आंकड़ों से समझे स्थिति : जिला कुएं हैंडपंप
उपयोग/अनुपयोगी उपयोगी/अनुपयोगी
छतरपुर ८.७ / ९७.३ २४.२ / ७५.८
टीकमगढ़ ७.४ / ९२.६ २१.७ / ७८.३
पन्ना १२.७ / ८७.३ २७.१ / ७२.९
दमोह ८.४ / ९१.६ १९.७ / ८०.३
(सभी आंकड़े प्रतिशत में है)
उपयोग/अनुपयोगी उपयोगी/अनुपयोगी
छतरपुर ८.७ / ९७.३ २४.२ / ७५.८
टीकमगढ़ ७.४ / ९२.६ २१.७ / ७८.३
पन्ना १२.७ / ८७.३ २७.१ / ७२.९
दमोह ८.४ / ९१.६ १९.७ / ८०.३
(सभी आंकड़े प्रतिशत में है)
गांवों में तालाबों की स्थिति:
सर्वे किए गए गांवों के लगभग 50-90 प्रतिशत तालाबों की स्थिति देखरेख के अभाव में लगभग अस्तित्वहीन होती जा रही है। परंपरागत चंदेल और बुंदेलकालीन तालाबों में भी गाद जमा होने के कारण जल भरण क्षमता क्षीण होती जा रही है। जिस कारण भू-गर्भ रिचार्ज को सहयोग करने में सहायक यह जल संंरचनाएं असहाय है।
जिला सूखे तालाबों का प्रतिशत
छतरपुर ९१.२
टीकमगढ़ ९३.७
पन्ना ८७.१
दमोह ९२.७
सर्वे किए गए गांवों के लगभग 50-90 प्रतिशत तालाबों की स्थिति देखरेख के अभाव में लगभग अस्तित्वहीन होती जा रही है। परंपरागत चंदेल और बुंदेलकालीन तालाबों में भी गाद जमा होने के कारण जल भरण क्षमता क्षीण होती जा रही है। जिस कारण भू-गर्भ रिचार्ज को सहयोग करने में सहायक यह जल संंरचनाएं असहाय है।
जिला सूखे तालाबों का प्रतिशत
छतरपुर ९१.२
टीकमगढ़ ९३.७
पन्ना ८७.१
दमोह ९२.७
रबी फसल में कुल बुवाई का रकबा :
इस वर्ष मानसून की बेरुखी के कारण सतही जल संरचनाओं में, सिंचाई स्त्रोत मेंं सहायक डेम व नदियों में पानी का अभाव रहा। साथ ही साथ भू-गर्भ जल भंडारण में भी कमी आई जिसके परिणामस्वरुप रबी फसल चक्र में सिर्फ 52 प्रतिशत कृषि क्षेत्र में बुवाई हो सकी। लिहाजा किसानों को 55 प्रतिशत उत्पादन भी नहीं मिल पाया। छतरपुर में ५२.७ प्रतिशत, टीकमगढ़ में ५७.७, पन्ना में ६१.९२ और दमोह में ५६.४४ प्रतिशत उत्पादन ही मिल सका है।
खाद्य सुरक्षा का संकट भी खड़ा हो गया :
अल्प वर्षा और सिंंचाई सुविधा के अभाव में कृषि उत्पादन में लगातार कमी आई है। रबी और खरीफ में अपेक्षाकृत बेहद न्यूनतम उत्पादन मिलने के कारण किसान संंकट मेंं हैं और आने वाले महीनों में बेहद गंभीर खाद्यान्न संकट उत्पन्न होने वाला है। इसके अतिरिक्त खाद्य सुुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पीडीएस योजना संचालन में संबंधित विभागों द्वारा शिथिलता बरती जा रही है, जिस कारण अन्तिम व्यक्ति तक उसका लाभ नहीं पहुंच पा रहा है।
जिला खाद सुरक्षा का संकट
छतरपुर ३८.१ त्न
टीकमगढ़ ३७.२ त्न
पन्ना ३८.६ त्न
दमोह ३९.२ त्न
————————
जिला खरीब फसल को नुकसान
छतरपुर ७८ त्न
टीकमगढ़ ७६ त्न
पन्ना ७३ त्न
दमोह ८२ त्न
————————
जिला रवी फसल को नुकसान
छतरपुर ५८ त्न
टीकमगढ़ ६८ त्न
पन्ना ५९ त्न
दमोह ८२ त्न
इस वर्ष मानसून की बेरुखी के कारण सतही जल संरचनाओं में, सिंचाई स्त्रोत मेंं सहायक डेम व नदियों में पानी का अभाव रहा। साथ ही साथ भू-गर्भ जल भंडारण में भी कमी आई जिसके परिणामस्वरुप रबी फसल चक्र में सिर्फ 52 प्रतिशत कृषि क्षेत्र में बुवाई हो सकी। लिहाजा किसानों को 55 प्रतिशत उत्पादन भी नहीं मिल पाया। छतरपुर में ५२.७ प्रतिशत, टीकमगढ़ में ५७.७, पन्ना में ६१.९२ और दमोह में ५६.४४ प्रतिशत उत्पादन ही मिल सका है।
खाद्य सुरक्षा का संकट भी खड़ा हो गया :
अल्प वर्षा और सिंंचाई सुविधा के अभाव में कृषि उत्पादन में लगातार कमी आई है। रबी और खरीफ में अपेक्षाकृत बेहद न्यूनतम उत्पादन मिलने के कारण किसान संंकट मेंं हैं और आने वाले महीनों में बेहद गंभीर खाद्यान्न संकट उत्पन्न होने वाला है। इसके अतिरिक्त खाद्य सुुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पीडीएस योजना संचालन में संबंधित विभागों द्वारा शिथिलता बरती जा रही है, जिस कारण अन्तिम व्यक्ति तक उसका लाभ नहीं पहुंच पा रहा है।
जिला खाद सुरक्षा का संकट
छतरपुर ३८.१ त्न
टीकमगढ़ ३७.२ त्न
पन्ना ३८.६ त्न
दमोह ३९.२ त्न
————————
जिला खरीब फसल को नुकसान
छतरपुर ७८ त्न
टीकमगढ़ ७६ त्न
पन्ना ७३ त्न
दमोह ८२ त्न
————————
जिला रवी फसल को नुकसान
छतरपुर ५८ त्न
टीकमगढ़ ६८ त्न
पन्ना ५९ त्न
दमोह ८२ त्न
किसानों पर लगातार बढ़ा कर्ज :
कम उत्पादन के कारण बुंदेलखंड का किसान बैंक से लिए गए कर्ज एवं साहूकारों के लिए गए कर्ज का भुगतान करने में असमर्थ हैं। सर्वे किए गए गांवोंं में 70-90 प्रतिशत लघु एवं सीमान्त किसान कर्ज में दबे हुए हैं। कर्ज से परेशान कई किसान आत्महत्या भी कर चुके हैं। अधिकांश किसान गांवों को छोड़कर काम की तलाश में बड़े शहरों की ओर चले गए हैं। सबसे ज्यादा छतरपुर और टीकमगढ़ के किसान कर्ज के बोझ से दबे हैं।
जिला किसानों पर कर्ज की स्थिति
छतरपुर ८७.४ त्न
टीकमगढ़ ८५.९ त्न
पन्ना ७२.५ त्न
दमोह ६५.७७ त्न
पलायन के कारण खाली हो रहे गांव :
सर्वे किए गए गांवों में विपन्न समुदाय के परिवार के सदस्यों के लिए मजदूरी ही एकमात्र आजीविका का साधन है। कृषि में कम उत्पादन एवं मनरेगा में रोजगार नहीं मिलने के कारण यहां का लगभग 65 प्रतिशत मजदूर वर्ग दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, गुजरात जैसे शहर में पलायन कर चुके हैं। और अपने पीछे महिलाओं, बुजुर्गों एवं बच्चों को छोड़कर गांव में ही चले जाते हैं जिनके स्वास्थ्य, शिक्षा एवं सामाजिक स्तर पर लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है।
जिला पलायन की स्थिति
छतरपुर ६७.८ त्न
टीकमगढ़ ६८.३ त्न
पन्ना ५९.२ त्न
दमोह ६७.४ त्न
छतरपुर ८७.४ त्न
टीकमगढ़ ८५.९ त्न
पन्ना ७२.५ त्न
दमोह ६५.७७ त्न
पलायन के कारण खाली हो रहे गांव :
सर्वे किए गए गांवों में विपन्न समुदाय के परिवार के सदस्यों के लिए मजदूरी ही एकमात्र आजीविका का साधन है। कृषि में कम उत्पादन एवं मनरेगा में रोजगार नहीं मिलने के कारण यहां का लगभग 65 प्रतिशत मजदूर वर्ग दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, गुजरात जैसे शहर में पलायन कर चुके हैं। और अपने पीछे महिलाओं, बुजुर्गों एवं बच्चों को छोड़कर गांव में ही चले जाते हैं जिनके स्वास्थ्य, शिक्षा एवं सामाजिक स्तर पर लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है।
जिला पलायन की स्थिति
छतरपुर ६७.८ त्न
टीकमगढ़ ६८.३ त्न
पन्ना ५९.२ त्न
दमोह ६७.४ त्न
पशुपालन पर भी संकट :
अल्प वर्षा के कारण चारा उत्पादन में भी गिरावट दर्ज की गई है। जिसके परिणामस्वरुप पालतू पशुओं के लिए चारे का संकट खड़ा हो गया है। चारे के अभाव में पशुओं के स्वास्थ्य एवं दुग्ध उत्पादन की क्षमता में कमी आई है। ऐसी स्थिति में किसान इन जानवरों को खुला छोड़ देते हैं जो भोजन की तलाश में खेत में पहुंचकर पूर्ण तरीके से खेत नष्ट कर देते हैं। साथ ही इन जानवरों के साथ वाहनों के साथ टकराने से मरने की भी संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी हुई है।
अल्प वर्षा के कारण चारा उत्पादन में भी गिरावट दर्ज की गई है। जिसके परिणामस्वरुप पालतू पशुओं के लिए चारे का संकट खड़ा हो गया है। चारे के अभाव में पशुओं के स्वास्थ्य एवं दुग्ध उत्पादन की क्षमता में कमी आई है। ऐसी स्थिति में किसान इन जानवरों को खुला छोड़ देते हैं जो भोजन की तलाश में खेत में पहुंचकर पूर्ण तरीके से खेत नष्ट कर देते हैं। साथ ही इन जानवरों के साथ वाहनों के साथ टकराने से मरने की भी संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी हुई है।
हम समाधान की ओर बढ़ रहे हैं :
बुंदेलखंड के गांवों का सर्वे कराने के बाद हम समाधान की ओर बढ़ रहे हैं। सबसे पहले गांवों में जलसंकट की स्थिति दूर करने और ज्यादा से ज्यादा वर्षा जल रोकने के लिए वॉटर वाडी को ठीक करने में लगे हैं। सरकारी स्तर से लेकर श्रमदान, जनसहयोग और ग्रामीणों को जागरुक करके इस दिशा में काम शुरू कर दिया गया है। प्रदेश के मुख्यमंत्री को भी पूरी सर्वे रिपोर्ट भेजी गई है। इसमें समाधान के तरीकों का भी जिक्र किया गया है। शासन अपना काम जब भी करे, इससे पहले हम अपने स्तर पर गांव में काम कर रहे हैं।
– संजय सिंह, राष्ट्रीय संयोजक जल-जन जोड़ो अभियान
बुंदेलखंड के गांवों का सर्वे कराने के बाद हम समाधान की ओर बढ़ रहे हैं। सबसे पहले गांवों में जलसंकट की स्थिति दूर करने और ज्यादा से ज्यादा वर्षा जल रोकने के लिए वॉटर वाडी को ठीक करने में लगे हैं। सरकारी स्तर से लेकर श्रमदान, जनसहयोग और ग्रामीणों को जागरुक करके इस दिशा में काम शुरू कर दिया गया है। प्रदेश के मुख्यमंत्री को भी पूरी सर्वे रिपोर्ट भेजी गई है। इसमें समाधान के तरीकों का भी जिक्र किया गया है। शासन अपना काम जब भी करे, इससे पहले हम अपने स्तर पर गांव में काम कर रहे हैं।
– संजय सिंह, राष्ट्रीय संयोजक जल-जन जोड़ो अभियान