महाराजा छत्रसाल बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय की कक्षाएं इस वर्ष से महाराजा कॉलेज में प्रारंभ हो गई हैं। महाराजा कॉलेज में इस वर्ष आए साढ़े तीन हजार नए विद्यार्थियों को मिलाकर अब विद्यार्थियेां की संख्या 14 हजार पहुंच चुकी है। इन विद्यार्थियों के बैठने एवं पढ़ाने के लिए यहां पर्याप्त संसाधन उपलब्ध नहीं है। महाराजा कॉलेज एवं विश्वविद्यालय के पास पुराना लगभग 40 करोड़ रूपए का फंड मौजूद है। उच्च शिक्षा मंत्री ने इसी फंड से गौरया में चिन्हित विश्वविद्यालय की 418 एकड़ जमीन पर भवन निर्माण के लिए ऐलान किया था, लेकिन अब तक इस राशि की प्रशासकीय स्वीकृति अभी तक प्राप्त हुई है और न ही निर्माण के संबंध में कोई सक्रियता नजर आ रही है। उधर विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए भी महाराजा कॉलेज के पास सिर्फ 75 नियमित प्रोफेसर, 10 अतिथि विद्वान एवं 5 जनभागीदारी समिति द्वारा लिए गए अतिथि विद्वान मौजूद हैं। कहने के लिए यहां अब 21 अध्ययन शालाएं संचालित हो रही हैं और 18 शोध कार्य भी प्रारंभ हो गए हैं लेकिन ज्यादातर काम सीमित संसाधनों के दम पर किया जा रहा है।
नए क्लासरुम बनाए जाने के लिए राशि आने के साथ ही अकादमिक व प्रशासनिक भवन के लिए 40 करोड़ की राशि से विवि के लिए आवंटित जमीन पर कुलपति भवन, प्रशासनिक भवन और अकादमिक भवन का निर्माण किया जाना है। विवि कैंपस के प्रस्ताविक नक्शे के अनुसार ये भवन पांच मंजिला बनाए जाएंगे।
शासन ने महाराजा के विलय के पहले ही विश्वविद्यालय में नए क्लासरुप में बनाने के लिए 6.50 करोड़ रुपए की राशि दी है। इस राशि से महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड के वर्तमान व महाराजा कॉलेज के कैंपस में प्रोफेसर्स के आवासों के पीछे खाली पड़ी जमीन पर भवन बनाया जाएगा। विश्वविद्यालय में लगातर बढ़ती छात्र संख्या को देखते हुए क्लासरुम बनाए जाना है। महाराजा कॉलेज के कैंपस में अभी तक 8 से 10 हजार छात्र-छात्राएं ही पढ़ते रहे हैं। कैंपस में ही विवि शुरु होने से क्लासरुम की जरूरत बढ़ गई है।
विद्यार्थियों के लिए लिहाज से हमारा विश्वविद्यालय प्रदेश का सबसे बड़ा विश्वविद्यालय बन गया है। 40 करोड़ रूपए की राशि से होने वाले निर्माण कार्य की प्रशासकीय स्वीकृति मिलते ही हम नए भवन का निर्माण कार्य शुरू करेंगे।
टीआर थापक, कुलपति, यूनिवर्सिटी छतरपुर