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बाहर से लौटे प्रवासियों के लिए उनके हुनर के मुताबिक उद्योग शुरु करने से मिलेगा रोजगार

locationछतरपुरPublished: Jun 05, 2020 09:28:50 pm

Submitted by:

Dharmendra Singh

कन्स्ट्रक्शन, फॉर्मा, टैक्सटाइल कंपनियों में काम करने वाले मजदूरों की हुई है वापसीजिले की परिस्थितियों के अनुसार खनिज से जुड़े उद्योग की है संभावनाएंबने नया भारत

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छतरपुर। जिले में अबतक करीब 72 हजार लोगों की वापसी हुई है, जिसमें 40 हजार करीब मजदूर वर्ग से हैं। ये प्रवासी मजदूर दिल्ली, हरियाणा और सूरत जैसे शहरों से अपने गांव वापस आए हैं। वापस आने वाले इन मजदूरों ने कन्स्ट्रक्शन कंपनी, फॉर्मासियुटिक्ल्स कंपनी और टैक्सटाइल कंपनियों में काम करने का हुनर सीखा है। छतरपुर जिले में इन मजदूरों के हुनर से संबंधित उद्योगों की स्थापना करके न केवल इन मजदूरों को रोजगार दिलाया जा सकता है, बल्कि उनके हुनर का इस्तेमाल कर जिले में नए उद्योग शुरु किए जा सकते हैं। जिले की भौगोलिक परिस्थितियों के मुताबिक खनिज से जुड़े उद्योगों में भी मजदूरों को रोजगार दिया जा सकता है।
खनिज उद्योग में ज्यादा संभावनाएं
खनिज के कारोबार से जुड़े दिलीप चौबे के अनुसार जिले में सबसे ज्यादा संभावनाएं खनिज से जुड़े उद्योगों की है। जिले में स्टोन क्रशर, ग्रेनाइट खदान और रेत खदान संचालित की जा रही है। ऐसे में कंस्ट्रक्शन कंपनियों में काम करने वाले मजदूरों को अपने जिले में ही खनिज आधारित उद्योगों को बढ़ावा देकर रोजगार दिया जा सकता है। प्रकाश बम्हौरी, चंदला, बारीगढ़ और बक्स्वाहा इलाके में नए क्रशर उद्योग स्थापित कर मजदूरों को रोजगार दिया जा सकता है। वहीं, लवकुशनगर, राजनगर-बमीठा इलाके में ग्रेनाइट की नई खदानें शुरु कर मजदूरों को रोजगार दिया जा सकता है। इसके साथ ही जिले में संचालित 48 रेत खदानों पर मजदूरों को काम देकर उन्हें रोजगार दिया जा सकता है। इससे नदी से रेत निकालते समय मशीनों का प्रयोग बंद होने से नदी का बॉयोलॉजिकल सिस्टम सुरक्षित रहेगा और इस उद्योग से लोगों को रोजगार मिलेगा।
कंस्ट्रक्शन उद्योग भी दिला सकता है रोजगार
जिले में चल रहे शासकीय निर्माण कार्य में मजदूरों को काम दिया जा सकता है। निर्माण ठेकेदार विकास पांडेय के अनुसार शासकीय या प्राइवेट, सभी तरह के निर्माण कार्यो में मजदूरों की आवश्यकता रहती है। बाहर से आए मजदूरों को आधुनिक मशीनों व निर्माण कार्य करने का अनुभव होता है। ऐसे में इन मजदूरों की मदद से भवन निर्माण, सड़क निर्माण जैसे कार्यो को गुणवत्ता के साथ किया जा सकता है। इससे निर्माण कार्य को गति मिलने के साथ ही बाहर से आए मजदूरों को रोजगार भी मिलेगा।
कपड़ा निर्माण भी कर सकते हैं शुरु
कपड़ा व्यापारी आलोक चतुर्वेदी के अनुसार जिले में सूरत की कपड़ा मिलों में काम करने वाले मजदूरों की वापसी भी हुई है। ऐसे मजदूरों को साड़ी व अन्य कपड़ों के निर्माण का अनुभव है। जिले में कपड़ा निर्माण से जुड़े उद्योग लगाकर नवाचार किया जा सकता है। वैसे भी जिले में कपड़ा निर्माण कार्य नहीं हो रहा है। नया उद्योग खुलने से लोगों को रोजगार मिलने के साथ ही नई संभावनाओं की गुंजाइश बनेगी। छतरपुर से लगे मउरानीपुर और चंदेरी कपड़ा निर्माण के लिए प्रसिद्ध रहे हैं। मउरानीपुर और चंदेरी के उद्योगों के लिए सहायक इकाइयों के रुप में भी जिले में कपड़ा निर्माण का कार्य शुरु किया जा सकता है। जिले के नौगांव-हरपालपुर इलाके में इस तरह की इकाइयां शुरु की जा सकती हैं।

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