scriptनगरीय निकायों में 61 फीसदी भूजल हो रहा रिचार्ज, दोहन 86 फीसदी तक, घट रहा स्तर | 61 groundwater recharge in urban bodies, up to 86 percent | Patrika News

नगरीय निकायों में 61 फीसदी भूजल हो रहा रिचार्ज, दोहन 86 फीसदी तक, घट रहा स्तर

locationछतरपुरPublished: Oct 15, 2021 06:13:28 pm

Submitted by:

Dharmendra Singh

जिले के बड़े शहरों में 16 व नगरीय निकायों में 14 मीटर पर पहुंचा भू-जल स्तरबारिश के तुरंत बाद भी जिले का औसत भू-जल स्तर 15 मीटर पर, गर्मियों में होगी परेशानी

जिले का औसत भू-जल स्तर 15 मीटर पर

जिले का औसत भू-जल स्तर 15 मीटर पर


छतरपुर। कम बारिश के चलते जलसंकट से जूझ रहेे जिले में भूजल का बेतरतीब दोहन बेरोकटोक हो रहा है। जिले में क्षमता से अधिक भूजल का उपयोग किया जा रहा है। नतीजतन छतरपुर शहर, नौगांव समेत राजनगर, बक्सवाहा और बड़ा मलहरा भूजल दोहन के मामले में क्रिटिकल स्टेज पर आ गए हैं। सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक जिले में 61 भूजल रिचार्ज होता है, जबकि अलग-अलग शहरों में 80 से 86 प्रतिशत तक भूजल निकाला जा रहा है। इससे हर साल भूजल स्तर तीन से चार मीटर कम हो रहा है। सबसे ज्यादा बुरी स्थिति नगरीय निकायों में है। यहां क्षमता से अधिक भूजल का दोहन हो रहा है। नौगांव में 86 फीसदी, छतरपुर शहर में 81 फीसदी तो बक्स्वाहा में 79.73 फीसदी भूजल का उपयोग हो रहा है। बड़ा मलहरा में ये आंकड़ा 71.08 और राजनगर में 71.36 फीसदी है।
बारिश के तुरंत बाद भी 15 मीटर पर भू-जल
ताजा आंकड़ो के अनुसार वर्तमान में जिले में औसत भू-जल स्तर 14.66 मीटर है। जिले के छतरपुर, नौगांव जैसे बड़े शहरों में भू जल स्तर 16 और छोटे नगरीय निकायों में 14 मीटर तक भू जल स्तर पहुंच गया है। बारिश का सीजन खत्म होते ही भू जल स्तर की ऐसी स्थिति चिंताजनक है। वर्षा जल के संरक्षण के लिए रैन वाटर हार्वेस्टिंग, खेत तालाब, चैकडेम, मेढबंधान के साथ कई योजनाएं संचालित हैं।लेकिन योजनाओं पर सही तरीके से काम न होने के कारण बारिश का पानी हर साल बह जा रहा है। इससे भी भूजल का स्तर गिर रहा है।
औसत बारिश भी घटी
इस साल बारिश कम होने से प्रदेश के 9 जिलों समेत छतरपुर जिला रेड जोन में आ गया है। जिले की औसत बारिश 42.3 इंच की तुलना में जिले में इस बार केवल 29.2 इंच बारिश हुई है, जो पिछले साल हुई औसत बारिश 32.3 इंच से 3.1 इंच कम है। जबकि 30 सिंतबर तक जिले में पिछले साल हुई 29.4 इंच बारिश का आंकड़ा भी इस साल पूरा नहीं हो पाया है। मानसून की बेरुखी के चलते जिले के बांध इस बार आधे भी नहीं भर पाए हैं, जिससे सिंचाई और बोरबेल के जरिए पीने के पानी पर आश्रित लोगों को परेशानी का सामान करना पड़ सकता है।
बांधों में कम पानी का सिंचाई पर पड़ेगा असर
जिले में करीब 1 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई बांधों से की जाती है। लेकिन इस बार बारिश कम होने से बांध आधे भी नहीं भर पाए हैं, जिससे सिंचाई सुविधाओं पर इस साल असर पड़ रहा है। खूडऱ नदी पर बने बेनीगंज बांध में अब तक केवल 43 प्रतिशत जलभराव हो पाया है। वहीं, छतरपुर शहर को पेयजल उपलब्ध कराने वाले बूढ़ा बांध में इस साल 17 प्रतिशत जलभराव हुआ है। गोरा तालाब में इस बार मात्र केवल 9 फीसदी पानी ही जमा है। कुटनी डेम में इस बार भी ठीक-ठाक पानी जमा हुआ है, बांध अपनी क्षमता का 48 फीसदी भर गया है। जबकि बड़े बांधों में शामिल रनगुंवा में अभी तक 17 फीसदी जलभराव हो सका है। वहीं सिंहपुर में 28 फीसदी ही पानी जमा है। उर्मिल में 14 और तारपेड़ में 54 फीसदी जलभराव हो सका है।
2017 के सर्वे में भी क्रिटिकल जोन में था जिला
मध्य प्रदेश में जलस्तर की हकीकत जानने के लिए सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड नॉर्थ रीजन ने नवंबर 2017 में सर्वे कराया था। इसमें प्रदेश के 11 जिलों में भूजल की स्थिति खराब बताई गई थी। वर्ष 2017 में इन जिलों में जलस्तर में चार मीटर तक की कमी दर्ज हुई थी। इनमें छतरपुर जिला भी शामिल था। जानकारी के मुताबिक पांच साल में छतरपुर में जलस्तर में गिरावट जारी है। इसके चलते छतरपुर को क्रिटिकल जोन में रखा गया था।

फैक्ट फाइल
वर्तमान भूजल स्तर
ब्लॉक भूजल स्तर (मीटर में)
छतरपुर 16.22
नौगंाव 16.65
बिजावर 18.20
राजनगर 16.18
बकस्वाहा 16.45
लवकुशनगर 12.42
बड़ामलहरा 10.85
गौरिहार 10.42

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो