20 साल की उम्र में मजदूर की बेटी एयर इंडिया में बन गई असिस्टेंट मैनेजर
छतरपुरPublished: Feb 01, 2019 08:09:25 pm
– आभाव के बीच पार्ट टाइम जॉब करके सेल्फ स्टडी की बदौलत पहले ही प्रयास में पाया मुकाम
नीरज सोनी
छतरपुर। शहर से सटे बूदौर गांव के मजदूर परिवार की एक 20 साल की बिटिया नेहा कुशवाहा एयर इंडिया में ऑफीसर बन गई है। नेहा का चयन एयर इंडिया में असिस्टेंट मैनेजर के पद पर हुआ है। नेहा ने सेल्फ स्डटी करके यह मुकाम पाया है। गरीब परिवार की नेहा के माता-पिता हरदयाल-कृष्णा कुृशवाहा दिल्ली में रहकर मजदूरी करते हैं। वे मकर संक्रांति पर अपने बच्चों से मिलने आए थे, तभी चार दिन पहले नेहा के पास एयर इंडिया की ओर से ज्वाइनिंग लेटर आ गया। नेहा ने सितंबर २०१८ में एयर इंडिया की इस पोस्ट के लिए फार्म भरकर सेल्फ स्टडी की थी। अक्टूबर में दिल्ली में जाकर परीक्षा दी और इंटरब्यू देकर लौट आई। जनवरी के अंतिम सप्ताह में जब रिजल्ट आया तो नेहा की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। वह अपने मजदूर पिता से लिपटकर खूब रोई। बोली अब पापा-मम्मी को मजदूरी नहीं करने देगी। नेहा २९ जून को दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट में एयर इंडिया में बतौर असिस्टेंट मैनेजर के रूप में ज्वाइन करेगी।
नेहा कुशवाहा तीन साल पहले छतरपुर आई थी। एक किराए के कमरे में रहकर उसने शासकीय गल्र्स कॉलेज से बीएससी किया। इसके बाद पुलिस, एसएससी, रेलवे व जेल प्रहरी से लेकर कई तरह के जॉब के लिए लगातार एप्लाई किया और सेल्फ स्टडी करके अपना सपना साकार करने में लगी रही। पिछले साल अक्टूबर में एयर इंडिया की जॉब के लिए ऑनलाइन आवेदन करने के बाद उसने तैयारी शुरू कर दी। नेहा दिनभर जॉब करती और कोचिंग में बच्चों को पढ़ाती थी, रात 9 से 2 बजे तक की नींद लेने के बाद नेहा रात में पढ़ाई करती थी। अभाव, गरीबी और मुफलिसी के बीच नेहा ने अपने सपने को साकार करके समाज के लिए बड़ा उदाहारण पेश किया है। नेहा ने कहा कि वह आगे और भी बड़े जॉब के लिए तैयारी करेगी।
हर मुश्किलों से जूझती रही नेहा :
नेहा के संघर्ष की कहानी रुला देने वाली है। बचपन में गांव के स्कूल में कक्षा 8वीं तक पढ़ाई की। इसके बाद गांव से 8 किमी दूर स्थित ढड़ारी गांव के हायर सेकंडरी स्कूल में पढऩे के लिए चार साल तक आती-जाती रही। हर दिन 16 किमी साइकिल चलाकर घर वापस लौटने के बाद वह अपने गांव के बच्चों को भी पढ़ानी थी। इस दौरान माता-पिता मजदूरी के लिए दिल्ली चले गए तो गांव के लोग ताने देने लगे कि माता-पिता ने लावारिश जैसा छोड़ दिया। लेकिन इस सब से नेहा विचलित नहीं हुई बल्कि उसने और हौसला बढ़ाया और 12वीं पास करने के बाद २०१५ में छतरपुर आकर शासकीय गल्र्स कॉलेज में बीएससी में एडमिशन ले लिया। इस दौरान कोचिंग पढ़ाकर वह पार्ट टाइम जॉब करने लगी। अपनी पढ़ाई के खर्च के साथ ही नेहा ने छोटी बहन पिंकी और छोटे भाई पंकज की पढ़ाई का जिम्मा भी अपने कंधो पर ले लिया। इस समय नेहा एसबीआइ के कियोस्क सेंटर में काम करके परिवार की मदद कर रही है।
समाजसेवियों ने किया सम्मानित :
नेहा की उपलब्धि की जानकारी लगने पर उसे शासकीय गल्र्स कॉलेज में बुलाकर सम्मानित किया गया। वहीं शहर के समाजसेवियों ने भी गांधी आश्रम में नेहा को बुलाकर सम्मानित किया। नेहा को एक स्मृति चिन्ह देकर समाजसेवियों ने उसके उज्जवल भविष्य की कामना की। इस मौके पर डॉ. राजेश अग्रवाल, शंकर सोनी, केएन सोमन, बालमुकुंद पौराणिक, दुर्गाप्रसाद आर्य, दमयंती पाणी, विपिन अवस्थी, संगीता पुरी, नीलम पांडेय सहित अनेक लोग मौजूद थे।