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सब्जियों-फलों को ताजा दिखाने के लिए कर रहे केमिकल ट्रीटमेंट

locationछतरपुरPublished: Jan 22, 2022 05:34:49 pm

Submitted by:

Dharmendra Singh

केमिकल के कारण साफ सुंदर दिखने वाली सब्जियां 24 घंटे के अंदर जाती है गलकेमिकल ट्रीटमेंट से किडनी-लिवर पर पड़ रहा असर, ऐसे कर सकते हैं पहचान

केमिकल से होती है गंभीर बीमारियां

केमिकल से होती है गंभीर बीमारियां

जानना जरूरी है

छतरपुर। सब्जियों को चमकदार बनाने और ताजा दिखाने के लिए केमिकल ट्रीटमेंट किया जा रहा है। केमिकल से धुली सब्जियां व फल देखने में ज्यादा चमकाने और ताजा दिखाई देती है। लेकिन खरीदने के बाद घर में आने के 24 घंटे के अंदर ऐसी सब्जियां व फल गलने लगते हैं। ये केमिकल मिक्स सब्जियों को खाकर एलर्जिक रिएक्शन होने से किडनी व लिवर की जानलेवा बीमारियों का खतरा बढ़ गया है।
केमिकल से होती है गंभीर बीमारियां
जिला अस्पताल के डां. आरके धमनया के अनुसार एक्स्ट्रा फ्रेश सब्जियों के आकर्षण से बचकर सामान्य रंग रूप वाले फल-सब्ब्जियों का उपयोग करना शरीर के लिए लाभदायक है। सब्जियों के माध्यम से केमिकल शरीर में एकत्र होकर जब बीमारियों को जन्म देने लगते है तब सच्चाई समझ में आती है। दरअसल केमिकल ट्रीटमेंट से सब्जियों की चमक, लुभावने आकार को देखकर खरीदार आसानी से धोखा खा जाते है। एक्स्ट्रा फ्रेश दिखने वाली सब्जियों के सेवन से एलर्जिक रिएक्शन के कारण कई बार हार्ट डिसीज, लिवर व कीडनी फेल होने का खतरा बढ़ जाता है। पेट संबंधी बीमारी, बीपी, गैस ट्रबल, कैंसर, फूड प्वाइजनिंग की शिकायत भी होने लगती है।

तरह तरह के केमिकल का हो रहा इस्तेमाल
शहर में बिक रही सब्जियों में कद्दू, लौकी, भिंडी, करेला, शिमला मिर्च, हरी मिर्च, फूलगोभी, पत्तागोभी, धनियां, पालक, टिंडा, तुरई और परवल को ग्रीन केमिकल से चमकाया जाता है। बैगन पर कीड़े का छेद होने से उसमें केमिकलयुक्त मसाला भरा जाता है। लौकी के डंठल में 0.1 एमएल का ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन लगाने से रातभर में लौकी 13-15 इंच तक लंबी हो जाती है। मेलाथियान के घोल में बासी फूलगोभी, मिर्च, परवल, पत्तागोभी, टिंडा डुबोकर सुखाने से 24 घंटे में ताजी सब्जी जैसी चमक आ जाती है। कच्चे हरे केलों को इथेन के पानी में डुबोकर बोरों से ढंककर रखने से वे पके केलों की तरह पीले हो जाते हैं।
हरे रंग का भी होता है इस्तेमाल
पहले बड़े बर्तन में हरा रंग घोलकर इसमें कुछ मात्रा में सरसों का तेल डाला जाता है। इसमें केमिकल की कुछ बूंदें डाली जाती हैं। केमिकल को रंग व तेल के घोल में अच्छी तरह मिलाया जाता है। इस घोल में सब्जियों को डुबोते हैं। करीब 10 मिनट बाद घोल से सब्जियों को निकालते हैं तो एकदम चमकदार सब्जियां निकलती हैं। सब्जी विक्रेता जानकी कुशवाहा ने बताया कि सब्जियां बासी होने से नुकसान को बचाने के लिए उन पर दवा डाली जा रही है। जिससे बासी सब्जियां ताजा सब्जी की तरह चमकदार दिखती हैं और उनके वाजिब दाम मिल जाते हैं।

ऐसे पता कर सकते है केमिकल ट्रीटमेंट
ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी राजीव सक्सेना ने बताया कि सब्जी की गंध से उसमें कैमिकल ट्रीटमेंट का पता लगा सकते हैं। सामान्य रंगरूप व फ्रेश दिखाई देने वाली सब्जियां बिना केमिकल ट्रीटमेन्ट की होती है। सब्जी को करीब 12-16 घंटे तक खुले में रखने पर केमिकल ट्रीटमेंन्ट वाली सब्जी में कुछ कालापन आ जाता है। अधिक हरी सब्जी को पानी से धोकर या हाथ से रगड़कर पता लगा सकते हैं। केमिकल ट्रीटमेंट वाली सब्जी पकने में अधिक समय लेती है।

इनका कहना है
सब्जियों पर केमिकल का इस्तेमाल की अभी तक कोई शिकायत हमारे पास नहीं आई है। लेकिन ऐसा किया जा रहा है, तो कार्रवाई कराएंगे।
डॉ. विजय पथौरिया, सीएमएचओ, छतरपुर

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