लॉक डाउन में खराब हो गई पान की फसल, फेंक रहे किसान
छतरपुरPublished: Apr 03, 2020 07:08:10 pm
न बाहर हो रही सप्लाई न जिले में खपत, इसलिए बढ़ी मुसीबत
Neither supply nor consumption in the district
छतरपुर। जिले के एक दर्जन से अधिक गांवों में होने वाली पान की खेती कोरोना इफेक्ट की चपेट में आ गई है। लॉकडाउन के चलते पान का निर्यात महानगरों की ओर न होने से लाखों की पान की फसल खराब होने की स्थिति में आ गई है। पान किसानों ने बरेजों से पान के पत्ते तोड़कर ढोलियां तो तैयार कर ली हैं, लेकिन वाहनों के न चलने से पान बाहर नहीं जा पा रहा है। जिला स्तर पर भी पान की बिक्री पूरी तरह से बंद होने के कारण पान किसान चिंतित हैं। खराब हो चुके पान को किसान फेंक रहे हैं।
जिले के बिजावर क्षेत्र के पिपट, पनागर, महाराजपुर अंचल के गढ़ीमलहरा, महाराजपुर, बारीगढ़ सहित अन्य गांवों में बड़ी संख्या पान किसान हैं। जो परंपरागत तरीके से पान की खेती करते चले आ रहे हैं। छतरपुर जिले का पान विदेशों के साथ ही भारत के तमाम राज्यों में निर्यात किया जाता है। इन दिनों कोरोना संक्रमण के खतरे के चलते पूरे देश में लॉकडाउन से जहां अन्य सभी व्यापारिक क्षेत्र प्रभावित हुए हैं तो पान के किसानों को भी जबरदस्त मार झेलनी पड़ रही है। पान किसानों ने लॉकडाउन के पहले पान के पत्ते बेलों से तोड़कर उनकी ढोलियां तैयार कर ली थीं। उन्हें तनिक भी अंदाजा नहीं था कि वैश्विक महामारी के दौरान लॉकडाउन हो जाएगा और ऐसे हालात झेलने पड़ेंगे। पान किसानों के घरों में टोकरियों में रखे पान के पत्ते काले पड़कर सडऩे लगे हैं। जिसके कारण किसानों को पान को फेंकना पड़ रहा है। पान किसान अनुराग चौरसिया, संतोष चौरसिया, दिनेश चौरसिया, राजेन्द्र, गौरीशंकर, अनूप चौरसिया, महेंद्र, प्रमोद, नरेश, प्रकाश, अखिलेश, केतन चौरसिया ने सरकार से मुआवजे की मांग की है।
पान किसान की हालत खराब
पान की दुकानें भी बंद हैं। जिले एवं जिले के बाहर भेजे जाने वाले पान की बिक्री बंद होने से किसान मायूस हैं। ठंड और पाले से नष्ट हुई पान की फसल का राजस्व अधिकारियों द्वारा सर्वे कराया गया था, उसकी राहत राशि नहीं मिल सकी। अब लॉकडाउन में किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।
चितरंजन चौरसिया, जिलाध्यक्ष, पान किसान व्यापारी संगठन