पूल सैंपलिंग के तहत एक वार्ड, मोहल्ला, समुदाय व गांव के कुछ लोगों का रेंडम सैंपल लिया जाता है। फिर इन सैंपल को मिक्स कर जांच की जाती है। जांच रिपोर्ट निगेटिव आने से सभी रहवासियों के कोरोना निगेटिव माना जाता है। अगर मिक्स सैंपल की रिपोर्ट पॉजिटिव आती है, तो फिर सभी सैंपल की अलग-अलग जांच की जाती है। पूल सैंपलिंग और जांच से समय के साथ खर्च की बचत करते हुए कोरोना संक्रमण की पहचान किसी इलाके विशेष में की जाती है।
पूल सैंपलिंग को लेकर जो गाइड लाइन है, उसके मुताबिक कंटेनमेंट एरिया में पूल सैंपलिंग नहीं कराई जाती है। न ही 5 से अधिक मामले आने वाले इलाके में पूल सैपलिंग कराई जाती है। पूल सैंपल केवल उन इलाकों में लिए जाते हैं, जहां संक्रमण के मामले नहीं आए हैं। लेकिन इस इलाके में संक्रमण है या नहीं है, इसकी पुष्टि करने करने के लिए बिना लक्षण वाले लोगों के सैंपल लिए जाते हैं।
कोरोना संक्रमण से सबसे ज्यादा खतरा बुजुर्गो में देखने में आया है। ऐसे में बुजुर्गो में संक्रमण की समय से पहचान कर इलाज करने के मकसद से पूल सैंपलिंग में 50 वर्ष से ज्यादा आयु के लोगों के सैंपल पर जोर दिया जा रहा है। अभी तक आए मामलों में देर से संक्रमण का पता चलने से बुजुर्गो के मामले सबसे ज्यादा बिगड़े हैं। इसलिए बुजुर्गो में कोरोना संक्रमण की पहचान समय से करने पर जोर दिया जा रहा है। अभियान के तहत पहले दिन शहर की चेतगिरी कॉलोनी में प्रशासनिक एवं मेडिकल टीम पहुंची जहां सैंपलिंग की गई। इस मौके पर एसडीएम बीबी गंगेले, डिप्टी कलेक्टर प्रियांशी भंंवर, डिप्टी कलेक्टर राहुल सिलाडिय़ा, तहसीलदार संजय शर्मा सहित स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी-कर्मचारी मौजूद रहे।