उत्तर पुस्तिकाओं में हेरफेर पर कॉलेज के प्राचार्य को ७ साल की कैद, 2 लाख 10 हजार का जुर्माना
वर्ष 2007-08 में हरपालपुर कॉलेज के प्रभारी प्राचार्य रहते हुए की थी गड़बड़ी
361 उत्तरपुस्तिकाओं में की गई थी हेराफेरी, पंचम अपर सत्र न्यायाधीश ने सुनाया फैसला

छतरपुर। बीएससी, बीए, एमए की 15 विषयों की परीक्षाओं की 361 कॉपियों को बदलने के मामले में पंचम अपर सत्र न्यायाधीश आरएल शाक्य की अदालत ने नौगांव शासकीय महाविद्यालय के प्राचार्य व तत्कालीन प्रभारी प्राचार्य शासकीय कॉलेज हरपालपुर के प्राचार्य डॉ. एनपी निरंजन को ७ साल की सजा सुनाई है। कोर्ट ने धारा 420, 467, 471,468 में अलग-अलग कुल 16 साल की सजा और 2 लाख 10 हजार का जुर्माना लगाया है। कोर्ट ने सजा सुनाने के बाद डॉ. निरंजन को जिला जेल भेज दिया है।
जांच के बाद दर्ज हुआ था केस
शासकीय महाविद्यालय हरपालपुर को मुख्य परीक्षा 2007 का परीक्षा केंद्र बनाया गया था। परीक्षा केंद्र के अधीक्षक डॉ. एनपी निरंजन प्रभारी प्राचार्य शासकीय महाविद्यलाय हरपालपुर को नियुक्त किया था। जिनकी जिम्मेदारी में समस्त परीक्षा होनी थी। उत्तर पुस्तिकाओं का लेखा जोखा, प्रश्न पत्रों का संपूर्ण हिसाब दिया जाना की जिम्मेदारी डॉ. निरंजन की थी। लेकिन डॉ. निरंजन के द्वारा एक ही रोल नंबर की दो उत्तर पुस्तिकाएं जमा की, जिसपर कुल सचिव द्वारा जांच समिति गठित की गई थी। जांच में सामने आया कि परीक्षा हस्ताक्षर सीट में दर्ज उत्तर पुस्तिकाओ के सरल नंबर और मुख्य उत्तर पुस्तिकाओ के सरल नंबर अलग अलग थे। परीक्षा भवन में छात्रो को दी गई उत्तर पुस्तिका को महाविद्यालय में बाद में बदल दिया गया और परीक्षा भवन से बाहर लिखी गई उत्तर पुस्तिका बंडल में रख दी गई। डॉ0 सुभाषचंद्र आर्य उप कुलसचिव हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर के परीक्षा गोपनीय विभाग में पदस्थ थे। जिन्होनें शासकीय महाविद्यालय हरपालपुर में आयोजित वर्ष 2007 की मुख्य परीक्षा में की गई अनियमितताओं की जांच में गड़बड़ी पाए जाने के हेराफेरी और अनियमितता में रुपयों का भारी लेनदेन की संभावना को देखते हुए हरपालपुर थाना में अपराध क्रमांक 174/2008 दर्ज कराया था। गजेंद्र सिंह बघेल और अंकिता चतर्वुेदी के बयान से भी रुपयों के लेन देन की पुष्टि हुई थी। इस मामले में सुनवाई के बाद अदालत ने दोषी पाए जाने पर सजा सुनाई है।
न्यायाधीश आरएल शाक्य की अदालत ने सुनाई सजा
अभियोजन की ओर से एजीपी अरुण देव खरे ने पैरवी करते हुए मामले के सभी सबूत एवं गवाह कोर्ट के सामने पेश किए और आरोपी प्राचार्य को कठोर सजा देने की दलील रखी। पंचम अपर सत्र न्यायाधीश आरएल शाक्य की अदालत ने फैसला सुनाया है कि आरोपी प्राचार्य के द्वारा शिक्षा से संबंधित परीक्षाओ में गंभीर अनियमितता करते हुए उत्तर पुस्तिकाओं में हेरा फेरी करके अवैधाानिक लाभ प्राप्त किया है। ऐसे मामले नरम रुख अपनाया जाना कानून की नजर से सही नही है। कोर्ट ने आरोपी प्राचार्य डॉ निरंजन को दोषी पाते हुए 16 साल की कठोर कैद के साथ दो लाख दस हजार रुपए के जुर्माना की सजा सुनाई है।
यौन उत्पीडऩ का भी चल रहा केस
14 फरवरी 2017 को हरपालपुर के शासकीय राजा हरपाल सिंह महाविद्यालय की एक छात्रा ने तात्कालीन प्राचार्य डॉ. एनपी निरंजन के खिलाफ अच्छे नंबरों से पास कराने की बात कहकर फोन पर अश्लील बातें करने का मुकदमा हरपालपुर थाना में दर्ज कराया गया था। छात्रा ने बातचीत की रिकॉर्डिंग व सिम भी हरपालपुर पुलिस को दी थी। जिस पर पुलिस ने डॉ. निरंजन के खिलाफ ३५४ ए, 509 के तहत मुकदमा दर्ज किया था। ये केस जेएमएफसी कोर्ट नौगांव न्यायालय में चल रहा है।
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