चेन्नई

क्या लोकसभा चुनाव में अम्मा कैंटीन को भुना पाएगी एआईएडीएमके?

-अम्मा कैंटीन के चलते ही पिछले लोकसभा चुनाव में मिली थी अपार सफलता

चेन्नईMar 01, 2019 / 02:54 pm

P S VIJAY RAGHAVAN

क्या लोकसभा चुनाव में अम्मा कैंटीन को भुना पाएगी एआईएडीएमके?


चेन्नई. गरीब एवं मध्यवर्गीय लोगों के बीच अति लोकप्रिय हो चुकी अम्मा कैंटीन को एआईएडीएमके क्या लोकसभा चुनाव में भुना पाएगी? तमिलनाडु सरकार के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट्स में से एक अम्मा कैंटीन की खासियत यह भी है कि इसमें काम करने वाली सभी महिलाएं वे स्वयं सहायता समूह की सदस्य है। खाना बनाने, परोसने से लेकर संचालन करने का सारा जिम्मा महिलाएं ही उठा रही हैं। एक रुपए में इडली एवं पांच रुपए में सांभर चावल खिलाने वाली अम्मा कैंटीन ने जयललिता को इतना लोकप्रिय बना दिया था कि 2014 के लोकसभा चुनाव में इसके चलते जबरदस्त सफलता मिली थी। इस स्कीम के लागू होने के एक साल बाद ही हुए लोकसभा चुनाव में एआईएडीएमके को 39 में से 37 सीटें मिली थी।
राजनीति में अम्मा के नाम से विख्यात जयललिता ने अम्मा कैंटीन के रूप में एक ऐसा सिस्टम विकसित किया कि जो अन्य राज्यों एवं केन्द्र के लिए सीखने वाली बात है। कैसे सब्सिडी प्रोग्राम को सफल बनाया जा सकता है और महिलाओं के लिए रोजगार के अवसर विकसित किए जा सकते हैं, शायद इससे बड़ा कोई दूसरा उदाहरण न मिले।
अम्मा कैंटीन पर रोजाना हजारों लोग सस्ते में खाना खाते हैं। यहां सांभर चावल पांच रुपए तो दही चावल केवल तीन रुपए में मिल रहा है। इतना सस्ता खाना शायद ही किसी भोजनालय में नसीब हो पाए। गरीब, मजदूरी कर जीवन यापन करने वाले लोगों के लिए तो खाने के लिए शायद अम्मा कैंटीन से बेहतर कोई दूसरी जगह नहीं हो सकती। नौकरीपेशा लोगों को भी अम्मा कैंटीन खूब भा रही है। लोग यहां आकर सुबह का नाश्ता, दोपहर का भोजन एवं शाम का भोजन मात्र 15 से 20 रुपए में कर सकते हैं। रोज मजदूरी कर जीवन यापन करने वाले एक श्रमिक का कहना था कि वह रोजाना बमुश्किल 200 से 300 रुपए कमा पाता है। पहले एक बड़ी राशि तो सुबह एवं शाम के खाने पर ही खर्च हो जाती थी लेकिन अम्मा कैंटीन खुलने के बाद से पैसे की बचत हो रही है। अम्मा कैंटीन नहीं थी तो बाहर से महंगी दर पर खाना खाना पड़ता था। अम्मा कैंटीन का खाना सस्ता एवं अच्छा है।
एआईएडीएमके के एक नेता का कहना था कि अम्मा कैंटीन में साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखा जा रहा है। साथ ही गुणवत्ता को भी बरकरार रख रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय जयललिता की मंशा यही थी कि लोगों को साफ एवं शुद्ध खाना मिल सके।
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