ऐश्वर्या वारियर के मोहनी अट्टम से शुरू हुई डांस फेस्टिवल की दूसरी शाम
भगवान विष्णु के वैभव को नृत्य के जरिये दर्शाया, सत्रिया नृत्य के जरिए जन्मदाता, पालनकर्ता और संहारकर्ता तिदेव की उपासना की

छतरपुर। खजुराहो डांस फेस्टिवल की दूसरी शाम ऐश्वर्या वारियर के मोह्निअट्टम नृत्य से हुई। नृत्य में पीएचडी वारियर ने प्रस्तुति के पहले चरण में नाट कुरंजी को राग और भलिका ताल के जरिए विघ्नहर्ता गणेश को नमन करते हुए आदि मंत्र ओमकार को इस स्थिति में दर्शाया |
इसके बाद दूसरी प्रस्तुति में ऐश्वर्या बाजार में उत्सव प्रबंधन को मोहिनीअट्टम नृत्य के जरिए प्रस्तुत किया। जिसमें पद्मनाभ मंदिर त्रिवेंद्रम में कमल वाहन पर सवार कोई पुरूषमंदिर की परिक्रमा करता है । इस उत्सव को देखते हुए दो सखियां आपस में चर्चा कर रही हैं कि कनक जगत मूर्ति आ रही है जो कमल वाहन पर सुशोभित है सखियां आपस में चर्चा करती हैं कि कौन हो सकता है यह क्या यह इंद्र है जो इतने वैभवशाली हैं या फिर चंद्रमा है जो कोमल है या सेव हैं जो पार्वती के पति हैं या शूर हैं जो अति तेज है या फिर कुबेर है जो बहुत धनी है। सखियों के इस संवाद को मोहनी अट्टम नृत्य के जरिए प्रस्तुत करते हुए ऐश्वर्या याद में प्रबंधन को दर्शाया और बताया कि अंत में दोनों सखियों को ज्ञात होता है कि भगवान विष्णु है जितनी वैभवशाली है।
नृत्य के जरिए की त्रिदेव की वंदना
दूसरी प्रस्तुति सत्रिया नृत्य की हुई। जिसमें मीर नंदा बार ठाकुर ने नृत्य के जरिए त्रिदेव वंदना को प्रस्तुत किया। ब्रह्मा विष्णु और महेश हर प्राणी सृष्टि और जीव के सर्जन करता पालनहार और संघार करता हैं इसलिए त्रिदेव की वंदना की जाती है । त्रिदेव वंदना को नृत्य के जरिए प्रस्तुत किया । इसके बाद पारंपरिक नृत्यों में सबसे भिन्न और विरल नृत्य सात्रिया के जरिए बारठाकुर ने सवाल जबाव की जुगल बंदी प्रस्तुत की। इसके लिए कथाकार साथिया के कलाकारों ने मंच पर एक साथ प्रस्तुति दी। इसके बाद युगल समूह में सत्रिया की प्रस्तुति दी गई।
जीवन पानी की बूंद
कार्यक्रम की तीसरी प्रस्तुति अरुणा मोहंती एवं उनके साथियों ने ओडसी समहू नृत्य प्रस्तुत किया। जिसमें बताया गया कि जीवन चक्र पानी की बूंद की तरह है, जिसका अस्तित्व एक पल है लेकिन अगले पल नहीं है। नृत्य के माध्यम बताया गया कि जीवन चक्र के भवसागर से मुक्ति का मार्ग केवल भज गोविन्दम है। गोविंद की कृपा से ही वैतरणी पार होगी।
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