script10 सामुदायिक स्वास्थ केन्द्रों पर 15 लाख की आबादी निर्भर, महिला डॉक्टर एक भी नहीं | 15 lakh population dependent on 10 chc,not even a single female doctor | Patrika News

10 सामुदायिक स्वास्थ केन्द्रों पर 15 लाख की आबादी निर्भर, महिला डॉक्टर एक भी नहीं

locationछतरपुरPublished: Mar 11, 2022 10:45:00 am

Submitted by:

Dharmendra Singh

पूरे जिले में 38 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, 257 उपस्वास्थ्य केन्द्र पर भी महिला चिकित्सक नहीं1000 ओपीडी वाले जिला अस्पताल में 38 डॉक्टरों व 68 कर्मचारियों की कमी

खाली पड़े ब्लाक हॉस्पिटल

खाली पड़े ब्लाक हॉस्पिटल

छतरपुर। छतरपुर जिला लंबे समय से डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा है। पर्याप्त चिकित्सकों की तैनाती न होने के कारण अस्पतालों में आम जनता को जानलेवा हालातों से जूझना पड़ता है। सबसे बुरे हालात महिला चिकित्सकों के मामले में हैं। जिले में महिला चिकित्सकों की भारी कमी बनी हुई है। जिले के 10 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में से किसी में भी महिला चिकित्सक मौजूद नहीं है। ऐसे में जिले के दूरस्थ अंचलों से महिलाओं को अपने इलाज के लिए जिला अस्पताल की दौड़ लगानी पड़ती है।
खाली पड़े ब्लाक हॉस्पिटल
जिले में खजुराहो, घुवारा, किशनगढ़, बिजावर, बक्स्वाहा, बड़ामलहरा, लवकुशनगर, गौरिहार, नौगांव और ईशानगर में कोई भी क्लास-1 महिला चिकित्सक मौजूद नहीं है। इन अस्पतालों पर लगभग 15 लाख लोगों की आबादी का भार है। इन क्षेत्रों में महिलाओं को अपने इलाज के लिए काफी परेशान होना पड़ता है। इनके पास सिर्फ जिला अस्पताल में इलाज कराने का विकल्प रह जाता है लेकिन जिला अस्पताल में भी डॉक्टरों की भारी कमी है। उल्लेखनीय है कि जिले में 36 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, दो शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र और 257 उपस्वास्थ्य केन्द्र मौजूद हैं जहां कोई महिला चिकित्सक तैनात नहीं है।
गर्भवती और स्त्री रोग से पीडि़त महिलाओं को होती हैं समस्याएं
सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में महिला चिकित्सकों की तैनाती न होने के कारण ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे कई इलाके हैं जो जिला अस्पताल से 50 किमी दूर मौजूद हैं। इन इलाकों में रहने वालीं गर्भवती महिलाओं और स्त्री रोग से जूझती महिलाओं को कई बार समय पर इलाज नहीं मिल पाता। महिला चिकित्सकों की तैनाती के लिए लंबे समय से बिजावर, गौरिहार और लवकुशनगर में लोग मांग कर रहे हैं लेकिन यहां भी स्त्री रोग विशेषज्ञों की तैनाती नहीं की जा रही है।
जिला अस्पताल में भी स्टॉफ की कमी
पूरे जिले के लोग बेहतर इलाज के लिए जिला अस्पताल पर निर्भर हैं। लेकिन यहां भी डॉक्टरों व मेडिकल स्टाफ की कमी है। रोजाना की औसत 1000 ओपीडी वाले जिला अस्पतालम में 38 डॉक्टरों व 68 कर्मचारियों की कमी है। वहीं कोरोना काल के 2 साल में 11 डॉक्टर इस्तीफा दे चुके हैं। हालांकि संविदा नियुक्ति के आधार पर 10 डॉक्टर बुलाए गए हैं। लेकिन जिला अस्पताल को दो ही डॉक्टर मिले हैं। जिला अस्पताल में प्रथम श्रेणी के 34 डॉक्टर स्वीकृत हैं लेकिन इनमें से सिर्फ 8 प्रथम श्रेणी डॉक्टर ही काम कर रहे हैं। 21 पद रिक्त पड़े हैं जबकि 5 प्रथम श्रेणी डॉक्टर्स ने इस्तीफा दे रखा है। इसी तरह यदि द्वितीय श्रेणी डॉक्टर्स की बात करें तो यहां 34 संविदा श्रेणी के द्वितीय श्रेणी चिकित्सक स्वीकृत किए गए हैं लेकिन इनमें से सिर्फ 22 डॉक्टर ही कार्यरत हैं जबकि 12 पद रिक्त पड़े हुए हंै। कुल मिलाकर जिला अस्पताल में 30 चिकित्सक हैं। इनमें से कई प्रशासनिक व्यवस्थाओं और शासकीय योजनाओं में तैनात हैं। रात्रिकालीन ड्यूटी और इमरजेंसी सेवाओं में प्रतिदिन 4 डॉक्टर तैनात रहते हैं जिसके चलते उक्त डॉक्टर ओपीडी में नहीं बैठ सकते। यही वजह है कि अक्सर अस्पताल में मरीज डॉक्टर्स को खोजते रहते हैं। यही हालत अन्य स्टाफ के साथ भी है। जिला अस्पताल में कुल 265 अन्य स्टाफ के पद हैं लेकिन 197 पदों पर ही तैनाती है जबकि 68 पद खाली पड़े हुए हैं।

ट्रेंडिंग वीडियो