मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वर्ष 2014 में नगर को स्वंत्रत मंडी की सौगात दी थी जो शासकीय मॉडल स्कूल के पीछे 30 एकड़ जमीन में दो करोड़ से अधिक की लागत में बनाई गई। वर्ष 2015 में शासन ने इस मंडी को आदर्श मंडी का दर्जा भी दिया जिसके लिए 40 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत हुई। इतना सब होने के बावजूद मंडी बोर्ड के अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के चलते मंडी शुरु नहीं हो पाई थी। छह महीने से ज्यादा समय से बिजली कनेक्शन न हो पाने के कारण दो साल पहले बनी मंड़ी का लाभ इस साल भी किसानों को नहीं मिल पा रहा था।
इन गांवों के किसानों को मिलेगा लाभ
आदर्श मंडी से लगभग क्षेत्र के लगभग एक सैकड़ा गांवों के किसानो को लाभ मिलेगा। जिसमें गर्रोली, दौरिया, चौबारा, पुतरया, पचवारा, बिलहरी, नैगुवां, सिंगरावन, ददरी, मानपुरा, चौखड़ा, पन्नपुरा, भदेसर, झींझन, लुगासी, टपरियन, मडऱका, नयागांव, साहनियां, तिंदनी, टूडऱ, चंदौरा, ठठेवरा, धरमपुरा आदि गांव शामिल हैं।
आदर्श मंडी से लगभग क्षेत्र के लगभग एक सैकड़ा गांवों के किसानो को लाभ मिलेगा। जिसमें गर्रोली, दौरिया, चौबारा, पुतरया, पचवारा, बिलहरी, नैगुवां, सिंगरावन, ददरी, मानपुरा, चौखड़ा, पन्नपुरा, भदेसर, झींझन, लुगासी, टपरियन, मडऱका, नयागांव, साहनियां, तिंदनी, टूडऱ, चंदौरा, ठठेवरा, धरमपुरा आदि गांव शामिल हैं।
दरअसल पिछले कई वर्षों से चल रहे मंडी का निर्माण कार्य पूर्ण होने के बाद भी मंडी चालू नहीं हो सकी है। जिससे क्षेत्र के किसान अपनी उपज व्यापरियों को मनमाने दामों पर बेचने को मजबूर हैं। किसान गजेन्द्र सिंह, दालचंद, मंगल सिंह, तुलसीदास कुशवाहा, राकेश राजपूत, जुम्मन खान आदि ने बताया कि मंडी चालू न होने से उन्हें मजबूर होकर मनमाने दामों पर अपनी उपज गल्ला व्यापारियों को बेचना पड़ती है। उन्हें खुली बोली का लाभ नहीं मिल पा रहा है साथ ही समय पर पैसे भी नहीं मिलते हैं।