रॉक फॉस्फेट का उत्पादन बढ़ाने की नीति
26 जून 2021 को तात्कालीन उर्वरक राज्य मंत्री मनसुख मंडाविया की अध्यक्षता में हुई बैठक में स्वदेशी संसाधनों' के माध्यम से भारत को उर्वरक उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के लिए एक कार्य योजना तैयार की गई है। मंत्री ने राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश में उपलब्ध मौजूदा 30 लाख टन फॉस्फोराइट खनिज का उत्पादन बढ़ाने की बात कही। उन्होंने उर्वरक के लिए रॉक फॉस्फेट, डीएपी और एनपीके उर्वरकों का प्रमुख कच्चा माल बताया है। ऐसे में केन्द्र सरकार ने भी रोक हटाने में दिलचस्पी दिखाई।
जीेएसआइ के सर्वे में मिला था भंडार
ज्यूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (जीएसआइ) ने छतरपुर जिले के मड़देवरा में 57 लाख मीट्रिक टन रॉक फास्फेट के भडार को चिंहित किया है। जिसके आधार पर जिला खनिज विभाग ने शासन को 122 हेक्टेयर में रॉक फॉस्फेट की दो खदानों की नीलामी का प्रस्ताव अक्टूबर 2020 में बनाया था। जिसे राज्य शासन ने भी मंजूरी दे दी है। खनिज विभाग और जीएसआइ ने साथ मिलकर एक रिपोर्ट तैयार की है। जिसमें जीएसआइ ने मड़देवरा ब्लॉक में 57 लाख मीट्रिक टन रॉक फास्फेट के भंडार का आंकलन लगाया है। 122 हेक्टेयर में 67 हेक्टयेर जमीन रॉक फास्फेट के खनन और 37 हेक्टेयर जमीन नॉन मिनरलाइज्ड होगी। 67 हेक्टेयर क्षेत्र में से 15 से 20 हेक्टेयर में रॉक फॉस्फेट की मात्रा अधिक है, वहीं 2 किलोमीटर लंबे और 2 किलोमीटर चौड़े हिस्से में लगभग 15 से 20 लाख मीट्रिक टन रॉक फॉस्फेट की उपलब्धता का आंकलन किया गया है।
उर्वरक निर्माण के उपयुक्त है जिले का रॉक फॉस्फेट
जिले के मड़देवरा इलाके में उलब्ध रॉक फास्टफेट का भंडार उर्वरक निर्माण के लिए उपयक्त है। हालांकि खदान में ज्यादातर मात्रा 18 से 20 पी2ओ 5 ग्रेड का है, जो लो क्वालिटी के अंतर्गत आता है। जबकि 24 प्लस पी 2ओ5 ग्रेड की मात्रा उवर्रक संयंत्र के लिए सप्लाई होता है। वहीं, क्षेत्र में 42 से 34 पी2ओ5 ग्रेड का रॉक फास्फेट का भी भंडार है। जैविक खाद बनाने के लिए गोबर तथा रॉक फॉस्फेट को प्रयोग में लाया जाता है। रॉक फॉस्फेट की मदद से रासायनिक क्रिया करके सिंगल सुपर फॉस्फेट (एसएसपी)तथा डाई अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) रासायनिक उर्वरक तैयार किए जाते हैं। खनिज फास्फेटों का सर्वाधिक प्रयोग फास्फेट उर्वरकों के निर्माण में होता है। रॉक फॉस्फेट की खदान से निकाले गए फास्फेटीय चट्टान को चूर्ण करके सल्फयूरिक अमल के साथ मिलाकर सुपरफास्फेट बनता है। इस पदार्थ का प्रयोग उर्वरक के रूप में अत्यधिक होता है। साधारण फास्फेटीय चट्टान के चूर्ण में 30 से 40 प्रतिशत फास्फोरस पेंटॉक्साइड, 3-4 प्रतिशत फ्लोरीन तथा भिन्न मात्राओं में चूना रहता है।
जिले के मड़देवरा इलाके में उलब्ध रॉक फास्टफेट का भंडार उर्वरक निर्माण के लिए उपयक्त है। हालांकि खदान में ज्यादातर मात्रा 18 से 20 पी2ओ 5 ग्रेड का है, जो लो क्वालिटी के अंतर्गत आता है। जबकि 24 प्लस पी 2ओ5 ग्रेड की मात्रा उवर्रक संयंत्र के लिए सप्लाई होता है। वहीं, क्षेत्र में 42 से 34 पी2ओ5 ग्रेड का रॉक फास्फेट का भी भंडार है। जैविक खाद बनाने के लिए गोबर तथा रॉक फॉस्फेट को प्रयोग में लाया जाता है। रॉक फॉस्फेट की मदद से रासायनिक क्रिया करके सिंगल सुपर फॉस्फेट (एसएसपी)तथा डाई अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) रासायनिक उर्वरक तैयार किए जाते हैं। खनिज फास्फेटों का सर्वाधिक प्रयोग फास्फेट उर्वरकों के निर्माण में होता है। रॉक फॉस्फेट की खदान से निकाले गए फास्फेटीय चट्टान को चूर्ण करके सल्फयूरिक अमल के साथ मिलाकर सुपरफास्फेट बनता है। इस पदार्थ का प्रयोग उर्वरक के रूप में अत्यधिक होता है। साधारण फास्फेटीय चट्टान के चूर्ण में 30 से 40 प्रतिशत फास्फोरस पेंटॉक्साइड, 3-4 प्रतिशत फ्लोरीन तथा भिन्न मात्राओं में चूना रहता है।
फैक्ट फाइल
खदान एरिया- 122 हेक्टेयर
स्थान- मड़देवरा
संभावित भंडार- 57 लाख मीट्रिक टन
खदान एरिया- 122 हेक्टेयर
स्थान- मड़देवरा
संभावित भंडार- 57 लाख मीट्रिक टन