scriptनाबालिग से अपरहण व दुष्कर्म के अपराधी को 10 वर्ष की सश्रम कैद और 6 हजार का जुर्माना | 10 years rigorous imprisonment and fine of 6 thousand | Patrika News

नाबालिग से अपरहण व दुष्कर्म के अपराधी को 10 वर्ष की सश्रम कैद और 6 हजार का जुर्माना

locationछतरपुरPublished: Feb 09, 2021 11:52:26 pm

10 years rigorous imprisonment and fine of 6 thousand

10 years rigorous imprisonment and fine of 6 thousand

10 years rigorous imprisonment and fine of 6 thousand

छतरपुर. विशेष न्यायाधीश (अनुसूचित जनजाति अनुसूचित जाति) एसएस परमार के द्वारा नाबालिक के साथ दुष्कर्म करने वाले आरोपी के विरुद्ध धारा 376 (2)(झ) धारा 4 पास्को अधिनियम के अंतर्गत 10 वर्ष का सश्रम कारावास और 3 हजार रुपए का जुर्माना धारा 366 (क) भारतीय दंड विधान में 5 वर्ष का सश्रम कारावास और 2 हजार का जुर्माना धारा 363 भारतीय दंड विधान में 3 वर्ष का सश्रम कारावास और 1 हजार रुपए के जुर्माने से दंडित करने का आदेश पारित किया है। एडवोकेट वशिष्ठ नारायण श्रीवास्तव ने बताया कि पीडि़ता के पिता ने 3 अक्टूबर 2017 को थाना भगवां जिला छतरपुर में पीडि़ता के गुम होने की सूचना दी थी। जिसके आधार पर 3 अक्टूबर 2017 को पुलिस के द्वारा पीडि़ता को खोज लिया गया। इसके बाद पीडि़ता के द्वारा भगवां थाना के पुलिस अधिकारी के समक्ष इस बात का आवेदन दिया गया कि वह छठवीं तक पढ़ी है और आरोपी दीपेश दुबे निवासी पुरा शाहगढ़ थाना छानबीला सागर मध्य प्रदेश का है। जो पीडि़ता के रिश्तेदारी में ग्राम सिमरिया करीब 2 माह पहले आया था, जिससे उसकी जान पहचान हो गई थी। 2 अक्टूबर 2017 को दोपहर 2 बजे आरोपी पीडि़ता से बोला कि वह उससे शादी करेगा और शादी का झांसा देकर उसके साथ दुष्कर्म किया। आरोपी के द्वारा दोपहर 2 बजे से रात्रि 10 बजे के मध्य पीडि़ता के घर उसके संरक्षक की सहमति के बिना उसे ले जाकर व्यपहरण किया और लैंगिक हमला कर दुष्कर्म किया। जब पीडि़ता को आरोपी के द्वारा शादी की झांसा देने की बात और दुष्कर्म करने के बाद पर शक हुआ, तब उसने अपने घर वालों को फोन करके बुलाया और पिता व भाई के साथ रिपोर्ट की पुलिस थाना भगवां के द्वारा पीडि़ता की जन्म तिथि वर्ष 2003 के होने से मेडिकल परीक्षण कराया गया और पुलिस के द्वारा आरोपी दीपेश दुबे के विरुद्ध धारा 363, 366, 376 व लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम एवं अनुसूचित जनजाति अनुसूचित जाति के अंतर्गत अपराध पंजीबद्ध किया था।
इसके बाद मामला विशेष न्यायाधीश एसएस परमार के न्यायालय में आया और मामले का अवलोकन करने के पश्चात न्यायाधीश द्वारा आरोपी दीपेश दुबे ग्राम पुरा शाहगढ़ थाना छानबीला सागर मध्य प्रदेश को नाबालिक के साथ अपहरण व उसके साथ दुष्कर्म का कृत्य करने के विरुद्ध भारतीय दंड विधान की धारा 376 (2) (झ) व धारा 4 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत 10 वर्ष के सश्रम कारावास और 3 हजार रुपए के जुर्माने से और धारा 366 का भारतीय दंड विधान में 5 वर्ष का सश्रम कारावास व 2 हजार रुपए जुर्माना व धारा 363 भारतीय दंड विधान में 3 वर्ष का सश्रम कारावास और 1 रुपए के जुर्माने से दंडित करते हुए अनुसूचित जनजाति अनुसूचित जाति की धाराओं से दोषमुक्त किया है। खुली अदालत में यह फैसला सुनाया गया।
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