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चेन्नई

water scarcity in chennai : पेयजल के प्रति गंभीर नहीं सरकार

जहां महानगर chennai जलसंकट water scarcity से परेशान है वहीं मौजूदा सरकार government इस संकट के प्रति अभी भी लापरवाह बनी हुई है। सरकार जलसंकट water scarcity से उबरने के लिए कोई ऐसा प्रयास नहीं कर रही है जिससे यह पता चले कि सरकार वाकई आमजन के प्रति गंभीर है।

चेन्नईJul 02, 2019 / 01:04 pm

shivali agrawal

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water scarcity in chennai : पेयजल के प्रति गंभीर नहीं सरकार

चेन्नई. जहां महानगर Chennai जलसंकट water scarcity से परेशान है वहीं मौजूदा सरकार government इस संकट के प्रति अभी भी लापरवाह बनी हुई है। सरकार जलसंकट water scarcity से उबरने के लिए कोई ऐसा प्रयास नहीं कर रही है जिससे यह पता चले कि सरकार वाकई आमजन के प्रति गंभीर है।
गौरतलब है कि रेडहिल्स झील जो महानगर का सबसे बड़ा जलस्रोत है, वह पूर्णरूपेण सूख चुका है। सतह पर बड़ी बड़ी दरार पड़ गई है, लेकिन सरकार इस सरोवर के जीर्णोद्धार के प्रति अभी भी लापरवाह बनी हुई है। पीडब्ल्यूडी विभाग ने इस सरोवर को गहरा करने और गाद निकालने के लिए महज एक जेसीबी मशीन को काम में लगाया है, जबकि इस सरोवर को गहरा करने और गाद निकालने के लिए दर्जन से भी अधिक जेसीबी लगाने की दरकार है। चारों तटबंध को भी मजबूत करने की जरूरत है। रेडहिल्स सरोवर का उत्तरी भाग बिलकुल सूख गया है। और तटबंध भी ध्वस्त हो चुका है। सरोवर के अंदर घास फूस उग आया है जिनमें माल-मवेशी चरने लगे हैं। ऐसे में सरकार की यह जिम्मेदारी बनती है कि इस सरोवर को आगामी मानसून monsoon आने से पहले इसका कायाकल्प करें ताकि जलाशय में जलसंग्रहण मुकम्मल हो सके।
स्थानीय निवासियों का आरोप हैै कि सरकार की उदासीनता के कारण ही रेडहिल्स सरोवर सूख गया है। वर्ष 2015 के अप्रैल में जब चेन्नई में जल संकट water scarcity उत्पन्न हुआ था उस समय भी इस जलाशय में पानी बहुत कम गया है, यदि सरकार रेटेरी झील की तरह इन जलाशयों का भी कायाकल्प कराई होती तो आज महानगर को प्यास बुझाने के लिए इतनी जद्दोजहद नहीं करनी पड़ती।
रेटेरी – कोरटूर झील के प्रति उदासीन सरकार
यह अलग बात है कि मेट्रो Metro वाटर water विभाग ने रेटेरी झील के पानी के उपयोग के लिए जल शुद्धीकरण का काम शुरू कर दिया है, लेकिन इन झीलों के सांैदर्यीकरण, साफ-सफाई आदि कार्यों के प्रति अभी भी सरकार गंभीर नहीं है। रेटेरी झील के दक्षिणी तटबंध का निर्माण हो चुका है। लेकिन इस तटबंध का उपयोग लोग शौचालय के रूप में करने लगे हैं। यह तटबंध पर गंदगी इस कदर नजर आता है कि यहां से गुजरना भी कठीन है। जबकि इस जलाशय में अभी भारी मात्रा में पानी उपलब्ध है। वही रेटेरी झील के उत्तरी भाग में अब तक जलकुंभी जस की तस है। उत्तरी भाग में बांध बनाने का काम शुरू भी नहीं हुआ है। वही पश्चिमी भाग में सीवर का नाला बहता है, बारिश और बाढ़ आने की स्थित में रेटेरी के इस नाले और झील का पानी मिश्रित हो जाता है। लेकिन इस नाला और झील के बीच बांध अब तक नहीं बनाया गया है। इससे स्पष्ट है कि सरकार जल संग्रहण के प्रति अभी भी लापरवाह बनी हुई है। जबकि शहर पानी के लिए त्राहिमाम कर रहा है।
क्या कहते हैं निवासी…
-पिछले पांच सालों में सरकार ने जलसंग्रहण के लिए कुछ काम नहीं किया। 2015 में सरकार ने रेटेरी, माधवरम और कोरटूर झील का कायाकल्प करने की योजना बनाई थी जो अब तक पूरी नहीं हो पाई। जबकि पांच सालों में यह काम पूरा हो जाना चाहिए था।
दिनेश शर्मा,
विनायकपुरम निवासी।
-महानगर में पांच से भी अधिक झील हैं जिनका कायाकल्प करने से यहां हो रहे जलसंकट को दूर किया जा सकता है, लेकिन सरकार ने कभी भी इस धरोहर के प्रति गंभीरता नहीं दिखाई नतीजतन महानगर वासियों को पानी के लिए टैंकर पर निर्भर रहना पड़ रहा है।
अमित जैन,
गुलेचा कॉलोनी पूझल।
-रेडहिल्स झील पिछले दो महीने से सूखा हुआ है, लेकिन सरकार इस झील के जीर्णोद्धार के लिए महज खानापूर्ति कर रही है। जबकि जरूरत इस बात की है कि इस झील को गहरा करने और गाद निकालने का काम तेजी से हो। ताकि यह जलाशय सूखने की नौबत ही ना आए।
प्रभात सिंह, ट्रांसपोर्टर
सूरापेट निवासी।

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