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छतरपुर

महिलाओं को ऑपरेशन के बाद हाथ में उठाकर कराया गया भर्ती, कराहती रहीं महिलाएं

पत्रिका ऑन द स्पॉट- नसबंदी ऑपरेशन के बाद बड़ी लापरवाही- डेढ़ घंटे में ही कर दी छुट्टी, बमुश्किल चलकर ऑटो तक पहुंच पाई महिलाएं, सभी को नहीं मिला वाहन का लाभ, सुबह से हुई परेशानी

छतरपुरDec 11, 2019 / 07:57 pm

Samved Jain

महिलाओं को ऑपरेशन के बाद हाथ में उठाकर कराया गया भर्ती, कराहती रहीं महिलाएं

महिलाओं को ऑपरेशन के बाद हाथ में उठाकर कराया गया भर्ती, कराहती रहीं महिलाएं

छतरपुर. जिला अस्पताल परिसर में बुधवार को लगे नसबंदी शिविर में काफी अव्यवस्थाएं और लापरवाही सामने आईं। यहां महिलाओं ने जहां सुबह से बुलाने के बाद दोपहर तक इंतजार कराया गया, वहीं ऑपरेशन के बाद जमीन पर लेटाने से लेकर उनके घर जाने तक में काफी लापरवाही सामने आई। इस दौरान महिलाएं दर्द से कराहती रहीं। मजबूर अधिकांश महिलाओं को शाम को अपने वाहन से ही वापस लौटना पड़ा।
बुधवार को सुबह 8 बजे से ही महिलाओं का नसबंदी के लिए अस्पताल पहुंचना शुरू हो गया था। राजनगर, सटई और ईशानगर से करीब 50 महिलाओं को नसबंदी के लिए बुलाया गया था। महिलाएं अपने परिजनों और छोटे बच्चों के साथ यहां सुबह 10 बजे पहुंच गईं थीं। महिलाओं के रजिस्ट्रेशन होने के बाद जांच हुई और पहले चरण में 30 महिलाओं को ऑपरेशन के लिए गया। हालांकि, इस दौरान महिलाओं ऑपरेशन के लिए काफी इंतजार करना पड़ा। दोपहर 1 बजे के बाद सर्जन डॉ. सुनील चौरसिया पहुंचे और फिर ऑपरेशन शुरू हुए। दो चरणों में 39 महिलाओं और एक पुरुष का नसबंदी ऑपरेशन किया गया।
छोटे-छोटे बच्चों को संभालते रहे परिजन, नहीं थी बैठने तक की व्यवस्था
अस्पताल के जिस परिसर में शिविर का आयोजन किया गया था। वहां महिलाओं और उनके परिजनों को बैठने तक की व्यवस्था नहीं की गई थी। जिससे सभी सड़क और परिसर में बैठे नजर आए। कुछ महिलाएं गैलरी में ही जमीन पर बैठकर इंतजार करती देखी गईं। सबसे ज्यादा परेशान छोटे बच्चों की माताएं देखी गईं। वह बाहर जमीन पर ही बैठकर बच्चों को संभालती नजर आईं। वहीं महिलाओं के परिजन, बच्चे भी छोटे बच्चों को बाहर जमीन पर बैठकर संभालते रहे। बैठने तक की व्यवस्था न होने के कारण सुबह से ठंड के मौसम में महिलाओं को शाम तक परेशान होना पड़ा। कठोरा गांव से आई फूला अहिरवार ने बताया कि सुबह ८ बजे से बुला लिया है, दोपहर १ बजे तक कुछ नहीं हुआ। बहू राजकुमारी ने कुछ खाया नहीं है, छोटा बच्चा तड़प रहा हैं।
ऑपरेशन के बाद सामने आई बड़ी लापरहवाही
दोपहर 1 बजे के बाद जैसे-तैसे नसबंदी ऑपरेशन शुरू हुए। इसके बाद एक बड़ी लापरहवाही सामने आई। पास ही बने एक कमरे में 15 गद्दे जमीन में बिछाकर यहां महिलाओं को शॉर्ट टाइम भर्ती कराया जाना था। यहां तक स्टे्रचर पर लाई जा रही महिला को काफी दर्द के बाद भी एक कर्मचारी हाथों में उठाकर बिस्तर तक ले जाता हुआ नजर आया। जिससे महिलाओं की तकलीफ और बढ़ती नजर आई। इस बड़ी लापरवाही के संबंध में जब कर्मचारियों से चर्चा की गई तो बताया गया कि स्ट्रेचर अंदर नहीं जा सकता है। यहां एक गद्दे पर दो-दो महिलाओं को लेटाया गया था। अमखेरा गांव से आई रचना यादव ने बताया कि काफी दर्द है, घर जाने की स्थिति में नहीं हैं।
डेढ़ घंटे बाद ही महिलाओं को किया चलता, नहीं मिली वाहन की सुविधा
बहुत दर्द है, पूरा शरीर टूटा जा रहा है। सुबह से पानी की एक बूंद भी नहीं पी। नसबंदी ऑपरेशन के बाद भर्ती की गई हर महिला की यह कराह थी, लेकिन डेढ़ घंटे के बाद ही महिलाओं को घर रवाना किया जाने लगा। महिलाएं उठने की स्थिति में भी नहीं थी, लेकिन उन्हें जाने के लिए कह दिया गया। कुछ महिलाओं को एक जीप से ४ से ५ की संख्या में भरकर भेज दिया गया, लेकिन अधिकांश महिलाओं को उनके परिजन ऑटो व अन्य साधनों से घर ले जाते देखे गए। खुर्द महू गांव की गेंदाबाई ने बताया कि न तो उन्हें किसी ने बताया कि घर भेजने के लिए सरकारी गाड़ी मिलती है और न उन्हें पता है। ऑटो से आए थे, ऑटो से ही जा रहे हैं। हिम्मत तो बोलने तक की नहीं हैं।
39 महिलाओं के ऑपरेशन, 10 को किया वापस
बुधवार को आयोजित शिविर में 39 महिलाओं के नसबंदी ऑपरेशन किए गए। जबकि 10 महिलाओं को बीपी, पल्सरेट कम-बढ़ होने की स्थिति में वापस किया गया हैं। राजनगर की 9, सटई की 6 और ईशानगर की 24 महिलाओं के ऑपरेशन बुधवार को हुए।
वर्जन
कर्मचारियों और व्यवस्थाओं के अभाव में मरीजों को इसी तरह भर्ती कराने की व्यवस्था है। हमारी तरफ से सभी व्यवस्था देने के प्रयास किए गए, लेकिन कोई कमी है तो आगे सुधार किए जाएंगे। लापरवाही जैसा कुछ नहीं हुआ है।
डॉ. सुनील चौरसिया, सर्जन एलटीटी
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