शहर की महंगी मिठाइयों की दुकानों पर बीमार कर देने वाली मिठाई बिक रही है। जो दुकानदार खुद को ब्रांड बताकर शु्द्ध मिठाई बेचने का दावा करते हैं उनके यहां जब स्वच्छता की पड़ताल की गई तो पता चला कि इन प्रतिष्ठानों पर मिठाई बनाने के दौरान किसी प्रकार से स्वच्छता का ख्याल नहीं रखा जा रहा है। शहर के बस स्टैंड, छत्रसाल चौक, पन्ना नाका, गल्ला मंडी सहित जहां भी मिष्ठान बनाने का काम किया जा रहा है, वहां से तीखी दुर्गंध आ रही है। दुर्गंध और गदंगी के बीच स्वादिष्ट मिठाई के नाम पर एक तरह से बीमारी ही तैयार हो रही है। ऊपर से सिंथेटिक मावा की खपत भी इसमें भरपूर हो रही है। स्वाद में भले ही ऐसी मिठाई लजवाब रहे, लेकिन सेहत के लिए सबसे ज्यादा नुकसानदायक होती है। इधर त्योहार के सीजन में खाद्य पदार्थों का बड़ा कारोबार रहने के कारण मिलावटखोर भी ज्यादा सक्रिय हो जाते हैं। केमिकल व यूरिया से बने दूध और उससे तैयार मावा व उसकी मिठाइयां बड़ी मात्रा में खपाई जाती हैं।
ऐसे बनता है मिलावटी मावा
मिलावटी मावा बनाने में दूध के पाउडर का इस्तेमाल होता है। इसमें रिफाइंड या वेजीटेबल ऑयल मिलाया जाता है। इसके अलावा रसायन, आलू, शकरकंदी का प्रयोग भी किया जाता है। इस दौरान ङ्क्षसथेटिक दूध भी बड़े पैमाने पर बनाया जाता है। इसमें डिटर्जेट पाउडर, तरल जैल, चिकनाहट लाने के लिए रिफाइंड व मोबिल आयल एवं एसेंट पाउडर डाला जाता है। इतना ही नहीं मिलावटखोर कई बार यूरिया के घोल में पाउडर व मोबिल डालकर भी ङ्क्षसथेटिक दूध तैयार करते हैं। इसमें थोड़ा असली दूध मिलाकर सोखता कागज डाला जाता है। फिर इसी से नकली मावा व पनीर भी तैयार किया जाता है।
मावा या खोवा में मिलावट की पहचान रासायनिक व जैविक परीक्षण से की जा सकती है। लेकिन भौतिक रुप से भी नकली मावा को पहचाना जा सकता है। कुछ विशेष बातें ध्यान रखने से नकली मावा की पहचना कर सकते हैं, जैसे यदि मावा सफेद या हल्के पीले रंग का है तो वह मिलावटी हो सकता है। सूंघने पर मिलावटी मावे की खुशबू अजीब सी महसूस होती है, जबकि ओरिजिनल मावा की महक अच्छी होती है। मावे को हाथ से रगडऩे पर ओरिजिनल होने पर घी छोड़ता है। चखकर देखने पर असली मावा का स्वाद अच्छा लगता है, नकली होने पर यह कड़वा या अजीब स्वाद वाला लग सकता है। नकली मावा आसानी से पानी में नहीं घुलता।
दूषित व मिलावटी खाद्य सामग्री आपको बीमार कर सकती है। इसलिए खाद्य सामग्री का सेवन करते हुए विशेष सावधानी बरतें। त्योहारों के मौसम में दूषित और मिलावटी मिठाई या खाद्य सामग्री का सेवन करने से उल्टी, दस्त, हैजा, पेट दर्द, गले में इंफेक्शन के मरीज बढ़ जाते हैं। नकली मावे के कारण फू ड पॉइजनिंग, उल्टी, पेट दर्द होने का खतरा हो सकता है। मावे में घटिया किस्म का सॉलिड मिल्क मिलाया जाता है. इसमें टेलकम पाउडर, चूना, चॉक और सफेद केमिकल्स जैसी चीजों की मिलावट भी होती है। सिंथेटिक मावे से बनी मिठाइयों से किडनी और लिवर पर बहुत बुरा असर पड़ सकता है।
खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम संबंधी विविध कार्यों को समग्र पोर्टल पर लाने के मकसद से खाद्य सुरक्षा एमआईएस पोर्टल- पोषन (पीओएसएचएएन) शुरू किया गया है। इस पोर्टल पर खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006, विनियम 2011 के नियमों का खाद्य कारोबारी द्वारा पालन नहीं करने व खाद्य पदार्थों में मिलावट या अनियमितता संबंधी शिकायत लोगों द्वारा गोपनीय तरीके से दर्ज करने की सुविधा उपलब्ध कराई गई है।
दूषित और मिलावटी मिठाई या खाद्य सामग्री का सेवन करने से उल्टी, दस्त, हैजा, पेट दर्द, गले में इंफेक्शन हो सकता है। मिठाई या खाद्य सामग्री खरीदने में सावधानी बरतें। खुली हुई मिठाई न लें। मिठाई के सेवन के बाद तबीयत खराब होने पर तुरंत ही विशेषज्ञ डॉक्टर को दिखाएं।
– डॉ. एचपी अग्रवाल, मेडिसिन विशेषज्ञ