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आंगनबाड़ी में पोषण के नाम पर मिलता हैं सिर्फ एक बार भोजन और नाश्ता, कैसे होगा कुपोषण दूर

locationछतरपुरPublished: Feb 15, 2020 07:38:16 pm

Submitted by:

Samved Jain

विभाग का दावा आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से अति गंभीर कुपोषितों को पोषित करने किए जाते हैं प्रयास, मौके पर पता किया तो कार्यकर्ताएं बोलीं: सिर्फ समूह से आने वाला खाना ही देते बच्चों को, अलग से नहीं कोई चार्ट

आंगनबाड़ी में पोषण के नाम पर मिलता हैं सिर्फ एक बार भोजन और नाश्ता, कैसे होगा कुपोषण दूर

आंगनबाड़ी में पोषण के नाम पर मिलता हैं सिर्फ एक बार भोजन और नाश्ता, कैसे होगा कुपोषण दूर

छतरपुर. वार्ड और गांवों में मिलने वाले मध्यम और अति गंभीर कुपोषितों को पोषित करने के लिए विभाग ने आंगनबाड़ी केंद्रों को जिम्मेदारी दे रखी हैं। इनके ही भरोसे 95 प्रतिशत कुपोषित बच्चों को पोषित करने की जिम्मेदारी हैं, जबकि 5 प्रतिशत बच्चे ही एनआरसी पहुंच रहे है, लेकिन हकीकत में केंद्रों पर क्या व्यवस्थाएं, यह जानने के बाद स्पष्ट हैं कि 95 प्रतिशत बच्चों के जीवन से विभाग खिलवाड़ कर रहा हैं।

शनिवार को पत्रिका ने भी कुपोषण को खत्म करने आंगनबाड़ी केंद्रों पर हो रहे प्रयास को जानने कुछ आंगनबाड़ी केंद्रों का जायजा लिया। सभी जगहों पर कुपोषित बच्चों की खुराक और इनके डे-नाइट चार्ट के बारे में जानकारी जुटाई गई, लेकिन ऐसा कुछ यहां नहीं मिला। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने बताया कि समूह से आने वाले खाना को सामान्य बच्चों की तरह इन्हें खिलाया जाता हैं। इसके अलावा मंगलवार को पोषण आहार के पैकट भी बांटे जाते हैं। ऐसे में कैसे बच्चे कुपोषण के दंश से बाहर हों, समझा जा सकता हैं।

आंगनबाड़ी केंद्र-1
शनिवार की दोपहर 1 बजे पत्रिका ने डीइओ कार्यालय के बाजू में स्थित आंगनबाड़ी केंद्र का जायजा लिया। यहां दर्ज 66 बच्चों में से एक भी बच्चा मौजूद नहीं मिला। 45 की उपस्थिति बताई गई। सहायका के अनुसार समूह से आए सब्जी, पूड़ी और दलिया को खाने के बाद बच्चे चले गए हैं। 3 बच्चे अति कुपोषित दर्ज हैं, जिन्हें भी सामान्य भोजन ही दिया जाता हैं। इसके अलावा यहां काफी मात्रा में बच्चों और महिलाओं को बांटे जाने वाली पोषण के पैकट रखे मिले। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता विपनेश पाठक ने बताया कि जितनी व्यवस्थाएं हैं उसके अनुसार ही काम हो रहा हैं, लेकिन अति गंभीर कुपोषित बच्चों का अलग से कोई ध्यान नहीं दिया जाता हैं।
आंगनबाड़ी केंद्र-2
राजनगर रोड पर स्थित आंगनबाड़ी केंद्र क्रमांक 26 डेढ़ बजे हम पहुंचे। यहां भी बच्चे नहीं मिले। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता यहां राशन सत्यापन के कार्य में व्यस्त मिली। उनके अनुसार बच्चे खाना खाने आते हैं और चले जाते हैं। कुपोषित बच्चों को एनआरसी भेजने का रहता हैं, जिन्हें भेजा जाता हैं। कार्यकर्ता अचना खरे के अनुसार पोषण के लिए सिर्फ यहां पहुंचने वाली महिलाओं को समझाइश दी जाती हैं। अलग से कोई डाइट नहीं हैं जो बच्चों को दी जा सके।
आंगनबाड़ी केंद्र -3
दो आंगनबाड़ी की तरह बायपास रोड पर स्कूल के बाजू से स्थित आंगनबाड़ी केंद्र पर भी कुछ इसी तरह के हालात मिले। कुपोषित बच्चों को पोषित करने के लिए यहां भी अलग से कोई प्लान नहीं था। कार्यकर्ता माया राठौर का कहना हैं कि बच्चे आते हैं, खाने के बाद चले जाते हैं। अति कुपोषित बच्चों को लेकर अभियान की जानकारी तो दी गई थी, लेकिन फिर कुछ नहीं हुआ। कुछ बच्चे इस केंद्र से भी अति गंभीर कुपोषित हैं, लेकिन उनके माता-पिता एनआरसी नहीं जाना चाहते। ऐसे में हम क्या कर सकते हैं। बिना एनआरसी भेजे ऐसे बच्चों को पोषित भी नहीं किया जा सकता हैं।
गांवों को सबसे ज्यादा खराब स्थिति
शहर के कुपोषित बच्चों को तो कुछ आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा मनाकर एनआरसी पहुंचा दिया जाता हैं, लेकिन गांवों में सबसे ज्यादा स्थिति खराब हैं। जिले के 2058 आंगनबाड़ी केंद्रों पर अधिकांश अति कुपोषित बच्चे ग्रामीण क्षेत्रों में फाउंड किए जाते हैं। जब शहर की आंगनबाड़ी कार्यकर्ताएं ऐसे बच्चों को एनआरसी तक नहीं पहुंचा पाती हैं तो ग्रामीण क्षेत्र में हालात और खराब हो जाते हैं।
95 प्रतिशत बच्चों को नहीं पहुंचाया जा रहा एनआरसी
महिला एवं बाल विकास द्वारा हर माह करीब 18 सौ से 2 हजार बच्चों को अति गंभीर कुपोषण का शिकार चिन्हित किया जा रहा हैं। इनमें से 5 प्रतिशत को ही एनआरसी भेजा जा रहा हैं, जबकि 95 प्रतिशत बच्चों को आंगनबाड़ी केंद्रों पर रखकर ही पोषित करने का दावा विभाग द्वारा किया जाता हैं। इधर पत्रिका द्वारा लिए गए आंगनबाड़ी केंद्रों के जायजा में कहीं भी कुपोषित बच्चों के लिए अलग से कोई व्यवस्था नहीं मिली। जिससे स्पष्ट हैं कि कुपोषित 95 प्रतिशत बच्चों की जान से खिलवाड़ हो रही हैं।
वर्जन
आंगनबाड़ी केंद्रों और परियोजना अधिकारी द्वारा भ्रमण कर कुपोषित बच्चों को फाउंड किया जाता हैं। जो बच्चे एनआरसी भेजने लायक होते हैं, उन्हें भेजा जाता हैं। केंद्रों पर पोषण को लेकर तमाम व्यवस्थाएं हैं। सभी संबंधितों से रिपोर्ट ली जाएगी।
संजय जैन, महिला बाल विकास अधिकारी छतरपुर
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