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छतरपुर

जिला अस्पताल में डॉक्टरों की कमी के बीच कोरोना काल में 11 डॉक्टरों ने दिया इस्तीफा

वर्तमान में 38 डॉक्टर और 68 कर्मचारी कम, 10 संविदा डॉक्टर बुलाए, जिला अस्पताल को मिले केवल 2सीनियर डॉक्टरों पर प्राइवेट प्रैक्टिस में ज्यादा रुचि लेने के आरोप, जूनियर चला रहे अस्पताल

छतरपुरFeb 24, 2022 / 02:15 pm

Dharmendra Singh

सोनोग्राफी के लिए लगी भीड़

सोनोग्राफी के लिए लगी भीड़

छतरपुर। जिला अस्पताल में आए दिन इलाज से जुड़ी शिकायतों के लिए डॉक्टरों को जिम्मेदार ठहराया जाता है लेकिन इन समस्याओ की वजह सिर्फ डॉक्टर और स्टाफ नहीं बल्कि अस्पताल पर बढ़ते बोझ के बावजूद कम होते स्टाफ की संख्या भी एक बड़ा कारण है। रोजाना की औसत 1000 ओपीडी वाले जिला अस्पतालम में 38 डॉक्टरों व 68 कर्मचारियों की कमी है। वहीं कोरोना काल के 2 साल में 11 डॉक्टर इस्तीफा दे चुके हैं। सीनियर डॉक्टरों के प्राइवेट प्रेक्टिस में रुचि लेने के आरोप लगते हैं। ऐसे में जूनियर डॉक्टरों के भरोसे जिला अस्पताल चल रहा है। हालांकि संविदा नियुक्ति के आधार पर 10 डॉक्टर बुलाए गए हैं। लेकिन जिला अस्पताल को दो ही डॉक्टर मिले हैं। इस तरह से डॉक्टरों की कमी का खामियाजा जिला अस्पताल के मरीजों को भुगतना पड़ रहा है।
ये है स्टाफ की स्थिति
जिला अस्पताल इन दिनों डॉक्टर्स और अन्य स्टाफ की भारी कमी से जूझ रहा है। अस्पताल में प्रथम श्रेणी के 34 डॉक्टर स्वीकृत हैं लेकिन इनमें से सिर्फ 8 प्रथम श्रेणी डॉक्टर ही काम कर रहे हैं। 21 पद रिक्त पड़े हैं जबकि 5 प्रथम श्रेणी डॉक्टर्स ने इस्तीफा दे रखा है। इसी तरह यदि द्वितीय श्रेणी डॉक्टर्स की बात करें तो यहां 34 संविदा श्रेणी के द्वितीय श्रेणी चिकित्सक स्वीकृत किए गए हैं लेकिन इनमें से सिर्फ 22 डॉक्टर ही कार्यरत हैं जबकि 12 पद रिक्त पड़े हुए हंै। कुल मिलाकर जिला अस्पताल में 30 चिकित्सक हैं। इनमें से कई प्रशासनिक व्यवस्थाओं और शासकीय योजनाओं में तैनात हैं। रात्रिकालीन ड्यूटी और इमरजेंसी सेवाओं में प्रतिदिन 4 डॉक्टर तैनात रहते हैं जिसके चलते उक्त डॉक्टर ओपीडी में नहीं बैठ सकते। यही वजह है कि अक्सर अस्पताल में मरीज डॉक्टर्स को खोजते रहते हैं। यही हालत अन्य स्टाफ के साथ भी है। जिला अस्पताल में कुल 265 अन्य स्टाफ के पद हैं लेकिन 197 पदों पर ही तैनाती है जबकि 68 पद खाली पड़े हुए हैं। मार्च में डॉ. सतीश चौबे भी सेवानिवृत्त हो रहे हैं। यानि यह समस्या और बढ़ सकती है।
11 डॉक्टरों ने दिया इस्तीफा
कैडर के हिसाव से वेतन, सम्मान न मिलने या फिर काम के अधिक दवाब जैसे कई तरह के कारणों के चलते जिला अस्पताल में दो साल में 11 डॉक्टर नौकरी छोड़ चुके हैं। स्थाई डॉक्टरों में डॉ. हिमांशु बाथम, डॉ. सुनील चौरसिया, डॉ. शिवम दीक्षित, डॉ. श्वेता गर्ग, डॉ. नेहा दीक्षित ने इस्तीफा दे दिया है। वहीं संविदा डॉक्टरों में डॉ. मनोज कुशवाहा, डॉ. कविता तिवारी, डॉ. अभिषेक चौधरी, डॉ. रश्मि झंझर, डॉ. शिवानी साहू, डॉ. प्रांजल चतुर्वेदी, डॉ. दीपक राठौर ने नौकरी से इस्तीफा दिया है। हालांकि इनमें से ज्यादातर के इस्तीफे शासन के पास लंबित हैं। लेकिन इनके काम न करने से डॉक्टरों की कमी बढ़ी है।
लगते है आरोप
जिला अस्पताल के सीनियर डॉक्टरों पर प्राइवेट प्रैक्टिस पर ज्यादा ध्यान देने के आरोप लगते रहे हैं। सीनियर डॉक्टर ओपीडी में भी कम ही मिलते हैँ। जूूनियर डॉक्टरों के भरोसे जिला अस्पताल की व्यवस्था चल रही है। सीनियर डॉक्टर ड्टूयी से बंक मारकर प्राइवेट प्रैक्टिस पर चले जाते हैं। बीते दिनों प्रशासनिक अधिकारियों के निरीक्षण में ये डॉक्टर ड्यूटी से गायब मिले। डॉक्टरों के नदारत रहने की शिकायत पर व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए पूर्व व वर्तमान कलेक्टर ने हिदायत भी दी, जिसके बाद डॉक्टरों की मौजूदगी में सुधार आया है। गुरुवार को जिला अस्पताल की ज्यादातर ओपीडी में डॉक्टर नजर आए।

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