अर्चना सिंह दस साल तक छतरपुर की शहरी सरकार यानि नगरपालिका की अध्यक्ष रही है। अपने मृदुभाषी, सहज स्वभाव के चलते न केवल युवाओं बल्कि बड़े-बुजुर्गो के बीच अपनी विशेष पहचान रखने वाली अर्चना सिंह ने बच्चो, परिवार और समाज के बीच तालमेल बनाकर मां के सेलेब्स स्वरुप को साकार किया है। नगरपालिका व राजनीति जैसे दिनरात काम वाले क्षेत्र में काम करने के साथ अपने बेटे जयदित्य प्रताप सिंह और बेटी राजनंदिनी राजे सिंह की परिवरिश की और उनमें भी समाजसेवा के भाव जागृत किए, ताकि उनका जीवन व व्यक्तित्व की सार्थक आकार ले।
सभ्य परिवार से बनता है सभ्य देश
अर्चना सिंह ने पत्रिका के साथ बातचीत में कहा कि परिवार, समाज की छोटी इकाई है। किसी देश अथवा समाज में जैसे परिवारों की हालत होगी, वैसी ही उस देश अथवा समाज की हालत होगी। अगर परिवार के सदस्य सुसभय या सुशिक्षित होंगे तो वह देश भी अच्छी सभ्यता वाला देश कहा जाएगा। परिवार की महत्वपूर्ण इकाई नारी है। नारी के बिना परिवार की कल्पना भी नहीं कर सकते हैँ। बेटी, पत्नी, मां, बहन हर रूप में नारी का योगदान अमूल्य होता है।
सभ्य परिवार से बनता है सभ्य देश
अर्चना सिंह ने पत्रिका के साथ बातचीत में कहा कि परिवार, समाज की छोटी इकाई है। किसी देश अथवा समाज में जैसे परिवारों की हालत होगी, वैसी ही उस देश अथवा समाज की हालत होगी। अगर परिवार के सदस्य सुसभय या सुशिक्षित होंगे तो वह देश भी अच्छी सभ्यता वाला देश कहा जाएगा। परिवार की महत्वपूर्ण इकाई नारी है। नारी के बिना परिवार की कल्पना भी नहीं कर सकते हैँ। बेटी, पत्नी, मां, बहन हर रूप में नारी का योगदान अमूल्य होता है।
मां के रूप में नारी
मां के रूप में नारी की ममता अद्वितीय मिसाल है। बच्चे के सुख के लिए मां हर प्रकार का त्याग करने के लिए तत्पर रहती है। वह अपनी भूख, प्यास, नींद और आराम को त्यागकर अपने बच्चों और परिवार के सुख के लिए अपना सारा जीवन लगाती है। देखा जाए तो संसार के हर व्यक्ति की रचयिता एक नारी ही है। मां के रूप में नारी का योगदान समाज में अमूल्य होता है। मां-बच्चे की प्रथम गुरू है। बच्चे को अच्छे संस्कार देने में मां की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इतिहास साक्षी है कि विश्व के महान से महान चरित्र जैसे कि बालक धु्रव, वीर शिवाजी, ईश्वरचंद्र विद्यासागर, लालबहादुर शास्त्री, महात्मा गांधी, लाल लाजपत राय, महाराज छत्रसाल को गढऩे में इनकी माताओं का सबसे बड़ा योगदान रहा है।
मां के रूप में नारी की ममता अद्वितीय मिसाल है। बच्चे के सुख के लिए मां हर प्रकार का त्याग करने के लिए तत्पर रहती है। वह अपनी भूख, प्यास, नींद और आराम को त्यागकर अपने बच्चों और परिवार के सुख के लिए अपना सारा जीवन लगाती है। देखा जाए तो संसार के हर व्यक्ति की रचयिता एक नारी ही है। मां के रूप में नारी का योगदान समाज में अमूल्य होता है। मां-बच्चे की प्रथम गुरू है। बच्चे को अच्छे संस्कार देने में मां की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इतिहास साक्षी है कि विश्व के महान से महान चरित्र जैसे कि बालक धु्रव, वीर शिवाजी, ईश्वरचंद्र विद्यासागर, लालबहादुर शास्त्री, महात्मा गांधी, लाल लाजपत राय, महाराज छत्रसाल को गढऩे में इनकी माताओं का सबसे बड़ा योगदान रहा है।