scriptकोरोना संक्रमण काल में 218 बढ़े अतिकुपोषित बच्चे | 218 grown very malnourished children in covid time | Patrika News

कोरोना संक्रमण काल में 218 बढ़े अतिकुपोषित बच्चे

locationछतरपुरPublished: Dec 02, 2020 08:35:31 pm

Submitted by:

Dharmendra Singh

25 हजार से ज्यादा बच्चे कुपोषितमोटिवेशन के अभाव में एनआरसी सेंटरों पर लक्ष्य के आधे भी नहीं पहुंचे बच्चेमृत्यु दर को सुधारने हाईरिस्क वाली 536 गर्भवती महिलाओं का किया गया इलाज

25 हजार से ज्यादा बच्चे कुपोषित

25 हजार से ज्यादा बच्चे कुपोषित

छतरपुर। कोरोना के दौर में मोटिवेशन की कमी के चलते अतिकुपोषित बच्चों को अभिभावक केन्द्र तक लेकर नहीं पहुंच रहे है। जिससे जिले में पिछले साल की तुलना में 218 अतिकुपोषित बच्चे बढ़ गए हैं। वहीं, 25046 बच्चे कुपोषण के शिकार हैं। जिले में छतरपुर के अलावा 6 एनआरसी केन्द्र सीएचसी, पीएचसी लेवल पर संचालित हो रहे है। लेकिन अधिकांश एनआरसी केन्द्र कुपोषित बच्चों के भर्ती न होने के कारण खाली पड़े है। जिला अस्पताल की एनआरसी में गत वर्ष पूरे सत्र में 376 अतिकुपोषित बच्चों का इलाज किया गया था, इसका प्रतिमाह का भर्ती अनुपात 31.50 प्रतिशत था, जबकि इस सत्र में अक्टूबर तक सिर्फ 93 बच्चे ही एनआरसी में भर्ती हुए है, यानि प्रतिमाह भर्ती होने वाले बच्चों का अनुपात 13.21 प्रतिशत है। इसका मतलब ये हुआ कि आधे से भी कम अनुपात में बच्चे एनआरसी में भर्ती हुए हैं, छतरपुर के अलावा बडामलहरा, राजनगर, लवकुशनगर, बिजावर, नौगांव, गौरीहार में एनआरसी केन्द्र संचालित हो रहे हैं, हर केन्द्रों में न्यूनतम प्रतिमाह 40 अतिकुपोषित बच्चों को भर्ती करने का नियम है। कोरोना काल में संख्या को घटाकर 20 कर दिया गया है लेकिन अधिकांश केन्द्रों में हरमाह 10 मरीज भी भर्ती नहीं हो पा रहे हैं।
जिले में कुपोषण की क्या है स्थिति
जिले में वर्ष 2019 में कुपोषित बच्चों की संख्या 26483 थी, वहीं अतिकुपोषित बच्चों की संख्या 2564 थी, लेकिन कोरोना संक्रमण काल में देखभाल और इलाज न होने के कारण जिले में अतिकुपोषित बच्चों की संख्या बढ़कर 2782 हो गई है, यानि इस साल अतिक ुपोषित बच्चों की संख्या में 218 का इजाफा हुआ है। वहीं कुपोषित बच्चों की संख्या इस साल 25046 है। कम वजन वाले कुपोषित बच्चों की संख्या में 1437 की कमी आई है।
चिंताजनक है छतरपुर में शिशु मृत्यु दर
पूरे देश में प्रति हजार जन्म पर जहां 30 शिशुओं की जान जाती है तो वहीं राज्य के हिसाब से यह आंकड़ा 35 है, लेकिन छतरपुर जिले में प्रति हजार जन्म पर 79 शिशुओं की मौत हो जाती है। जन्म के बाद भी बच्चों की जिंदगी के लिहाज से छतरपुर जिला कम खतरनाक नहीं है। बाल मृत्यु दर के आंकड़ों पर नजर डालें तो पूरे देश में प्रति हजार जन्म के बाद 40 बच्चे अपनी जान गवां देते हैं तो वहीं राज्य के हिसाब से यह आंकड़ा 47 है लेकिन छतरपुर जिले में प्रति हजार जन्म पर 63 बच्चों की मौत हो रही है।

जान बचाने के लिए शुरु किया पूर्णा अभियान
जिले में कुपोषण से बच्चों की मौत को कम करने के लिए आकांक्षी जिला के अंतर्गत पूर्णा अभियान शुरु किया गया है। जिसके तहत अभियान चलाकर गांव-गांव में कैंप और डोर-टू-डोर संपर्क के जरिए जिले की 15575 गर्भवती महिलाओं की जांच की गई। जिसमें से हाई रिस्क वाली 536 गर्र्भवती महिलाओं को आवश्यक दवाइंया व पोषण आहार का वितरण किया गया है। पूर्णा अभियान के जरिए माताओं में पोषण की कमी को दूर किया जा रहा है, ताकि जन्म लेने वाले बच्चे में कुपोषण न हो। अक्टूबर माह में आशा व आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के जरिए चिंहित कुपोषित बच्चों व उनकी माताओं को आयरन, सुक्रोज की दवाइयों का वितरण किया गया। अभियान अभी भी जारी है, लेकिन अभिभावकों को अपने अतिकुपोषित बच्चों को एनआरसीट सेंटरों तक पहुंचाने में प्रशासन सफल नहीं हो पा रहा है।
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