water scarcity in chennai : पानी छोडऩे को लेकर कर्नाटक पर दबाव बनाए डीएमके और कांग्रेस
चेन्नईPublished: Jul 02, 2019 12:09:10 pm
विधानसभा सत्र Assembly session के दौरान सोमवार को राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी डीएमके DMK समेत अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों ने मुख्यमंत्री CM एडपाडी के. पलनीस्वामी के नेतृत्व वाली सरकार government पर जल संकट water scarcity से निपटने के लिए कोई कदम नहीं उठाने का आरोप लगाया।
water scarcity in chennai : पानी छोडऩे को लेकर कर्नाटक पर दबाव बनाए डीएमके और कांग्रेस
-विधानसभा सत्र में डीएमके ने उठाया जल संकट का मुद्दा
चेन्नई. विधानसभा सत्र Assembly session के दौरान सोमवार को राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी डीएमके DMK समेत अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों ने मुख्यमंत्री CM एडपाडी के. पलनीस्वामी के नेतृत्व वाली सरकार government पर जल संकट water scarcity से निपटने के लिए कोई कदम नहीं उठाने का आरोप लगाया। प्रश्नकाल के दौरान डीएमके अध्यक्ष एम.के. स्टालिन ने कहा कि महानगर के चार मुख्य जलाशय पूरी तरह से सुख चुके हैं लेकिन राज्य सरकार का ध्यान इस ओर नहीं है। महानगर की प्यास मिटाने वाले जलाशयों के सूख जाने के बाद भी सरकार के उदासीन रवैये के कारण ही लोगों को खाली बर्तन लेकर पानी के लिए इधर-उधर भटकना पड़ रहा है।
स्टालिन ने कहा कि वेलूर के जोलारपेट से पानी लाने की योजना सराहनीय है लेकिन यह अस्थाई समाधान होगा। सरकार को स्थाई समाधान निकालने के लिए कदम उठाना चाहिए। उन्होंने कहा कि गत फरवरी में विधानसभा सत्र के दौरान भी जल संकट के मुद्दे पर सरकार को कदम उठाने के लिए चेताया गया था। नीति आयोग की बैठक में भी जल संकट के मुद्दे पर चर्चा की गई। महानगर में जल संकट इस कदर गहरा गया है कि मेट्रो वाटर सर्विस में पानी की आपूर्ति के लिए ऑनलाइन बुकिंग करने के बावजूद भी भी लोगों को महीनों तक पानी नहीं मिल पा रहा है।
उन्होंने रामनाथपुरम और तुत्तुकुड़ी समेत अन्य जगहों पर विलवणीकरण संयंत्र लगाने की प्रस्तावित योजना में विफल होने को लेकर मुुख्यमंत्री की निंदा भी की। विलवणीकरण प्लांट योजना अभी भी लंबित है जो सरकार की विफलता को दर्शाती है। जल संचय के लिए किसी प्रकार का प्रबंध भी नहीं किया गया है।
जल संकट को लेकर स्टालिन के सवालों के जबाव में मुख्यमंत्री ने कहा कि डीएमके और कांग्रेस को कर्नाटक सरकार से बातचीत कर पानी छोडऩे का आग्रह करना चाहिए, क्योंकि कांग्रेस का जेडीएस के साथ और डीएमके का कांग्रेस के साथ गठबंधन है। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु में सूखे की वजह से भूजल स्तर काफी गिर चुका है। उसके बावजूद सरकार जलापूर्ति के लिए पर्याप्त कदम उठा रही है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट और कावेरी वाटर रेगुलेशन कमेटी (सीडबल्यूआरसी) के निर्देशों के बाद भी कर्नाटक सरकार द्वारा पानी नहीं छोड़ा जा रहा है। लेकिन कांग्रेस के नेताओं ने कर्नाटक सरकार से कोई बातचीत नहीं की।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी ने कर्नाटक में अपने चुनावी अभियान के दौरान कहा था कि अगर केंद्र में उनकी सरकार बनी तो कावेरी के चारों ओर मेकेडाटू बांध का निर्माण कराया जाएगा। साथ ही सीडबल्यूआरसी को भंग करने की भी बात कही थी। ऐसे में डीएमके और कांग्रेस ने राहुल की इस टिप्पणी का विरोध क्यों नहीं किया? इसके जबाव में कांग्रेस सदस्य रामासामी ने कहा कि पड़ोसी राज्य से पानी छोडऩे को कहने का अधिकार सरकार का है। इस काम के लिए एक कमेटी का भी गठन करना चाहिए, जिसका विपक्षी दलों द्वारा समर्थन किया जाएगा। नगर प्रशासन मंत्री एस.पी. वेलुमणि ने कहा कि जल संकट को देखते हुए वर्तमान में १५, ५८४ करोड़ की लागत से १ लाख २५ हजार १२३ जल स्रोत पर कार्य चल रहा है।