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आचार्यश्री विद्यासागर ने खजुराहो से ससंघ किया विहार

locationछतरपुरPublished: Nov 10, 2018 12:23:17 pm

Submitted by:

Neeraj soni

– आचार्यश्री को विदा करने उमड़ा जनसैलाब, खजुराहो हुआ बेरौनक

Chhatarpur

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छतरपुर। अनियत विहारी संत शिरोमणि आचार्यश्री विद्यासागर महाराज का शुक्रवार की सुबह 6.३० बजे श्री दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र खजुराहो से ससंघ राजनगर, विक्रमपुर की ओर अकस्मात विहार हो गया। एक उप संघ ने वरिष्ठतम मुनिश्री योग सागर जी महाराज के साथ बमीठा की ओर विहार किया। आचार्यश्री को विदाई देने जैन व अजैन श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा। वर्षा योग के चार महीनों के दौरान खजुराहो में धर्म की गहरी प्रभावना करने वाले आचार्यश्री के अकस्मात विहार कर जाने से श्रद्धालुओं की आँखें नम हो गईं। श्रद्धालुओं का विशाल जनसमूह भारी मन से आचार्यश्री का विहार कराने नंगे पैर ही उनके साथ चल पड़ा। दूसरी ओर आचार्यश्री के गमन करते ही खजुराहो की चार माह की रौनक एक पल में ही मायूसी और वीरानी में तब्दील हो गई।
जैन समाज के डॉ. सुमति प्रकाश जैन के अनुसार आचार्यश्री अपने किसी भी आगामी कार्यक्रम की पूर्व जानकारी किसी को नहीं देते हैं। श्रद्धालु भी उनके मन की बातों को जानने का पूरा कयास लगाते हैं, लोग सोचते कुछ हैं, हो कुछ जाता है। उनका रुकना या जाना एकदम अनिश्चित होता है, वे कोई नियत कार्यक्रम नहीं बताते। इसलिए आचार्यश्री को अनियत विहारी भी कहा जाने लगा है। आज भी यही हुआ। आचार्यश्री ने अपने वर्षायोग के चार माह पूरे होने के बाद ही अप्रत्याशित रूप से 4 नवंबर रविवार की अलसुबह पिच्छिका परिवर्तन के निर्णय से चार्तुमास समिति को अवगत करा दिया था। समिति ने सक्रियता से उसी दिन रविवार की दोपहर 3 बजे ही पिच्छिका परिवर्तन समारोह पूरी गरिमा एवं भव्यता से आयोजित भी कर दिया।
पहले ही विहार का संकेत दे चुके थे आचार्यश्री :
आचार्यश्री ने सभी 38 साधुओं की पिच्छिका परिवर्तन के बाद अपने विशेष प्रवचन में बातों ही बातों में खजुराहो से विहार करने के संकेत दे दिए थे।अपने प्रवचन के दौरान आचार्यश्री ने खजुराहो के नगरवासियों, स्थानीय जैन एवं अजैन श्रद्धालुओं, देश-विदेश से आने वाले श्रावकों, चातुर्मास सहित सभी कमेटियों, सभी प्रकार के व्यवसायियों, चौका लगाने वाले श्रद्धालुओं आदि की सराहना करते हुए कहा कि उन्हें अपने खजुराहो चातुर्मास में सबसे अधिक प्रसन्नता और शांति मिली है। प्रवचन में इस तरह की बातों ने सभी समितियों एवं श्रद्धालुओं में आचार्यश्री के जल्दी ही खजुराहो से विहार कर जाने की आशंका और हलचल सी पैदा कर दी थी। वर्षायोग के चार महीने पूरे होने के साथ भगवान महावीर स्वामी का निर्वाणोत्सव दीपावली के रूप में मनाने के बाद आचार्यश्री खजुराहो से कहीं भी ससंघ प्रस्थान कर जाने को स्वतंत्र हो चुके थे। शुक्रवार को श्रद्धालुओं के मन में चल रही सभी अटकलों और अनुमान पर तब विराम लग गया जब आचार्यश्री ने अपने विशाल संघ के साथ राजनगर की ओर गमन कर दिया। अनुमान लगाया जा रहा है कि आचार्यश्री ललितपुर में 24 नवम्बर से शुरू होने वाले पंचकल्याणक एवं गजरथ महोत्सव में ससंघ सानिध्य लाभ प्रदान कर सकते हैं। आचार्यश्री के निर्देशानुसार छह मुनियों का एक उपसंघ मुनिश्री योगसागर के सानिध्य में बमीठा की ओर विहार कर गया। आशा की जारही है कि ये उपसंघ सागर में 8 दिसंबर से आयोजित होने वाले पंचकल्याणक एवं गजरथ महोत्सव में अपना मंगल सानिध्य प्रदान कर सकता है। जिस खजुराहो में जुलाई माह में पर्यटन एवं आर्थिक दृष्टि से कड़की एवं बेनूरी रहती थी, आचार्यश्री के 14 जुलाई को खजुराहो प्रवेश करते ही ऐसी रौनक आई कि ऑफ सीजन में भी खजुराहो के पर्यटन उद्योग से जुड़ा हर व्यवसाय गुलज़ार हो उठा। श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र, खजुराहो के पूरे परिसर में धर्म की ऐसी गंगा बही कि देश विदेश से यहां आकर श्रद्धालुओं ने गहरी डुबकी लगाई और अपना जीवन धन्य किया।
डॉ. सुमति प्रकाश जैन ने बताया कि वर्षायोग के दौरान आचार्यश्री के ससंघ सानिध्य में चार महीनों के दौरान अनेक ऐसे बड़े कार्यक्रम आयोजत हुए हैं जो मील का पत्थर साबित हुए हैं। खजुराहो में आचार्यश्री के सानिध्य में सयंम स्वर्ण महोत्सव समापन समारोह, देश के विशिष्ट व्यक्तित्वों को सर्वोदय सम्मान समारोह, बहुउद्देशीय राष्ट्रीय चिकित्सा शिविर, हथकरघा सम्मेलन, शहीदों के वंशजों के सम्मान का जरा याद करो बलिदान स्वराज सम्मेलन, खजुराहो कला महोत्सव, हथकरघा के लुभावने श्रमदान केंद्र का उद्घाटन, विद्वत संगोष्ठी, बहुभाषी अंतर्राष्ट्रीय शाकाहार प्रदर्शनी, स्वर्णोदय तीर्थक्षेत्र की स्थापना, समवशण मंदिर एवं सहस्त्रकूट जिनालय का शिलान्यास, प्रतिभास्थली की छात्राओं एवं दीदियों का सम्मेलन, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, इंडिया नहीं भारत बोलो,हिंदी अपनाओ, गाय बचाओ देश बचाओ, शिक्षा के साथ संस्कार, स्वदेशी पहनो-स्वावलंबन लाओ अभियान, श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान,1200 किमी दूर कोपरगाँव के पदयात्रियों एवं कानपुर से साइकिल यात्रियों का आचार्यश्री के दर्शनार्थ आगमन आदि ऐसे अनेक ऐतिहासिक एवं यादगार प्रसंग श्रद्धालुओं को देखने का सौभाग्य मिला है। डॉ. जैन के अनुसार राजनगर में निर्मल सुनील जैन के यहां आहारचर्या निरंतराय-सानन्द होने के बाद आचार्यश्री ने दोपहर 2 बजे विक्रमपुर-छतरपुर की ओर पुन: विहार शुरू कर दिया था, विक्रमपुर में साधु संघ का रात्रि विश्राम संभावित है।
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