वीरमपुरा में सामग्री लेने किराना दुकान जाते हैं क्वारंटाइन में रुके ग्रामीण
ग्राम वीरमपुरा के स्कूल मे 20 लोगों को रोका गया हैं। यहां हमने देखा कि लोग यहां-वहां हो रहे हैं। स्कूल में रुके विक्रम बासुदेव ने बताया कि वो यह लगभग 6 दिन से रुके हुए हैं। खाना स्वयं ही बनाना पड़ रहा हैं। कोई रसोइया नहीं आता हैं। पहले दिन ही साबुन दिए गए थे जो खत्म हो गए हैं। बट्टू बासुदेव ने बताया कि यहां कोई नहीं रुकता हैं। तेल, साबुन आदि लेने दुकान जाना पड़ता हैं। ऐसे में गांव के लोग भी आपत्ति उठाते है। स्क्ूल में किसी की ड्यूटी लगाई जाए तो कम से कम हमें जो अन्य सामान की जरूरत पड़ती है वो हम पैसा देकर बुला सकते है। इन लोगों के साथ महिलाएं और छोटे-छोटे बच्चे भी हैं। जिनको अन्य सामग्री की भी जरूरत पड़ती हैं।
विधायक को सुनाई थीं समस्याएं
यहां लोगों ने बताया कि एक दिन पहले ही विधायक, तहसीलदार और थाना प्रभारी यहां का दौरा करने आए थे। जिन्हें सभी समस्याओं से अवगत कराया गया था। गांव वालों ने भी आपत्ति ली थी। इसके बाद पानी का टैंकर तो स्कूल में शनिवार से पहुंचने लगा हैं, लेकिन अन्य समस्याओं का निराकरण नहीं हो सका हैं। स्कूल के वॉशरूम में बॉल्टी साबुन तक नहीं हैं। जबकि शौचालय बंद है, जिससे हमें बाहर खेतो में शौच के लिए जाना पड़ता हैं।
कुछ इसी तरह का हाल कसेरा स्कूल में देखने मिला। यहां दो लोगों मानवेन्द्र सिंग और अमरजीत निसाद को रखा गया हैं। उन्होंने बताया कि खाना हमें घर से ही बुलाना पड़ता है। यहां कोई वयवस्था खाने की नहीं है। हम दोनों को एक साबुन दिया गया था, जो आधा-आधा बांट लिया था।अब वह भी खत्म हो गया हैं। जागरा ग्राम में एक आदिवासी परिवार के पती-पत्नी को रोका गया हैं। जो भी इसी तरह समस्या बताते नजर आए। इन समस्याओं के बीच मजबूरी में खुद को स्कूल से बाहर जाने की बात भी बताते नजर आए।