जिला अस्पताल में कोरोना मरीजों की देखरेख कर रहे एक डॉक्टर ने बताया कि यहां हालात चिंताजनक हो गए हैं। हमें दो गंभीर मरीजों में यह तय करना पड़ रहा है कि किसको वेंटीलेटर पर पहले रखा जाए। उन्होंने बताया कि यदि आने वाले दिनों में गंभीर मरीजों की संख्या बढ़ती है तो जिला अस्पताल में ऑक्सीजन वाले बेड और वेंटीलेटर की कम संख्या चिंता का कारण बन जाएगी। फिलहाल जिला अस्पताल में कोरोना के 120 मरीजों को इलाज देने की सुविधा मौजूद है। इन्हीं 120 बिस्तरों में 60 बेड ऑक्सीजन से लैस हैं, 10 बेड आईसीयू के भीतर मौजूद हैं। शेष बिस्तरों पर सामान्य मरीजों को रखा जा सकता है।
एंटीजन किट से नहीं हो रहीं जांचें, अन्य ऑपरेशन बंद
कोरोना संक्रमण का दुष्प्रभाव दूसरे मरीजों पर भी पड़ रहा है। शासन की गाइड लाइन के तहत छतरपुर जिले में 90 फीसदी से अधिक कोरोना संदेहियों की जांच आरटीपीसीआर सेम्पल से की जा रही है। इस पद्धति से जांच की रिपोर्ट तीन दिन बाद प्राप्त हो रही है। एंटीजन किट से आधे घंटे में जांच रिपोर्ट मिल जाती है लेकिन छतरपुर जिले में सिर्फ 10 फीसदी संदेहियों की जांच ही एंटीजन किट से की जा रही है। अब दूसरे रोगों अथवा ऑपरेशन के लिए चिन्हित मरीजों को एंटीजन किट से जांच के बाद ही उपचार दिया जा सकता है लेकिन एंटीजन किट से जांच नहीं होने के कारण जिले के सभी 10 नर्सिंग होम एवं मसीही अस्पताल में मरीजों की कोरोना जांचें न हो पाने के कारण ऑपरेशन बंद हो गए हैं। बुधवार को एक महिला पूजा साहू को तब विपरीत परिस्थितियों से जूझना पड़ा जब गर्भावस्था के दर्द ने उसे 4 घंटे तक एंटीजन किट से टेस्ट कराने के लिए जिला अस्पताल के फीवर क्लीनिक में लाइन में लगना पड़ा। महिला के पेट में पानी आ जाने के कारण ऑपरेशन के माध्यम से प्रसव कराया जाना था लेकिन डॉक्टर प्रसव के पहले कोरोना जांच की रिपोर्ट मांग रहे थे इसलिए महिला को कोरेाना जांच के लिए परेशान होना पड़ा।
कोरोना संक्रमण का दुष्प्रभाव दूसरे मरीजों पर भी पड़ रहा है। शासन की गाइड लाइन के तहत छतरपुर जिले में 90 फीसदी से अधिक कोरोना संदेहियों की जांच आरटीपीसीआर सेम्पल से की जा रही है। इस पद्धति से जांच की रिपोर्ट तीन दिन बाद प्राप्त हो रही है। एंटीजन किट से आधे घंटे में जांच रिपोर्ट मिल जाती है लेकिन छतरपुर जिले में सिर्फ 10 फीसदी संदेहियों की जांच ही एंटीजन किट से की जा रही है। अब दूसरे रोगों अथवा ऑपरेशन के लिए चिन्हित मरीजों को एंटीजन किट से जांच के बाद ही उपचार दिया जा सकता है लेकिन एंटीजन किट से जांच नहीं होने के कारण जिले के सभी 10 नर्सिंग होम एवं मसीही अस्पताल में मरीजों की कोरोना जांचें न हो पाने के कारण ऑपरेशन बंद हो गए हैं। बुधवार को एक महिला पूजा साहू को तब विपरीत परिस्थितियों से जूझना पड़ा जब गर्भावस्था के दर्द ने उसे 4 घंटे तक एंटीजन किट से टेस्ट कराने के लिए जिला अस्पताल के फीवर क्लीनिक में लाइन में लगना पड़ा। महिला के पेट में पानी आ जाने के कारण ऑपरेशन के माध्यम से प्रसव कराया जाना था लेकिन डॉक्टर प्रसव के पहले कोरोना जांच की रिपोर्ट मांग रहे थे इसलिए महिला को कोरेाना जांच के लिए परेशान होना पड़ा।
अब तक 37 गंभीर मरीज पहुंचे अस्पताल
जिला अस्पताल में बुधवार की शाम 5 बजे तक गंभीर किस्म के कोरोना लक्षणों से प्रभावित 37 मरीजों को भर्ती कराया जा चुका है। इन मरीजों में से 10 कोविड आईसीयू में हैं जबकि शेष 27को कोविड आइसोलेशन वार्ड में रखा गया है।
जिला अस्पताल में बुधवार की शाम 5 बजे तक गंभीर किस्म के कोरोना लक्षणों से प्रभावित 37 मरीजों को भर्ती कराया जा चुका है। इन मरीजों में से 10 कोविड आईसीयू में हैं जबकि शेष 27को कोविड आइसोलेशन वार्ड में रखा गया है।