जिले में आए 17 नए डॉक्टर, ग्रामीण इलाके में बढेगी स्वास्थ्य सुविधाएं
छतरपुरPublished: Dec 09, 2019 07:55:15 pm
सभी डॉक्टरों को ग्रामीण स्वास्थ्य केन्द्रों में किया गया पदस्थ22 नए डॉक्टरों की जिले के लिए हुई थी पदस्थापना
health facilities will increase
छतरपुर। जिले में ग्रामीण इलाके की स्वास्थ्य व्यवस्था डॉक्टरों की कमी के चलते बिगड़ी रहती है। जिले के ज्यादातर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में डॉक्टर ही नहीं है। इस वजह से मरीजों को इलाज के लिए ब्लॉक मुख्यालय या जिला मुख्यालय तक के चक्कर काटने पड़ते हैं। कई बार सरकारी स्वास्थ्य केन्द्रों में डॉक्टर नहीं मिलने पर ग्रामीण इलाके के मरीज झोलाछाप डॉक्टरों के शिकार बन जाते हैं। लेकिन अब स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार की संभावना बन गई है। जिले के ग्रामीण इलाके में प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों के लिए 17 नए डॉक्टरों ने ज्वॉइन किया है। हालांकि जिले के लिए 22 नए डॉक्टरों की पदस्थापना की गई थी, लेकिन 17 ने ही ज्वॉइन किया है।
इन स्वास्थ्य केन्द्रों को मिले डॉक्टर
डॉ. आशीष कुमार पटेल को प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र लखनगुंवा सटई, डॉ. हरगोविंद राजपूत को प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बमनौरा, डॉ. अजय चौधरी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र ईशानगर, डॉ. स्मित चौरसिया को प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र लहेरापुरवा ईशानगर,डॉ. सत्यप्रकाश पटेल प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र सीलोन, डॉ. इरफान खान को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र किशनगढ़, डॉ. सज्जन कुमार दांगी को प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र गर्रोली, डॉ. जगदीश कुमार अहिरवार को प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र अलीपुरा, डॉ. आलोक कुमार चौरसिया को प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र कुर्राहा, डॉ. विक्रम सिंह को प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र लुगासी, डॉ. मोहम्मद तौसीफ खान को प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र रामटौरिया, डॉ. उमाशंकर पटेल को प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र कर्री, डॉ. राहुल यादव को प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र छटीबम्होरी, डॉ. दीपक राठौर को प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र घुवारा, डॉ. चंद्रप्रकाश यादव को प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र मातगुवां, डॉ. गंभीर सिंह यादव को प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र गुलगंज में पदस्थ किया है। इन डॉक्टरों ने ज्वॉइन भी कर लिया है।
कई वर्षो से है डॉक्टरों की कमी
छतरपुर जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में इलाज की सुविधाएं नाम मात्र के लिए रही है। जिले के ग्रामीण व सुदूर अंचल में तो हालात और भी खराब हैं। अधिकतर स्वास्थ्य केन्द्रों व अस्पतालों में लंबे समय से डॉक्टर ही नही हैं। कई अस्पतालो में केवल एक डॉक्टर के भरोसे इलाज से लेकर सारे कामकाज चल रहे हैं। जब डॉक्टर ही नहीं तो इलाज कैसे होता होगा, इसकी कल्पना की जा सकती है। कहीं कंपाउंडर के भरोसे इलाज की व्यवस्था चल रही है, तो कही नर्से मरीज को दवाइयां दे रही हैं। यही वजह है, कि जिले के ग्रामीण इलाके में (रजिस्टर्ड मेडिकल प्रेक्टिशनर)आरएमपी और नीम हकीमों की दुकानें जमकर चल रही हैं। सदी, जुकाम और बुखार तक तो बात ठीक है, लेकिन इससे ज्यादा समस्या हो तो मरीज को जिला अस्पताल में ही इलाज मिल पाता है। रही बात जिला अस्पताल की तो, यहां भी डॉक्टरों की कमी है और जो हैं भी तो वे उपलब्ध नहीं रहते हैं। जबकि जिला अस्पताल में मरीजों की संख्या रोजाना 1500 तक पहुंच जाती है। मरीज गंभीर हो तो जिला अस्पताल से भी झांसी और ग्वालियर रेफर कर दिया जाता है।
सुधरेगी व्यवस्था
ग्रामीण इलाके में डॉक्टरों की कमी थी, जिससे स्वास्थ्य व्यवस्था गड़बड़ा जाती थी। लेकिन अब ग्रामीण इलाके में नए डॉक्टरों की पदस्थापना से ग्रामीण इलाके की स्वास्थ्य सुविधा सुधरेगी। ग्रामीणों को गांव में ही इलाज मिल जाएगा।
डॉ. विजय पथोरिया, सीएमएचओ