इसबार जौ की खेती का रकवा भी बढ़ा है। इस बार 15 हजार 500 हेक्टेयर में जौ बोई गई है। जबकि पिछली बार 8 हजार 550 हेक्टेयर में जौ लगाई गई थी। इस बार राई-सरसों 54 हजार 245 हेक्टेयर में बोई गई है, जो पिछली बार 24 हजार हेक्टेयर में बोई गई थी। अलसी इस रबी सीजन में 5 हजार 200 हेक्टेयर में बोई गई है, जबकि पिछले साल इस फसल का रक वा 2 हजार हेक्टेयर था। मसूर में भी बढोत्तरी हुई है, पिछली बार 3 हजार 760 हेक्टेयर में बोई गई है, जो इस साल 5 हजार 300 हेक्टेयर था। चना की बोबनी में भी 30 हजार हेक्टेयर की बढोत्तरी हुई है, जबकि मटर का रकवा इस बार भी पिछले साल जितना है।
रबी सीजन की जारी बोबनी में अब तक 4 लाख 26 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में बोबनी की गई है। इस साल 20 दिसंबर तक जिले में 4 लाख 72 हजार हेक्टेयर में बोबनी का लक्ष्य रखा गया है। पिछले साल 4 लाख 71 हजार हेक्टेयर में बोबनी हुई थी। इस बार दलहन फसलें 1 लाख 40 हेक्टेयर में बोई गई है। जो पिछले साल 1 लाख 13 हजार हेक्टेयर में बोई गई थी। तिलहन की फसल अब तक 59 हजार हेक्टेयर में बोई गई है, जो पिछले साल मात्र 26 हजार हेक्टेयर में बोई गई थी।
जिले में 41001 मीट्रिक टन यूरिया की मांग है, जिसके एवज में अभी तक 23416 मीट्रिक टन यूरिया अब तक बांटी गई है, वहीं 3292 मीट्रिक टन यूरिया जिले में स्टॉक बचा है। इसी तरह डीएपी की 35 हजार मीट्रिक टन आवश्यकता है, जबकि अब तक 14461 मीट्रिक टन डीएपी बांटी गई है, पूरे जिले में अब केवल 885 मीट्रिक टन डीएपी ही बचा है। जिले में खाद की कुल मांग 78152 मीट्रिक टन है। जिसमें से अब तक 46990 मीट्रिक टन खाद बांटी गई है।
मात्रा हेक्टेयर में
अब तक बोबनी- 4 लाख 72 हजार
गेहूं- 2 लाख 10 हजार
जौ- 15 हजार 500
सरसों- 54 हजार 245
अलसी- 5 हजार 200
मसूर- 5 हजार 300