फिंगरप्रिंट का विकल्प दे रहे
बढ़ती उम्र के कारण बुजुगों के फिंगरप्रिंट घिस जाते हैं और चेहरे की बनावट बदल जाती है, जिससे फिंगरप्रिंट और फेस रिकॉग्रिशन में दिक्कतें आती हैं। फिंगरप्रिंट के विकल्प के रूप में आईरिस स्कैनिंग और ओटीपी आधारित वेरिफिकेशन को अनुमति दी गई है। इससे उनकी पहचान सटीकता से हो सकेगी और कार्ड बनवाने की प्रक्रिया सरल होगी।
डेटा व मोबाइल नंबर मिस मैच हो तो ये करें
समग्र पोर्टल और आधार के डेटा में नाम, उम्र और पते के अंतर है, जिससे उनकी पहचान की पुष्टि में बाधा आती है। समाधान जो लोग आयुष्मान कार्ड बनवाने आ रहे हैं। वे पहले से अपने समग्र और आधार में नाम, पता सहित अन्य जानकारी अपटेड करा लें। नजदीकी ई-केवाईसी में जाकर ये हो सकता है। इससे यह काम आसान हो जाएगा। कई बुजुर्गों के आधार पर मोबाइल नंबर अपडेट नहीं है, जिससे ओटीपी वेरिफिकेशन नहीं हो पाता और कार्ड में देरी होती है। बुजुगों के लिए मोबाइल नंबर अपडेट कराना अनिवार्य है। स्थानीय केंद्रों पर मोबाइल नंबर आसानी से अपडेट करवाने का प्रबंध है, ताकि ओटीपी वेरिफिकेशन में परेशानी न आए।
सर्वर की समस्या भी जल्द होगी खत्म
सरकारी कर्मचारियों को आयुष्मन और उनकी मौजूदा योजनाओं (जैसे ईएसआईसी सीजीएचएस) के बीच चुनाव करना होता है, जिससे भ्रम की स्थिति बनती है। जागरुकता अभियान चलाया जाएगा, ताकि लाभार्थी आसानी से समझ सकें कि कौन सा विकल्प उनके लिए उपयुक्त है। सर्वर धीमा होने के कारण कार्ड बनाने की प्रक्रिया बीच में रुक जाती है, जिससे घंटों तक कतार में लगकर इंतजार करना पड़ता है। आयुष्मान के टीएसएम पोर्टल में चल रही तकनीकी समस्या जल्द सुधार ली जाएगी। एक कार्ड बनाने में 5 से 10 मिनट लगेगा। इससे बुजुर्गों को आसानी से काम हो जाएगा।
इनका कहना है
बुजुर्गों के फिंगरप्रिंट और अंगुलियों के निशान मिलने में बड़ी समस्या है। हालांकि इसके विकल्प के रूप में ओटीपी के जरिए आयुष्मान कार्ड बनाने का सिलसिला जारी है।
डॉ. आरपी गुप्ता, सीएमएचओ