ग्यारह हजार दीपकों से प्रकाशित हुआ 24 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ
छतरपुरPublished: Jan 17, 2019 12:15:52 pm
– दीपमहायज्ञ में सभी धर्मों के प्रतिनिधियों की सहभागिता
छतरपुर। अखिल विश्व गायत्री परिवार द्वारा घोषित शक्ति संबर्धन वर्ष के अन्तर्गत बुधवार को स्थानीय गायत्री शक्तिपीठ छतरपुर में तृतीय दिवस में वातावरण परिष्कार, दुष्प्रवृत्ति उन्मूलन, सत्प्रवृत्ति संबर्धन एवं लोककल्याण की कामना का संकल्प लेकर गायत्री माता एवं पूज्य गुरुसत्ता के साथ गौरी-गणेश आदि देवशक्तियों का आवाहन कर देवपूजन के बाद आहुतियों का क्रम आरम्भ हुआ साथ ही पुंसवन संस्कार, नामकरण, विद्यारंभ एवं वेदारम्भ संस्कार सम्पन्न कराए गए। यज्ञाचायों ने संस्कारों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ‘पूज्य गुरुवरÓ ने संस्कारों को अनगढ़ से सुगढ़ बनाने की प्रक्रिया बताया है, जैसे कि खेतों से प्राप्त अन्न का उपयोग करने से पूर्व उसका शोधन किया जाता है उसी प्रकार जन्म-जन्मान्तरों के जमे कुसंस्कारों को हटाने के लिये संस्कार किए जाते हैं।
सायंकालीन सत्र में 11 हजार दीपों को प्रकाशित कर विश्वव्यापी समस्याओं के विनाशकारी बादलों को छांटने के लिए व उज्जवल भविष्य की संरचना के लिए गायत्री मंत्र से विशेष आहुतियां प्रदान की गईं। विश्व वंधुत्व की भावना से ओतप्रोत दीपयज्ञ में विशेष रूप से सभी धमोज़्ं के प्रतीकचिन्हों को दीपकों के माध्यम से प्रकाशित कर वसुधैव कुटुम्बकम की विचारधारा से सभी धर्मों के प्रतिनिधियों का अखिल विश्व गायत्री परिवार छतरपुर द्वारा स्वागत किया गया। इस यज्ञ के लिए नगर के 1000 हजार परिवारों से 11-11 दीपक महिला मंडल द्वारा एकत्रित किए गए जिससे समूचे नगर की यज्ञ में सहभागिता रही।
शान्तिकुन्ज से पधारी टोली ने बताया कि यज्ञ की अतिसूक्ष्म विधि दीपयज्ञ है, जिसका वर्णन वेदों में वर्णित है, समय की मांग को ध्यान में रखकर परमपूज्य गुरूदेव के प्रत्यक्ष मार्गदर्शन में एक जन अभियान प्रारंभ किया गया था। यज्ञीय प्रक्रिया को अत्यधिक सुगम तथा अत्यधिक व्यापक बनाने के लिए दीपयज्ञों का सृजन किया गया जिससे जनजीवन में यज्ञीय भावना का प्रवेश कराने में पर्याप्त सफ लता मिलती चली गई जो अत्यधिक प्रभावशाली एवं लोकप्रिय सिद्ध हो रही है।