महाराजा कॉलेज द्वारा स्टेडियम के पीछे एक इंटरनेशनल स्तर का स्वीमिग पूल बनवाया गया है। लेकिन उसका लाथ लोगों को नहीं मिल पा रहा है। इस पूल में करीब २४०० गैलन पानी की जरूरत होती है। जिसकी व्यवस्था नहीं हो पा रही है। जिससे वर्षों से यह वीरान पडा है और अब वहां पर आवारा और असमाजिक तत्वों के लोगों का जमवाडा बना रहता है। स्टेडियम के प्रभारी रहे यूनिवर्शिटी के कुलसचिव प्रो. पीके पटैरिया ने बताया कि दो बार शासन को स्वीमिंग पूल के लिए फिल्टर प्लांट, पानी की व्यवस्था आदि के लिए पत्र भेजा गया था। लेकिन वहां से कोई कार्रवाई नहीं की गई।
स्पोर्टस आफीसर अरविंद महलानियां ने स्टेडियम में जिले में होने वाले शासकीय और निजी खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन कराया जाता है। इसके साथ शासकीय आयोजन, रावण दहन, नेताओं की रैलियां, निजी कार्यक्रमों को आयोजन किया जा रहा है। जिससे यहां पर मेंटीनेंस कराने के कुछ ही दिनों में फिर से मैदान खराब हो जाता है।
खेल एवं युवा कल्याण विभाग द्वारा स्टेडियम में अभी जुडो, एथलेटिक्स, मल्खम्भ और हॉकी का प्रशिक्षिण दिया जा रहा है। लेकिन विभाग के पास खुद का स्टेडियम नहीं होने से महाराजा कॉलेज स्टेडियम में प्रशिक्षण किया जा रहा है। जूडो कोच शंकरलाल रैकवार ने बताया कि यहां पर कोई भी कार्यक्रम होने के बाद डस्ट या जीरा गिट्टी डलवा दी जाती है। जिससे वहां पर खलने वाले बच्चों और खिलाडियों को दिक्कत होती है और गिरने पर चोट भी लग जाती है। उन्होंने बताया कि सबसे अधिक परेशानी फुटबॉल और दौड़ से सम्बंधित खेलों में आती है।