scriptसाल दर साल बदहाल होता जा रहा शहर का बाबूराम चतुर्वेदी स्टेडियम, नहीं बढ़ाई जा रहीं सुविधाएं | Baburam Chaturvedi Stadium of the city is getting worse year after yea | Patrika News

साल दर साल बदहाल होता जा रहा शहर का बाबूराम चतुर्वेदी स्टेडियम, नहीं बढ़ाई जा रहीं सुविधाएं

locationछतरपुरPublished: Aug 19, 2019 11:51:33 pm

Submitted by:

Unnat Pachauri

इंटरनेशनल स्तर का बना है स्वीमिग पूल

साल दर साल बदहाल होता जा रहा शहर का बाबूराम चतुर्वेदी स्टेडियम, नहीं बढ़ाई जा रहीं सुविधाएं

साल दर साल बदहाल होता जा रहा शहर का बाबूराम चतुर्वेदी स्टेडियम, नहीं बढ़ाई जा रहीं सुविधाएं

छतरपुर। शहर का एकमात्र स्टेडियम पंडित बाबूराम चतुर्वेदी स्टेडियम आज अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है। अकूत संपत्ति का मालिक होते हुए भी स्टेडियम की बदहाली साल दर साल और बढ़ती जा रही है। लेकिन यहां पर मेंटीनेंस के नाम पर कागजी कार्रवाई के अलावा और कुछ नहीं कियश जा रहा है। जिससे यहां पर खिलाडियों को कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। बारिश के दिनों में एक उजडे खेत की तरह दिखने वाले स्टेडियम के खेल मैदान में कीचड और पानी से लबालब गड्ढ़े वहां की दुदर्शा बयां कर रहे हैं। पुलिस की तैयारी कर रहे अजुन पटेल, विनोद कुशवाहा, आरती आदि का कहना है कि यहां पर न तो खिलाडियों के लिए पीने के पानी की कोई व्यवस्था है और न ही महिलाओं और लडकियों के लिए शौचालय का कोई इंतजाम है। यहां पर कई गेट छतिग्रस्त हैं जहां से असमाजिक लोगों का आना जाना लगा रहता है। फुटवाल खेल रहे देवेंद्र गुप्ता, वैश्णवी गुप्ता ने बताया कि वर्षों पहले दर्शकों के बैठने के लिए बनाई सीडिय़ों में बडी-बडीं दरारें आने से लोग वहां बैठना पसंद नहीं कर रहे हैं और जिम्मेदारों को मेंटीनेंस कराने की सुध भी नहीं है। तो वहीं मैदान का भी कई वर्षों से समतलीकरण नहीं किया गया। जिससे खेलने में और दौडने में उन्हें खासी दिक्कत होती है। स्टेडियम के स्पोर्टस आफीसर अरविंद महलोनिया का कहना है कि यहां पर विभाग द्वारा कई सारी सुविधाएं दी गई थीं। लेकिन कुछ वर्ष से निजी कार्यक्रम और शासकीय कार्यक्रमों में स्टेडियम को मनमाने तरीके से खुदाई और पुराई आदि की जा रही है। उन्होंने बताया कि यहां पर आयोजकों का जहां मन होता है वहां पर खुदाई कर मंच, गैलरी आदि बना दी और गिट्टी व डस्ट का भी उपयोग बडी मात्रा में किया जाता है और बाद में जस का तस छोड़ चले जाते हैं। जिससे अब इसकी दुर्दशा होती जा रही है। उन्होंने कहा कि अगर यहां पर निजी और शासकीय आयोजन न कर, केवल खेल के लिए उपयोग किया जाए, तो फिर से स्टेडियम अपने सोंदर्य रुप में आ जाएगा।
इंटरनेशनल स्तर का बना है स्वीमिग पूल
महाराजा कॉलेज द्वारा स्टेडियम के पीछे एक इंटरनेशनल स्तर का स्वीमिग पूल बनवाया गया है। लेकिन उसका लाथ लोगों को नहीं मिल पा रहा है। इस पूल में करीब २४०० गैलन पानी की जरूरत होती है। जिसकी व्यवस्था नहीं हो पा रही है। जिससे वर्षों से यह वीरान पडा है और अब वहां पर आवारा और असमाजिक तत्वों के लोगों का जमवाडा बना रहता है। स्टेडियम के प्रभारी रहे यूनिवर्शिटी के कुलसचिव प्रो. पीके पटैरिया ने बताया कि दो बार शासन को स्वीमिंग पूल के लिए फिल्टर प्लांट, पानी की व्यवस्था आदि के लिए पत्र भेजा गया था। लेकिन वहां से कोई कार्रवाई नहीं की गई।
निजी आयोजन बन रहे बाधा
स्पोर्टस आफीसर अरविंद महलानियां ने स्टेडियम में जिले में होने वाले शासकीय और निजी खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन कराया जाता है। इसके साथ शासकीय आयोजन, रावण दहन, नेताओं की रैलियां, निजी कार्यक्रमों को आयोजन किया जा रहा है। जिससे यहां पर मेंटीनेंस कराने के कुछ ही दिनों में फिर से मैदान खराब हो जाता है।
रुटीन में इन खेलों का दिया जा रहा प्रशिक्षण
खेल एवं युवा कल्याण विभाग द्वारा स्टेडियम में अभी जुडो, एथलेटिक्स, मल्खम्भ और हॉकी का प्रशिक्षिण दिया जा रहा है। लेकिन विभाग के पास खुद का स्टेडियम नहीं होने से महाराजा कॉलेज स्टेडियम में प्रशिक्षण किया जा रहा है। जूडो कोच शंकरलाल रैकवार ने बताया कि यहां पर कोई भी कार्यक्रम होने के बाद डस्ट या जीरा गिट्टी डलवा दी जाती है। जिससे वहां पर खलने वाले बच्चों और खिलाडियों को दिक्कत होती है और गिरने पर चोट भी लग जाती है। उन्होंने बताया कि सबसे अधिक परेशानी फुटबॉल और दौड़ से सम्बंधित खेलों में आती है।
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