जिला अस्पताल में कोरेाना के संदेहास्पद मरीजों के लिए 40 बिस्तर का निमोनिया वार्ड बनाया गया है जो कि मंगलवार को फुल हो चुका है। इस वार्ड में अपनी कोरोना रिपोर्ट का इंतजार करने वाले मरीज भर्ती हो चुके हैं। ज्यादातर मरीजों का ऑक्सीजन लेबिल नीचे गिर रहा है। वार्ड में तैनात स्टाफ के बीच अफरा-तफरी का माहौल देखा जा रहा है।
जिला अस्पताल में कोरोना की जांचों के लिए फीवर क्लीनिक बनाया गया है। जिन लोगों को सर्दी, खांसी, बुखार जैसी समस्याएं हैं वे सभी इस फीवर क्लीनिक में अपनी कोविड जांच करा सकते हैं। पिछले एक सप्ताह में कोरोना की बेकाबू लहर के कारण यहां की व्यवस्थाएं भी धराशायी होने लगी हैं। फीवर क्लीनिक में सेम्पल लेेने और मरीज का रजिस्ट्रेशन करने के लिए एक दो काउंटर बनाए गए हैं। जिसके कारण अत्यधिक भीड़ लग रही है। उल्लेखनीय है कि जिले में प्रति दिन लगभग 700 जांचें की जा रही हैं इनमें से 400 जांचें छतरपुर जिला अस्पताल में हो रही हैं।
कोरोना वायरस की चपेट में आए भोपाल में कार्यरत एक 38 वर्षीय चिकित्सक डॉ. राकेश जैन का निधन हो गया है। डॉ. राकेश जैन छतरपुर जिले के बड़ामलहरा के निवासी थे उनके पिता बालचन्द्र जैन सेवानिवृत्त पंचायत इंस्पेक्टर रहे। डॉ. जैन भोपाल के मिनाल में अपना क्लीनिक संचालित करते थे। पिछले दिनों भोपाल में ही संक्रमित होने के कारण वे चिरायु अस्पताल में भर्ती थे जहां मंगलवार को उन्होंने दम तोड़ दिया। डॉ. जैन की मौत से बड़ामलहरा में शोक की लहर रही।
कोरोना वायरस की दूसरी लहर में संक्रमण कितनी तेजी से फैल रहा है इसका अंदाजा छतरपुर जिले के पिछले 25 दिनों के आंकड़़ों से लगाया जा सकता है। जिले के कोरोना मुक्त होने के बाद दूसरी लहर का पहला कोरोना मरीज 18 मार्च को सामने आया था। महज 25 दिनों के बाद 13 अप्रेल को एक्टिव केसों का आंकड़ा 528 हो गया। दूसरी लहर में यह वायरस तेजी से फैल रहा है।
जिला अस्पताल सहित जिले भर में प्रतिदिन लगभग 700 लोगों के कोरेाना सेम्पल लिए जा रहे हैं। हालांकि जांच नतीजे मिलने में अब भी काफी देर लग रही है। जांच सुविधा के प्रभारी डॉ. आरपी गुप्ता ने बताया कि शासन के निर्देश के मुताबिक 70 फीसदी लोगों की आरटीपीसीआर जांच कराई जा रही है जिसका सैंपल सागर मेडिकल कॉलेज भेजा जाता है जबकि तुरंत जांच का नतीजा देने वाली एंटीजन जांचें 30 फीसदी लोगों की ही हो रही हैं। सागर से आने वाला जांच नतीजा दो से तीन दिन बाद प्राप्त हो रहा है जिसके कारण संदेहास्पद लोग और बीमार हो रहे हैं साथ ही पलमोनरी वार्ड में मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। सूत्र बताते हैं कि एंटीजन किटों की संख्या कम मिलने के कारण भी ज्यादा से ज्यादा जांचें आरटीपीसीआर से कराई जा रही हैं।