छतरपुर

पर्यावरण बचाओं-पेड़ लगाओ की थीम पर निकलेगी बुंदेलखंडी कांबड़ यात्रा

– पर्यावरण बचाओं-पेड़ लगाओ की थीम पर निकलेगी बुंदेलखंडी कांबड़ यात्रा- छतरपुर से जटाशंकर के लिए 4-5 अगस्त को निकलेगी कांबड़ यात्रा- शहर में पितृ पर्वत बनाकर स्मृति वन लगाने चलाया जाएगा अभियान

छतरपुरJul 26, 2019 / 07:37 pm

Neeraj soni

Chhatarpur

छतरपुर। पत्रिका के हरित प्रदेश अभियान से प्रेरित होकर इस बार जिले की सबसे बड़ी कांबड़ यात्रा पर्यावरण बचाओ-पेड़ लगाओ थीम पर निकाली जा रही है। कांबड़ यात्रा के मार्ग से लेकर यहां के पहाड़ों पर हजारों पेड़ रोपे जाएंगे। यात्रा में शामिल होने वाले हर प्रतिभागी कांबडिय़ा को एक-एक पौधा देकर उसका रोपण करवाया जाएगा। प्रसाद में भी इस बार तुलसी के 5100 पौधों का वितरण किया जाएगा। पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष पुष्पेंद्रप्रताप सिंह और नगरपालिका अध्यक्ष अर्चना गुड्डू सिंह द्वारा वर्ष २०१६ से जिले के शिवधाम जटाशंकर के लिए कांबड़ यात्रा निकाली जा रही है। बुंदेली लोक संस्कृति की थीम पर निकाली जाने वाली जिले की यह सबसे बड़ी कांबड़ यात्रा होती है, जिसमें पूरे जिले से लोग शामिल होने आते हैं। इस बार की यात्रा को पत्रिका के हरित प्रदेश अभियान से प्रेरित होकर पर्यावरण संरक्षण की थीम पर आयोजित किया जा रहा है। यात्रा के संयोजक पुष्पेंद्रप्रताप सिंह ने बताया कि इस बार हजारों की संख्या में यात्रा के मार्ग पर सभी कांबडिय़ों से पौधारोपण करवाया जाएगा। रास्तें में पडऩे वाले सुरक्षित स्कूल परिसर, मंदिर परिसर, खेतों, बगीचों से लेकर लोगों के घरों में पौधे रोपे जाएंगे। साथही घर-घर में तुलसी का पौधा भी बांटा जाएगा। इसके अलावा यात्रा के एक दिन पहले ३ अगस्त को हरियाली तीज के मौके पर शहर के सिंचाई कॉलोनी स्थित पहाड़ी पर एक हजार पौधे एक साथ रोप जाएंगे। यहां पर ऐसे परिवारों के लोग पहुंचेंगे जो अपने दिवंगत पूर्वजों की स्मृति में उनके नाम से पौधा रोपेंगे। इस पहाड़ी को पितृ पर्वत के रूप में विकसित भी किया जाएगा। इसके अलावा स्मृति वन भी तैयार करवाए जाएंगे। साथही शहर के बगीचों, पार्कों और तालाब किनारे भी पौधारोपण करवाया जाएगा।
पूरी यात्रा पर्यावरण की थीम पर होगी :
इस बार की बुंदेलखंडी काबड़ यात्रा पूरी तरह से पर्यावरण की थीम पर होगी। यहां तक कि कांबडिय़ों को जल-पान से लेकर भोजन तक दौना-पत्तल आदि में कराया जाएगा। पॉलीथिन के उपयोग पर भी प्रतिबंध रहेगा। तुलसी के पौधे घर-घर में पहुंचने के लिए प्रसाद के रूप में लोगों को उनका वितरण भी किया जाएगा।
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