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प्रीमियम जमा करने वाले 13 हजार किसानों को नहीं मिली फसल बीमा की राशि

locationछतरपुरPublished: Sep 22, 2020 08:50:19 pm

Submitted by:

Dharmendra Singh

16 हजार 754 किसानों ने खरीफ 2019 के लिए जमा किया गया था 1 करोड़ रुपए प्रीमियमबीमा कंपनी ने दिया केवल 3 हजार किसानों को 6 करोड़ 72 लाख का भुगताननुकसान के मुताबिक जिले के 16754 किसानों की बनती है 54 करोड़ रुपए क्लेम राशि

Insurance claim amount not paid

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छतरपुर। फसल बीमा का प्रीमियम जमा कराने वाले जिले के 13 हजार किसानों को बीमा क्लेम राशि का भुगतान नहीं हुआ है। अभी तक जिले के 3 हजार 314 किसानों को 6 करोड़ 72 लाख रुपए बीमा राशि का भुगतान किया गया है। जबकि जिले के 16 हजार 754 किसानों ने खरीफ 2019 की फसल के लिए 1 करोड़ रुपए से ज्यादा का बीमा प्रीमियम जमा कराया था। जिले में खरीफ 2019 की फसल में उड़द, सोयाबीन, तिल और मूंग का नुकसान 100 फीसदी और मूंगफली का 50 फीसदी आंकलित किया गया था। ऐसे में बीमा राशि 54 करोड़ रुपए का भुगतान होना चाहिए, लेकिन 6 करोड़ 72 लाख का भुगतान ही हुआ है। जिले के 13 हजार से ज्यादा किसान ऐसे हैं जो रोज बैंक खाते का स्टेटमेंट चैक कर रहे कि उनकी बीमा राशि खाते में आई या नही।
प्रीमियम राशि देने वाले किसान भी वंचित
फसल बीमा के लिए राशि जमा कराने वाले किसान भी बीमा क्लेम से वंचित रह गए हैं। महाराजपुर के प्रगतिशील किसान चितरंजन चौरसिया ने बताया कि वे वर्ष 2016 से बीमा प्रीमियम जमा कर रहे हैं। वर्ष 2019 में भी उन्होंने बीमा प्रीमियम राशि निवारी सोसायटी से जमा कराई थी। लेकिन अभी तक उन्हें फसल बीमा राशि का क्लेम नहीं मिला है। डोंगरपुरा के किसान ओमप्रकाश, मुंगवारी के किसान रविकांत, मन्नूलाल, धनीराम यादव व सुमदरलाल मिश्रा ने बताया कि बीमा प्रीमियम जमा कराने के बाद भी फसल नुकसान का क्लेम नहीं दिया गया है। किसान रोज अपने खाते चैक कर रहे हैं। कैथोकर के किसान मनोहर सिंह, सज्जन सिंह और कमलेश रावत ने बताया कि उन्होंने खरीफ 2019 में उड़द, मूंग और मूंगफली की फसल का बीमा कराया था, लेकिन बीमा क्लेम नहीं मिला है। ललौनी के हरवेन्द्र सिंह ने बताया कि चार साल से बीमा प्रीमियम की राशि जमा कर रहे हैं। बीमा कंपनी का दफ्तर ही बदल गया है, लेकिन बीमा की राशि नहीं मिली।
किसानों के साथ हर साल हो रहा छलावा
जिले के किसानों से बीमा प्रीमियम की राशि हर साल ली जा रही है। लेकिन बीमा क्लेम नहीं दिया जा रहा है। किसानों का आरोप है कि सोसायटियां किसानों से ली गई बीमा प्रीमियम की राशि जमा नहीं करती है। वहीं बीमा कंपनी भी बीमा प्रीमियम देने वाले किसानों को क्लेम की राशि भुगतान में हेराफेरी करती है। कोई न कोई बहाना बनाकर किसानों को फसल बीमा राशि का भुगतान नहीं किया जाता है। पहले एचडीएफसी इरगो बीमा कंपनी थी, अब एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी ऑफ इंडिया जिले में फसल बीमा कर रही है। कंपनी बदल गई लेकिन व्यवस्था नहीं सुधरी है। सभी किसानों को बीमा राशि का भुगतान नहीं किया जा रहा है। केवल कुछ किसानों को बीमा राशि देकर फसल बीमा योजना का लाभ सभी किसानों को देने का डिंडोरा पीटा जाता है।
ऋणी किसानों को ज्यादा नुकसान
अऋणी किसानों के लिए फसल बीमा स्वैच्छिक है, लेकिन किसी भी बैंक से ऋण लेने वाले किसानों को फसल बीमा कराना अनिवार्य है। बीमा की प्रीमियम राशि बैंक के जरिए ही काट ली जाती है। लेकिन बीमा क्लेम न मिलने से किसान ठगा जा रहा है। लेकिन ऋणी होने के कारण किसानों को हर साल बीमा प्रीमियम की राशि का जमा करनी ही पड़ती है। जबकि उसे पता है कि बीमा राशि का भुगतान नहीं हो रहा है।
सीधी बात
शिवनंदन त्रिपाठी, मैनेजर, एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी ऑफ इंडिया

प्रश्न- जिले के 16 हजार 754 किसानों ने खरीफ 2019 की फसल के लिए बीमा राशि जमा कराई थी, बीमा क्लेम राशि सिर्फ 3314 किसानों को ही दिया गया, 13 हजार किसानों का क्या हुआ?
जवाब- गर्वमेंट के आंकड़ों के हिसाब से ही बीमा राशि का भुगतान किया जाता है। जो आंकड़े आए, उनके मुताबिक ही क्लेम दिया जा रहा है।
प्रश्न- प्रीमियम देने वाले कितने किसान हैं, जिन्हें बीमा की राशि का भुगतान किया जाना शेष है, क्या बीमा राशि क्लेम के पात्र 3314 किसान हैं, या कुछ और भी किसान लाभांवित होंगे?
उत्तर- जिला स्तर पर उड़द की फसल के नुकसान का भुगतान अभी बाकी है। उड़द के भुगतान के बाद कुछ किसानों की संख्या बढ़ेगी, जिन्हें बीमा राशि दी जाएगी।
प्रश्न- क्या उड़द के बाकी क्लेम का सेटलमेंट होने पर प्रीमीयम देने वाले जिले के 16 हजार 754 किसानों को बीमा क्लेम का लाभ मिलेगा?
उत्तर- अभी कुछ क्लेम पेंडिंग है, फायनल सेटलमेंट होने तक किसानों की संख्या और बीमा राशि में बढोत्तरी होगी। किसानों की संख्या करीब-करीब 4500 तक जाएगी।
प्रश्न- क्या फायनल सेटलमेंट के बाद भी 12 हजार से ज्यादा किसान वंचित रह जाएंगे ?
उत्तर- करीब एक महीने में फायनल सेटलमेंट हो पाएगा, तभी हम बता पाएंगे कि कुल कितने किसान लाभांवित हुए हैं। अभी कुछ क ह पाना मुश्किल है।

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