script300 साल पुरानी विश्व की पहली तमिल मुद्रित बाइबिल मिली लंदन के संग्रहालय में | World's first Tamil printed Bible traced to London museum | Patrika News

300 साल पुरानी विश्व की पहली तमिल मुद्रित बाइबिल मिली लंदन के संग्रहालय में

locationचेन्नईPublished: Jul 01, 2022 08:11:50 pm

Submitted by:

MAGAN DARMOLA

तमिलनाडु Idol Wing ने खोजा
तंजावुर की संग्रहालय से 2005 में गायब हो गई थी
अब यूनेस्को संधि के तहत वापस लाने के किए जाएंगे उपाय

300 साल पुरानी विश्व की पहली तमिल मुद्रित बाइबिल मिली लंदन के संग्रहालय में

यह बाइबिल तंजावुर के सरस्वती महल संग्रहालय में थी, जो रहस्यमयी तरीके से अक्टूबर 2005 में यह बाइबिल गायब हो गई थी

चेन्नई. दुनिया की पहली तमिल मुद्रित बाइबिल जो करीब 300 साल पुरानी बताई गई है तमिलनाडु की मूर्ति विंग पुलिस को लंदन के किंग्स कलेक्शन में मिली। यह बाइबिल तंजावुर के एक संग्रहालय से 2005 में गायब हो गई थी।
आइडल विंग के पुलिस महानिदेशक जयंत मुरली ने बताया कि 300 साल पुरानी यह कृति तंजावुर के सरस्वती महल संग्रहालय में थी, जो करीब 400 साल पुराना है। रहस्यमयी तरीके से अक्टूबर 2005 में यह बाइबिल गायब हो गई थी।
डीजीपी जयंत मुरली ने कहा, हमने लंदन में किंग्स कलेक्शंस के साथ संचार शुरू कर दिया है और हमें जल्द ही प्राचीन बाइबिल वापस मिल जाएगी।

तमिल मुद्रित बाइबिल का इतिहास

धर्म प्रचार में सक्रिय बार्थोलोमियस जिगेनबल्ग ने दक्षिण भारत में काम किया। वे डेनमार्क के हेनरिक प्लुशाऊ की अगुवाई में सितंबर 1706 में तरंगम्बाड़ी पहुंचे। दोनों ने संयुक्त रूप से भारत में पहली प्रोटेस्टेंट मिशनरी के रूप में कार्य करना शुरू किया। उन्होंने जल्द ही एक प्रिंटिंग प्रेस की स्थापना की और तमिल भाषा और भारतीय धर्म और संस्कृति के अध्ययन प्रकाशित किए। 1715 में तमिल में उन्होंने बाइबिल के नियमों का अनुवाद किया और इसकी पहली मुद्रित प्रति 1717 में जिगेनबल्ग की मृत्यु के बाद श्वार्ट्ज नामक एक अन्य मिशनरी ने तुलाजी राजा सेरफोजी को भेंट की। यह बाइबिल पुरातत्व महत्व की पुस्तक के रूप सरस्वती महल संग्रहालय में रखी गई।

2005 में चोरी की शिकायत

10 अक्टूबर 2005 को सेरफोजी पैलेस के डिप्टी एडमिनिस्ट्रेटर ने तंजावुर वेस्ट पुलिस स्टेशन में अनूठी बाइबिल की चोरी की शिकायत दर्ज कराई। अक्टूबर 2017 में, आइडल विंग सीआईडी को अधिवक्ता ई राजेंद्रन ने फिर से इस बाइबिल की चोरी की शिकायत दी। उनकी शिकायत पर आइडल विंग ने जांच शुरू की।

आगंतुक रजिस्टर से मिला सुराग

लापता बाइबिल का पता लगाने के लिए पुलिस निरीक्षक इंदिरा के नेतृत्व में विशेष टीम के गठन के बाद जांच में पता चला कि संग्रहालय के आगंतुक रजिस्टर में 7 अक्टूबर को कुछ विदेशी लोगों के नाम दर्ज थे। उसी दिन यह बाइबिल चोरी हुई थी। आगे की पूछताछ से पता चला कि ये आगंतुक डेनमार्क के मिशनरी बार्थोलोमियस जिगेनबल्ग के एक समारोह में शरीक होने आए थे। फिर आइडल विंग ने दुनिया के विभिन्न संग्रहालयों की वेबसाइटों की खोज शुरू की। कई वेबसाइट खंगालने के बाद अंत में अंग्रेजी किंग जॉर्ज तृतीय के संग्रह पर उनकी खोज समाप्त हुई जिनमें हजारों मुद्रित पुस्तकें, दुर्लभ पांडुलिपियां और पत्र शामिल थे।

राजा सेरफोजी के दस्तखत

इन हजारों पुस्तकों के बीच आइडल विंग को पहली तमिल मुद्रित बाइबिल मिली। इस पर तंजावुर के तत्कालीन राजा सेरफोजी के दस्तखत भी थे जिसका मुद्रण और प्रकाशन 17वीं सदी में तरंगम्बाड़ी में हुआ था। किंग्स कलेक्शंस की वेबसाइट पर उपलब्ध इस बाइबिल की तस्वीर चोरी गई बाइबिल की तस्वीर से मेल खाती थी। यूनेस्को संधि के तहत इसे वापस लाने के उपाय किए जाएंगे।

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