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जिले में तीन साल में बने 4 लाख आयुष्मान कार्ड, 11 लाख का लक्ष्य, अब चला रहे अभियान

locationछतरपुरPublished: Mar 05, 2021 07:13:04 pm

Submitted by:

Dharmendra Singh

अब तक साढ़े 8 हजार लोगों को मिला साढ़े 12 करोड़ रूपए का इलाज6 हजार लोग गंभीर बीमारियों के कारण बाहर के अस्पतालों में करा चुके इलाज

बार-बार दस्तावेज दिखाने की जरूरत नहीं

बार-बार दस्तावेज दिखाने की जरूरत नहीं

छतरपुर। आयुष्मान भारत योजना के माध्यम से गरीबों को नि:शुल्क पांच लाख तक का सालाना इलाज मिलने की सुविधा भी जिले में प्रारंभ हो गई है। जिला कार्यक्रम अधिकारी राजेन्द्र खरे ने बताया कि अब तक जिले में 4 लाख 15 हजार 327 लोगों के आयुष्मान गोल्डन कार्ड बनाए जा चुके हैं जबकि जिले में 11 लाख 40 हजार लोगों के आयुष्मान कार्ड बनाए जाने हैं। उन्होंने कहा कि इस माह अभियान चलाकर लोगों के आयुष्मान कार्ड बनाए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि अब तक इस येाजना के माध्यम से 2400 लोग जिले के अस्पतालों में एवं 6 हजार लोग गंभीर बीमारियों के कारण बाहर के अस्पतालों में इलाज करा चुके हैं। इनके इलाज पर सरकार ने लगभग 12 करोड़ 39 लाख रूपए खर्च किए हैं। गरीबों के लिए यह बहुत हितकारी योजना है इसलिएपात्र हितग्राहियों को इसका लाभ लेना चाहिए।
बार-बार दस्तावेज दिखाने की जरूरत नहीं
कॉमन सर्विस सेंटर के माध्यम से आधार कार्ड, वोटर आईडी या पैनकार्ड के साथ राशन कार्ड देने पर इस कार्ड को आसानी से बनवाया जा सकता है। गोल्डन कार्ड बनवाने पर हितग्राही को बार-बार दस्तावेजों को दिखाने की जरूरत नहीं रहती। लाभार्थी को बार-बार पहचान प्रक्रिया से गुजरने के झंझट से मुक्ति मिल जाती है। जानकारों के मुताबिक ई-कार्ड गुम हो जाने पर कॉमन सर्विस सेंटर से नाम मात्र के शुल्क से नया कार्ड बन जाता है लेकिन यदि किसी का कार्ड बार-बार गुम होता है तो हितग्राही को इस संबंध में समझाइश दी जाती है। यह कार्ड एक वर्ष के लिए होता है और अपने आप कार्ड नवीनीकृत हो जाता है।
योजना में शामिल होने की इन लोगों को है पात्रता
गरीबों को पांच लाख तक का इलाज नि:शुल्क दिलाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आयुष्मान भारत निरामयम योजना लागू की है। योजना में तीन प्रकार के हितग्राही शामिल हैं। सामाजिक, आर्थिक, जातिगत जनगणना 2011 में चिन्हित डी-1 से डी-7 (डी-6 छोड़कर) वंचित श्रेणी के ग्रामीण परिवार एवं चिन्हित व्यवसाय आधारित शहरी परिवार शामिल हैं। ग्रामीण क्षेत्र के वे परिवार जो सिर्फ एक कमरे के मकान में रहते हैं, भूमिहीन, वे परिवार जिनकी मुखिया महिला है, दिव्यांग, अनुसूचित जाति जनजाति, आश्रयहीन, बेसहारा, आदिम आदिवासी समूह, कानूनी रूप से छुड़वाए गए बंधुआ मजदूर शामिल हैं। वहीं शहरी क्षेत्र में कचरा बीनने वाला, भिखारी, घरेलू कामगार, फुटपाथ विक्रेता, मौची, फेरीवाला, निर्माण मजदूर, बेल्डर, सुरक्षाकर्मी, कुली, मेहतर, सफाई कर्मचारी, माली, घरेलू कार्य करने वाले परिवहन कामगार, वाहन चालक, कंडेक्टर, हाथठेला चालक, रिक्शा चालक, दुकान कार्यकर्ता, चपरासी, वितरण सहायक, विद्युत कारीगर, खाद्य सुरक्षा पर्ची धारक, असंगठित क्षेत्र का मजदूर परिवार शामिल है।
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