scriptचंदेल काल में पहाड़ खोदकर बनाया गया था नैनागिरी का तालाब, खोता जा रहा अस्तित्व | Chandel Kalin Talab: Save Nainagiri Jain Tirth Talab Baxwaha Chhatarpu | Patrika News

चंदेल काल में पहाड़ खोदकर बनाया गया था नैनागिरी का तालाब, खोता जा रहा अस्तित्व

locationछतरपुरPublished: May 23, 2020 08:16:53 pm

Submitted by:

Samved Jain

14 एकड़ का तालाब सिमटकर होता गया छोटा, तालाब की सुंदरता के सुनाए जाते हैं किस्से

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प्रशांत जैन, बक्स्वाहा. नैनागिरी का वह तालाब जिसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं। चंदेल राजाओं में काल में इसका निर्माण पहाड़ खोदकर किया गया था। जिस तालाब के बीच प्रसिद्ध तीर्थ हैं और जिस तालाब की सुंदरता के आज भी किस्से सुनाए जाते हैं। वह तालाब अब दुदर्शा का शिकार हो गया हैं। हाल यह है कि अब जल्द ही इस प्राचीन तालाब को संवारा नहीं जाता हैं तो इसके अस्तित्व को भी खतरा हो सकता हैं।

चंदेल काल में बने एक हजार तालाब में से एक यह तालाब प्रसिद्ध तीर्थ क्षेत्र नैनागिरी में हैं। जिसे महावीर तालाब के नाम से जाना जाता हैं। बताते है कि 600-700 वर्ष पूर्व यह तालाब पहाड़ खोदकर 14 एकड़ के रकवे में बनाया गया था। जिससे यहां रहने वा ले आसपास के लोग इस तालाब का उपयोग कर सकें। इस तालाब के बीचों-बीच जैन मंदिर भी हैं। जिसकी परछाई तालाब में पड़ते मनोहर सुंदरता झलकती हैं। जिसे देखने के लिए दूर-दूर से सैलानी आते हैं। यही वहज रही कि यह तालाब नैनागिरी की शान माना जाता हैं। आज भी नैनागिरी की बात में तालाब का जिक्र न हो, संभव नहीं हैं।

अतिक्रमण और रखरखाव के अभाव में हुआ दुर्दशा का शिकार
600 साल से भी अधिक पुराने इस तालाब के जीर्णोद्धार के लिए कभी भी प्रशासन सामने नहीं आया। जैन तीर्थ समिति द्वारा समय-समय पर इसकी देखरेख की गई, लेकिन अब तालाब बदत्तर स्थिति में पहुंच चुका हैं। अतिक्रमण भी तालाब के एक ओर फेल रहा है। तालाब की पिचिंग पूरी तरह खराब हो चुकी हैं। गहरीकरण भी न के बराबर ही रहा हैं। ऐसे में बारिश का पानी तालाब में अधिक समय ठहर नहीं पाता है। बंधान में रिसाव होने की वजह से तालाब अस्तित्व खोता जा रहा हैं। जिससे गर्मियों में पशुओं के पानी नहीं मिल पा रहा है। जबकि तालाब की सुंदरता भी खत्म हो रही है। यहां पहुंचने वाले सैलानी तालाब की सुंदरता की बजाय दुर्दशा देखकर जा रहे हैं।

कई बार उठाई मांग, प्रशासन ने नहीं दिया ध्यान
नैनागिरी तीर्थ क्षेत्र, ग्राम पंचायत के अलावा बक्स्वाहा क्षेत्र के समाजसेवियों और संस्थाओं द्वारा तालाब के संरक्षण के लिए प्रशासन और शासन स्तर पर अनेक बार मांग उठाई जा चुकी हैं, लेकिन प्रशासन द्वारा हमेशा इस तालाब को अनदेखा ही किया गया हैं। नतीजतन, आज तालाब इस स्थिति में पहुंच गया हैं कि उसका अस्तित्व ही शेष नजर आता हैं। प्रशासन से फिर से प्राचीन तालाब के संरक्षण के लिए लोगों ने पत्रिका अमृतम जलम् के माध्यम से बचाने का आग्रह किया हैं। जिससे प्राचीन विरासत को बचाया जा सके।
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