लोकगीतों में गारी बहुत लोकप्रिय होती थी
लोकगायिका ने कहा कि पुराने समय के लोकगीतों में गारी बहुत लोकप्रिय होती थीं, जिनके माध्यम से महिलाएं अपने मन की पीड़ा और फस्ट्रेशन को बाहर निकाल देती थीं, जबकि आज लोग अपने मन की बात किसी को नहीं कह पाते और फलस्वरूप तनाव व अवसाद के शिकार हो जाते हैं। उनके हिसाब से महिलाओं ने ही अभी तक भारतीय संस्कृति को बचाए रखा है, वर्ना पुरुष वर्ग तो हमेशा से ही माताओं और पत्नियों का यह कह कर मजाक उड़ाता रहा है कि क्या पूजा पाठ लगा रखा है या लो, शुरू हो गया इनका व्रत-उपवास। कार्यक्रम के अंत में लोकनीति के संस्थापक एवं खजुराहो साहित्य उत्सव के संचालक सत्येंद्र त्रिपाठी ने सभी मेहमानों का शुक्रिया अदा किया और अगले वर्ष फिर से आने का आमंत्रण दिया।