गुरुवार को सुबह से ही जिले भर के 26सौ से अधिक मिडिल व प्राइमरी स्कूल के हैडमास्टर व एक शिक्षक को पहुंचने के आदेश दिए गए थे। साथ स्कूल पहुंचने के बाद राशन एकत्रित कर दर्ज संख्या के अनुसार हर ब’चे के घर पर मध्यान्ह भोजन का के खाद्यान्न की थैलियां पहुंचाने के निर्देश दिए गए थे। इस आदेश का पालन करते हुए गुरुवार को अधिकांश स्कूलों के शिक्षकों ने अपने-अपने स्कूल पहुंचकर यह कार्य किया, जबकि कुछ जाने में असमर्थ रहे। इस दौरान सोशल डिस्टेंस का ध्यान रखने के निर्देश दिए गए थे। इस दौरान अधिकांश स्कूलों में शिक्षकों ने ब’चों के घर जाकर खाद्यान्न बांटने की वजह स्कूल ब’चों को बुलाकर खाद्यान्न का वितरण किया गया। कुछ जगहों पर सोशल डिस्टेंस की व्यवस्था भी की गई थी।
शिक्षक संघ ने व्यवस्था पर जताई थी आपत्ति
शासन स्तर पर जारी आदेश के बाद अपर कलेक्टर प्रेमसिंह चौहान ने भी एक आदेश जारी करते हुए हर स्कूल प्रभारी को 27 मार्च तक यह कार्य संपादित करने के निर्देश दिए थे। इस आदेश के प्राप्त होने के बाद शिक्षकों ने इस पर आपत्ति व्यक्त की थी। इस संबंध में एक ज्ञापन भी डीपीसी को सौंपा गया था, जिसमें कुछ बिंदुओं को दर्शाते हुए शिक्षकों ने अपनी समस्या को उल्लेखित किया था। ज्ञापन के माध्यम से बताया गया था कि बुधवार तक वितरण केंद्रों तक खाद्यान्न नहीं पहुंचा था, ऐसे में गुरुवार को खाद्यान्न का उठाव करेंगे या घर-घर पहुंचकर खाद्यान्न थैली का वितरण करेंगे। इसके अलावा परिवहन के लिए टैक्सी उपलब्ध नहीं होने पर शाला तक खाद्यान्न ले जाने, लॉकडाउन के चलते पुलिस के रोके जाने और अपमानित किए जाने के डर और सोशल डिस्टेंस के लिए क्या करना हैं जैसी समस्याओं का उल्लेख किया था। जिस पर डीपीसी ने सभी बीआरसी को व्यवस्था कराने के निर्देश दिए थे।
2654 स्कूलों में दर्ज संख्या के अनुसार खाद्यान्न वितरण के थे आदेश
लॉकडाउन के चलते स्कूलों से वंचित ब’चों को मध्यान्ह भोजन प्राप्त होता रहे, इसके लिए शासन ने मार्च के शेष रह गए दिनों और अप्रैल माह का मध्यान्ह भोजन का खाद्यान्न जारी करते हुए ब’चों को घर-घर तक पहुंचाने का निर्णय लिया था। इसी के तहत जिले के 2654 स्कूलों में दर्ज ब’चों की संख्या के आधार पर खाद्यान्न जारी किया गया था। 19सौ प्राइमरी और 754 स्कूलों के ब’चों को यह खाद्यान्न वितरण की जिम्मेदारी हैडमास्टर को साथी शिक्षक को दी थी। जिसमें प्राइमरी के विद्यार्थी को 100 ग्राम प्रति छात्र और मिडिल के विद्यार्थी को 150 ग्राम प्रति गेहूं/ चावल का वितरण होना था। इस हिसाब से प्राइमरी के ब’चे को औसत 3300 ग्राम और मिडिल के ब’चे को औसत 5 किलो खाद्यान्न का वितरण किया गया।
बाइक से पहुंचे शिक्षक, स्कूल से ही किया अधिकांश ने वितरण
लॉकडाउन के चलते वाहनों की अनुपलब्धता के चलते शिक्षकों को अपने वाहनों से गुरुवार को स्कूल पहुंचना पड़ा। इस दौरान पुलिस ने उन्हें रोका भी और तमाम सवाल भी किए। स्कूल पहुंचने के बाद अधिकांश स्कूल प्रभारियों ने स्कूल से ही खाद्यान्न का वितरण किया गया। हालांकि, स्कूल में ब’चों को सोशल डिस्टेंस में रखने की कुछ स्कूलों की तस्वीरें सांझा हुई हैं। गुरुवार को कुछ स्कूलों में खाद्यान्न वितरण नहीं होने की भी खबर विभाग के पास पहुंची है, जिसके लिए भी 28 मार्च का समय दिया गया हैं।
वर्जन
शासन के आदेश के तहत स्कूल प्रभारियों को स्कूल में दर्ज संख्या के अनुसार ब’चों के घरों तक मध्यान्य भोजन खाद्यान्न पहुंचाया जाना था। इसके लिए आदेश जार किए गए थे। शिक्षक संघ की आपत्ति के बाद बीआरसी को व्यवस्था कराने निर्देश दिए थे। गुरुवार को अधिकांश जगहों पर खाद्यान्न का वितरण किया जा चुका हैं।
आरपी लखेर, डीपीसी
शिक्षक संघ ने व्यवस्था पर जताई थी आपत्ति
शासन स्तर पर जारी आदेश के बाद अपर कलेक्टर प्रेमसिंह चौहान ने भी एक आदेश जारी करते हुए हर स्कूल प्रभारी को 27 मार्च तक यह कार्य संपादित करने के निर्देश दिए थे। इस आदेश के प्राप्त होने के बाद शिक्षकों ने इस पर आपत्ति व्यक्त की थी। इस संबंध में एक ज्ञापन भी डीपीसी को सौंपा गया था, जिसमें कुछ बिंदुओं को दर्शाते हुए शिक्षकों ने अपनी समस्या को उल्लेखित किया था। ज्ञापन के माध्यम से बताया गया था कि बुधवार तक वितरण केंद्रों तक खाद्यान्न नहीं पहुंचा था, ऐसे में गुरुवार को खाद्यान्न का उठाव करेंगे या घर-घर पहुंचकर खाद्यान्न थैली का वितरण करेंगे। इसके अलावा परिवहन के लिए टैक्सी उपलब्ध नहीं होने पर शाला तक खाद्यान्न ले जाने, लॉकडाउन के चलते पुलिस के रोके जाने और अपमानित किए जाने के डर और सोशल डिस्टेंस के लिए क्या करना हैं जैसी समस्याओं का उल्लेख किया था। जिस पर डीपीसी ने सभी बीआरसी को व्यवस्था कराने के निर्देश दिए थे।
2654 स्कूलों में दर्ज संख्या के अनुसार खाद्यान्न वितरण के थे आदेश
लॉकडाउन के चलते स्कूलों से वंचित ब’चों को मध्यान्ह भोजन प्राप्त होता रहे, इसके लिए शासन ने मार्च के शेष रह गए दिनों और अप्रैल माह का मध्यान्ह भोजन का खाद्यान्न जारी करते हुए ब’चों को घर-घर तक पहुंचाने का निर्णय लिया था। इसी के तहत जिले के 2654 स्कूलों में दर्ज ब’चों की संख्या के आधार पर खाद्यान्न जारी किया गया था। 19सौ प्राइमरी और 754 स्कूलों के ब’चों को यह खाद्यान्न वितरण की जिम्मेदारी हैडमास्टर को साथी शिक्षक को दी थी। जिसमें प्राइमरी के विद्यार्थी को 100 ग्राम प्रति छात्र और मिडिल के विद्यार्थी को 150 ग्राम प्रति गेहूं/ चावल का वितरण होना था। इस हिसाब से प्राइमरी के ब’चे को औसत 3300 ग्राम और मिडिल के ब’चे को औसत 5 किलो खाद्यान्न का वितरण किया गया।
बाइक से पहुंचे शिक्षक, स्कूल से ही किया अधिकांश ने वितरण
लॉकडाउन के चलते वाहनों की अनुपलब्धता के चलते शिक्षकों को अपने वाहनों से गुरुवार को स्कूल पहुंचना पड़ा। इस दौरान पुलिस ने उन्हें रोका भी और तमाम सवाल भी किए। स्कूल पहुंचने के बाद अधिकांश स्कूल प्रभारियों ने स्कूल से ही खाद्यान्न का वितरण किया गया। हालांकि, स्कूल में ब’चों को सोशल डिस्टेंस में रखने की कुछ स्कूलों की तस्वीरें सांझा हुई हैं। गुरुवार को कुछ स्कूलों में खाद्यान्न वितरण नहीं होने की भी खबर विभाग के पास पहुंची है, जिसके लिए भी 28 मार्च का समय दिया गया हैं।
वर्जन
शासन के आदेश के तहत स्कूल प्रभारियों को स्कूल में दर्ज संख्या के अनुसार ब’चों के घरों तक मध्यान्य भोजन खाद्यान्न पहुंचाया जाना था। इसके लिए आदेश जार किए गए थे। शिक्षक संघ की आपत्ति के बाद बीआरसी को व्यवस्था कराने निर्देश दिए थे। गुरुवार को अधिकांश जगहों पर खाद्यान्न का वितरण किया जा चुका हैं।
आरपी लखेर, डीपीसी