छतरपुर. शहर के देरी रोड स्थित हरि वाटिका में चल रही श्रीमद भागवत कथा के तृतीय दिवस संत आचार्य प्रखर महाराज ने अजामिल प्रसंग सुनाया। उन्होंने अजामिल शब्द की व्याख्या करते हुए कहा कि अजामिल अर्थात माया में लिपटा हुआ। जो व्यक्ति माया में लिप्त होकर प्रभु को भूल जाए वहीं अजामिल है। उन्होंने कहा कि संत की कृपा से बासना से विरक्त होकर जब अजामिल दिन रात नारायण-नारायण उच्चारण करने लगा तब यम पास से मुक्ति पाकर नारायणमय हो गया। उन्होंने कहा कि अजामिल अब अज: मिल हो गया, अर्थात प्रभुमय हो गया। प्रखर महाराज ने प्रहलाद चरित्र बडे भावपूर्ण ढंग से सुनाया। प्रहलाद का अर्थ बताया। अहलादयति सर्वजनानम सर्वे प्रहलादरू। जो सबको आहलाद (प्रसन्नता) प्रदान करे, खुशियां प्रदान करे वो ही प्रहलाद है। उन्होंने कहा कि प्रहलाद सबको खुशियां प्रदान करते हैं और भक्ति करते हैं। प्रखर महाराज ने कहा कि जो धर्म के मार्ग पर चलते हैं उन्हें पहले कांटे फिर फूल मिलते हैं। उन्होंने कहा कि जितने कदम धैर्य की ओर बढाओगे हर कदम पर परीक्षा होगी। प्रहलाद को पांच परीक्षाएं देनी पडी। पहाड़ के शिखर से फेंका गया, जहर पिलाया गया, सर्पों से डसवाया गया, आग में चलाया गया, लेकिन प्रहलाद से धर्माचरण नहीं छोडा तो उत्तीर्ण हुए और भगवान ही मिल गए। आचार्य द्वारा गाए गए सुंदर भजनों पर श्रोता झूम उठे। महाराज जी कथा में बडी संख्या मे श्रोता धर्म लाभ लेने पहुंच रहे हैं। साध्यी आराध्या देवी द्वारा श्रीराम कथा का वाचन भी किया जा रहा है।