्षी, कीडे-मकौड़े एवं अन्य जीव-जंतुओं के जीवन यापन के लिए पानी का बहुत महत्व है। सौरमंडल में जितने भी ग्रह हैं उन सबमें अनोखा ग्रह पृथ्वी है। चूंकि पृथ्वी पर जल पाया जाता है। जल के कारण ही पूरी सृष्टि का विकास हुआ है। सभी जीव-जंतुओं एवं पेड़-पौधों के लिए जल आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि तमिलनाडु सरकार ने कई सालों से एक कानून बना रखा है कि हर घर में बारिश के पानी को व्यर्थ जाने के बजाय धरती में उतारने के लिए पाइप लगाना अनिवार्य है अन्यथा उस घर को बिजली तथा पानी का कनेक्शन नहीं दिया जाए। जल को साफ करने के लिए उसमें थोड़ी सी फिटकरी डालनी चाहिए जिससे उसमें पाए जाने वाला कचरा अलग हो जाता है। यदि जल दूषित हो तो उसे उबालकर पीना चाहिए जिससे उसके सभी बैक्टिरिया मर जाएं। सीरवी ने कहा कि मनुष्य के शरीर में 65 से 80 फीसदी तक जल पाया जाता है। रक्त में 7 प्रतिशत जल होता है। स्वस्थ रहने के लिए हमें साफ और शुद्ध जल का सेवन करना चाहिए। दूषित जल पीने से पीलिया, गैस, संक्रामक रोग, चेचक, दस्त जैसी बीमारियां हो जाती हैं। दस्त लगने से शरीर में पानी की कमी हो जाती है जिसे डिहाइड्रेशन कहते हैं और ओआरएस का घोल पिलाकर मरीज के शरीर में पानी की मात्रा को बढ़ाया जाता है। सीरवी ने कहा कि जल एक कीमती संसाधन है। इसे व्यर्थ में बर्बाद नहीं करना चाहिए। आवश्यकता के अनुसार ही पानी का इस्तेमाल करना चाहिए।
प्राचार्य जे. स्वर्णलता ने कहा कि हमें जल का संरक्षण करना चाहिए। मनुष्य के लिए जल ही जीवन है। पृथ्वी से जल तेजी से खत्म हो रहा है और ऐसे में हमें समय रहते सचेत हो जाना चाहिए। हमें पानी को संरक्षित करने की दिशा में काम करने की जरूरत है। बच्चों को पानी की महत्ता के बारे में बचपन से बताया जाना चाहिए।
स्कूल की छात्रा लक्षन्या, एम. मित्रश्री एवं लक्ष्य ने भी पानी की महत्ता के बारे में विचार व्यक्त किए।
प्रारम्भ में राजस्थान पत्रिका के मुख्य उप संपादक अशोकसिंह राजपुुरोहित ने राजस्थान पत्रिका के महाभियान अमृतं जलम् के बारे में जानकारी दी।

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