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कोरोना के खिलाफ संभाग में सबसे कारगर रहा छतरपुर मॉडल

locationछतरपुरPublished: Jul 05, 2020 08:27:44 pm

Submitted by:

Dharmendra Singh

93 फीसदी रिकवरी रेट के साथ महामारी फैलने और मौत को रोकने में कामयाब रहा जिला प्रशासनकम संसाधनों के वाबजूद जागरुकता और समय से कदम उठाने से मिल रही सफलता

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छतरपुर। पिछले 100 दिनों से चल रही कोरोना के विरूद्ध लड़ाई में तमाम जिलों के इंतजामों और कोरोना के कारण जिलों में हुए नुकसान का मूल्यांकन किया जा रहा है। सागर संभाग में यदि तुलनात्मक रूप से 100 दिनों के प्रदर्शन की समीक्षा की जाए तो छतरपुर जिला संभाग के शेष चारों जिलों में सबसे बेहतर प्रदर्शन करने वाला जिला रहा है। कलेक्टर शीलेन्द्र सिंह के नेतृत्व में कोविड के खिलाफ चल रही इस लड़ाई में छतरपुर जिले का रिकवरी रेट 93 फीसदी के आसपास है जो कि संभाग में सबसे ऊपर और प्रदेश में टॉप 5 में शामिल है। कोविड के खिलाफ चल रही इस लड़ाई में छतरपुर जिला प्रशासन ने कुछ ऐसे नवीन प्रयोग किए जिसके कारण यह मॉडल इस महामारी के खिलाफ एक कारगर मॉडल बनकर उभरा है। हालंाकि कोरोना के खिलाफ लड़ाई अभी जारी है लेकिन अब तक के नतीजे बताते हैं कि छतरपुर जिले ने कोरोना के विरूद्ध काफी हद तक जीत हासिल कर ली है।
समय पूर्व मरीजों की पहचान का मिला फायदा
93 फीसदी रिकवरी रेट के साथ संभाग में कोरोना के खिलाफ सबसे बेहतर लड़ाई लड़ रहे छतरपुर जिले को कलेक्टर शीलेन्द्र सिंह की दूरदर्शिता का फायदा मिला है। जिले में लॉकडाउन की तारीख 25 मार्च से 19 मई तक एक भी मामला सामने नहीं आया लेकिन इन 54 दिनों में भी छतरपुर के स्वास्थ्यकर्मी खाली नहीं बैठे बल्कि डोर टू डोर सर्वे कर मरीजों की पहचान करते रहे। इन्हीं सर्वे के कारण स्वास्थ्यकर्मियों को एक ओर जहां कोरोना को डील करने का अभ्यास हुआ तो वहीं दूसरी तरफ जनता में भी जागरूकता आई। बाहर से आने वाले लोगों की तत्काल जानकारी प्रशासन तक पहुंचने लगी। यही वजह रही कि बाहर से लौटने के कुछ घंटों अथवा एक दिन के भीतर मिली बाहरियों की जानकारी पर उन्हें तत्काल क्वारंटीन कर उपचारित किया गया। इसी तरह ऑपरेशन पहचान के जरिए भी प्रतिदिन जिले के अस्पतालों में पहुंचने वाले सर्दी, जुकाम और बुखार के मरीजों पर नजर रखी गई। इतना ही नहीं मेडिकल से भी सर्दी, जुकाम और बुखार की दवाई खरीदने वालों का डेटा प्रतिदिन लिया गया। समय पूर्व की गई तैयारियां और प्रारंभिक अवस्था में ही मिले कोरोना के मरीजों का समय पर इलाज होने के कारण 60 मामलों के बावजूद जिले में एक भी मौत नहीं हुई।
83 हजार प्रवासी लौटे फिर भी फैलने नहीं दी महामारी
कोरोना संकटकाल के दौरान छतरपुर जिले के सामने सबसे बड़ी चुनौती कोरोना हॉटस्पॉट महानगरों से लौटे अप्रवासी मजदूर थे। जिले में लगभग 100 से ज्यादा बसों एवं एक दर्जन से ज्यादा टे्रनों के माध्यम से तकरीबन 83 हजार अप्रवासी मजदूर बाहर से लौटे, लेकिन प्रशासन की चुस्त-दुरूस्त व्यवस्थाओं के कारण इन मजदूरों के कारण भी जिले में बड़े पैमाने पर महामारी नहीं फैली। जिले में सामने आए 60 में से 58 मामले अप्रवासी मजदूरों से ही जुड़े हैं, लेकिन इन लोगों के लौटने पर गांव में महामारी फैलने से पहले ही इनकी पहचान कर उपचारित किया गया। जिले में इन 83588 अप्रवासी मजदूरों के साथ-साथ यहां रहने वाली कुल आबादी सहित लॉकडाउन के समय जिले से गुजरे लोगों को मिलाकर अब तक 2 लाख 67 हजार 177 लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया।
इन चार प्रयासों से मिल रही सफलता
1. दो महीने पहले ही डोर टू डोर सर्वे की शुरूआत। जिले के 20 लाख लोगों का दो बार सर्वे हुआ, तीसरी बार जारी
2. ऑपरेशन पहचान के माध्यम से सर्दी, जुकाम, बुखार वाले मरीजों को स्वास्थ्य केन्द्रों और मेडिकल स्टोर पर ही पहचान कर उन पर निगरानी रखी गई।
3. हर गांव और वार्ड में निगरानी समिति बनाई गई। प्रतिदिन कर्मचारी और समिति के सदस्य वार्ड एवं गांव में आए बाहरी व्यक्ति की जानकारी प्रशासन को अनिवार्य रूप से अपडेट करते हैं जिससे बाहर से आने वाले लोगों की तुरंत पहचान हो जाती है। इसी कारण कोरोना के मामले बड़ी संख्या में नहीं फैल पाए।
4 प्रदेश का पहला जिला जो संभाग मुख्यालय एवं नॉन मेडिकल डिस्ट्रिक होने के बाद भी जांच की टू्र नॉट मशीन लगाने में कामयाब रहा। फिलहाल दो मशीनें कार्यरत हैं।

बुजुर्ग, बच्चे, टीबी के मरीज और गर्भवती महिलाएं तक स्वस्थ हुईं
एक ओर संभाग मुख्यालय जहां मेडिकल कॉलेज सहित स्वास्थ्य के बड़े संस्थानों एवं डॉक्टरों व स्वास्थ्यकर्मियों की बड़ी टीम मौजूद होने के बावजूद कोरोना से मौत के 22 मामले सामने आए तो वहीं दूसरी ओर छतरपुर में उन लोगों ने भी कोरोना को मात दे दी जिन्हें कोरोना का आसान शिकार बताया जा रहा था। अब तक सामने आए 60 में से 56 मरीज ठीक होकर घर जा चुके हैं। ठीक होने वाले मरीजों में 90 और 85 साल के दो बुजुर्ग, दो गर्भवती महिलाएं, 3 साल से लेकर 12 साल की उम्र तक के 5 से ज्यादा बच्चे शामिल रहे। इतना ही नहीं टीबी के मरीजों के लिए कोरोना सबसे खतरनाक बताया जा रहा था लेकिन छतरपुर मे कोरोना का शिकार हुआ टीबी का एक मरीज भी पूरी तरह स्वस्थ होकर घर लौट गया है।
जनता और नेताओं ने जोड़े 70 लाख, फूड पैकेट बांटे, मास्क और सेनेटाइजर से किया बचाव
छतरपुर में कोरोना के विरूद्ध चली लड़ाई में जिला बेहतर स्थिति में है। इसका प्रमुख कारण प्रशासनिक तैयारियों के साथ-साथ जनप्रतिनिधियों और जनता का आपसी सामंजस्य भी रहा। पूरे संभाग में छतरपुर पहला ऐसा जिला रहा जहां इस लड़ाई के लिए जनता और जनप्रतिनिधियों ने खुलकर राशि दी। जिले के सभी विधायकों ने जहां अपनी विधायक निधि से प्रशासन को इलाज के लिए पैसा दिया तो वहीं निजी खर्चे पर भी मास्क, सेनेटाइजर वितरित किए। इतना ही नहीं जिले के आम व्यापारियों और कर्मचारियों ने भी लगभग 30 लाख रूपए की राशि इकट्ठी कर प्रशासन को सौंपी और लगातार भोजन पैकेट का वितरण किया। संभाग के तमाम जिलों में कोविड की तैयारियों के लिए शासन से अलग से आर्थिक मदद मांगी गई लेकिन छतरपुर में शासन से अलग से आर्थिक मदद लिए बगैर शानदार प्रदर्शन किया गया। इतना ही नहीं जनता ने अपने निजी खर्चे से मास्क सेनेटाइजर का वितरण किया। दो महीने तक गरीबों को फूड पैकेट भी बांटे।
संभाग में कोरोना की स्थिति
शनिवार रात तक
जिला – कुल केस एक्टिव – ठीक हुए- मौत- रिकवरी रेट
सागर- 417 108 287 22 69 प्रतिशत
टीकमगढ़- 69 37 31 01 45 प्रतिशत
पन्ना- 49 17 33 00 68 प्रतिशत
दमोह- 48 16 32 00 67 प्रतिशत
छतरपुर- 60 04 56 00 93 प्रतिशत
अब भी सावधानी की जरूरत
कोरोना के खिलाफ चल रही लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है। हमें अब भी सावधान और सतर्क रहना है। जिले के अच्छे प्रदर्शन का कारण यह रहा कि हमने समय पूर्व तैयारियां कीं। प्रारंभिक अवस्था में मरीजों की पहचान की और उन्हें एक बेहतर स्वास्थ्य टीम की देखरेख में उपचारित किया गया। लोगों को इस महामारी पर विजय प्राप्त करने के लिए अभी भी मास्क एवं सेनेटाइजर के प्रयोग व दो गज की दूरी का पालन करते रहना चाहिए तभी हम इस लड़ाई को पूरी तरह जीत पाएंगे।
शीलेन्द्र सिंह, कलेक्टर, छतरपुर
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