मौन प्रार्थना से हजार गुना मिलता फल
विशाखापट्टनम. यहां स्थित जैन दादावाड़ी में मुनि संयमरत्न विजय और मुनि भुवनरत्न विजय ने कहा कि दुनिया का सबसे बड़ा रोग है कि क्या कहेंगे लोग? खान पान, रहन सहन सब कुछ बदल गया है। लोग पाश्चात्य जीवनशैली अपनाने लगे हैं। पहले लोग कभी-कभी बीमार होते थे और आजकल कभी-कभी स्वस्थ दिखते हैं।
उन्होंने कषायमुक्ति के बारे में बताया कि क्रोध को शांति से, मान को नम्रता से, माया को सरलता से और लोभ को संतोष से जीतो। मांगा हुआ वरदान कभी टिकता नहीं, इसलिए जिनवर से वर नहीं अपितु जिनवर को ही मांग लेना चाहिए। सहज में जो मिल जाए वह दूध के बराबर होता है, मांगने पर जो मिले वह पानी के बराबर होता है और जो मांगने पर भी न मिले या बड़ी मुश्किल से मिले वह रक्त के समान होता है। इसलिए जीवन को सहज-सरल बनाना चाहिए। यदि हम प्रभु से कुछ मांगते हैं तो हमें उतना ही मिलता है, जितना हम मांगते है, मांगने के बजाय यदि हम मौन प्रार्थना करते हैं, तो हजार गुना फल हमें प्राप्त होता है।