कोरोना की तीसरी लहर के दौरान देश में कम लोगों की मौतें हुई। इसकी सबसे बड़ी वजह यह रही कि ज्यादातर लोग टीकाकरण करा चुके थे। इससे यह पता लगता है कि टीकाकरण कितना प्रभावी है। फिर भी लोग इसके महत्व को कम समझ रहे हैं और समय पर अपना टीका नहीं लगवा रहे हैं।
जिले में 12 से 14 आयु वर्ग के 85 हजार 29 बच्चों को कोर्बोवेक्स वैक्सीन लगाई जाना है। लेकिन अभी तक 37 हजार 24 बच्चों ने ही टीका लगवाया है। वहीं, 14 से 17 जाना है। साल के 1.20 लाख किशोरों को वैक्सीन लगनी है। जिसमें से 99 हजार ने अपना पहला टीका लगवाया है। 20 हजार किशोरों ने अब तक पहला टीका भी नहीं लगवाया है ।
जिन लोगों के दूसरा टीका लगवाने के बाद 273 दिन हो चुके हैं वे बूस्टर डोज लगवा सकते है। 18 ज्यादातर लोग टीकाकरण करा चुके से 59 आयुवर्ग के लोगों को बूस्टर डोज 386 रुपए खर्च कर लगवाना होगा। यह टीका सरकारी अस्पतालों की जगह निजी अस्पतालों में लगाया जाना है। जिला मुख्यालय पर मौजूद मसीही अस्पताल और डॉ. आरडी खरे हॉस्पिटल में इस टीके को लगाने के लिए निर्देशित किया गया है लेकिन उक्त दोनों निजी अस्पताल अपने यहां प्रीकॉशन डोज मंगा ही नहीं रहे हैं। जाहिर है यदि आम लोग इस टीके को लगवाना भी चाहें तो छतरपुर जिले में यह टीका फिलहाल उपलब्ध ही नहीं है।
60 साल से अधिक आयु के लोगों एवं स्वास्थ्यकर्मियों को मुफ्त
सरकार भले ही 18 साल से 59 साल के लोगों को बूस्टर डोज लगवाने के लिए अपनी ओर से पैसा खर्च नहीं कर रही है लेकिन अब भी 60 साल से अधिक आयु के लोगों एवं स्वास्थ्यकर्मियों को यह बूस्टर डोज मुफ्त ही दिया जा रहा है। जिला अस्पताल में अब तक 14 हजार से ज्यादा लोगों को प्रीकॉशन डोज लगाया जा चुका है। टीकाकरण प्रभारी डॉ. मुकेश प्रजापति ने बताया कि नियमित रूप से बूस्टर डोज देने का काम चल रहा है। हालांकि बड़ी संख्या में 60 साल से अधिक के लोग भी यह डोज लगवाने के लिए अस्पताल नहीं आ रहे हैं।
फैक्ट फाइल
कुल टीका-25.94 लाख
पहला टीका-13.53 लाख
दोनों टीका-12.26 लाख
प्रीकॉशन डोज- 14697
डॉ. मुकेश प्रजापति, टीकाकरण अधिकारी, छतरपुर का कहना है कि निजी अस्पतालों को बूस्टर डोज 'लगाने की जिम्मेदारी दी गई है। इसकी कीमत 386 रूपए प्रति डोज है। अस्पतालों ने यदि डोज नहीं मंगाए हैं तो उन्हें निर्देशित करेंगे। 60 साल से अधिक के लोग जिला अस्पताल में निशुल्क बूस्टर डोज लगवा सकते हैं।