जिले में सबसे ज्यादा 1749 केस छतरपुर अनुविभागीय अधिकारी के न्यायालय में लंबित है। जिसमें से 235 केस तो पांच साल पुराने हैं। वहीं, दूसरे नंबर पर नौगांव एसडीएम न्यायालय में 1138 केस लंबित हैं। इस न्यायालय में एक से पांच पुराने लंबित केसों की संख्या 204 है। इसके बाद लवकुशनगर एसडीएम न्यायालय में 844 केस लंबित हैं। इसके बाद बिजावर एसडीएम कोर्ट में 573 केस पेंडिंग है। राजनगर एसडीएम कोर्ट में 200 केस और बड़ामलहरा में 376 केस अभी लंबित हैं। हालांकि अपर कलेक्टर न्यायालय में केवल 185 केस की सुनवाई चल रही है।
जिले के तहसील न्यायालयों में लंबित राजस्व प्रकरणों में सबसे ज्यादा बुरा हाल छतरपुर तहसील का है। जहां 3362 प्रकरण लंबित है। इसमें 91 केस 2 से पांच साल पुराने हैं। बड़ामलहरा तहसीलदार कोर्ट में 196 प्रकरण, तहसीलदार घुवारा के कोर्ट में 251, बिजावर तहसीलदार की कोर्ट में 270,नजूल तहसीलदार के यहां 126 केस लंबित हैं। ईशानगर तहसीलदार कोर्ट में अभी 403 केस विचाराधीन हैं।
जिले में तहसीलदारों के 13 पद स्वीकृत हैं, लेकिन वर्तमान में केवल तीन छतरपुर, राजनगर और बकस्वाहा में तहसीलदार कार्यरत हैं। जबकि बाकी जगह प्रभारी व्यवस्था चल रही है। इसी तरह जिले में नायब तहसीलदारों के 24 पद स्वीकृति हैं, लेकिन वर्तमान में 14 नायाब तहसीलदार ही कार्यरत हैं। 10 पद खाली होने से एक अधिकारी पर दो- दो तहसीलों का भार है। जिससे पेंडेंसी बढ़ी हुई है।
जिले में न केवल तहसीलदारों बल्कि डिप्टी कलेक्टरों के भी पद रिक्त हैं। जिले में 11 पद डिप्टी कलेक्टरों के लिए स्वीकृति हैं। जिसमें से 8 डिप्टी कलेक्टर कार्यरत है, जबकि तीन पद अभी भी खाली बने हुए हैं। खाली पदों की लंबी फेहरिस्त होने के अलावा अपर कलेक्टर 31 जनवरी को सेवानिवृ्त हो रहे हैं। वहीं छतरपुर एसडीएम भी सेवानिवृती के करीब हैं। अधिकारियों की कमी को देखते हुए कलेक्टर संदीप जी आर ने पहल की है और शासकीय पत्र लिखकर प्रिसंपल सेक्रेटरी रेवेन्यू मनीष रस्तोगी को पत्र लिखकर प्रशासनिक कार्य प्रभावित होने का हवाला देते हुए खाली पदों को भरे जाने की मांग की है।
पदनाम पद खाली
डिप्टी कलेक्टर 11 03
तहसीलदार 13 10
नायब तहसीलदार 24 10