छतरपुरPublished: Sep 09, 2018 11:33:03 am
Neeraj soni
घोटाले में शामिल ब्रांच मैनजर, लेखापाल को कर दिया बहाल, ब्रांच मैनेजर को हैडऑफिस किया अटैच
Corruption charges Co operative Maha scam probe decreases
नीरज सोनी
छतरपुर। जिले के सहकारिता में हुए पौने दो करोड़ से अधिक के भ्रष्टाचार के खुलासे के बाद निलंबित किए गए जिला सहकारी बैंक के बड़ामलहरा ब्रांच मैनेजर स्वामीप्रसाद पांडे, लेखापाल रामविशाल पटैरिया और वीरों सोसायटी के प्रबंधक भानूप्रताप अवस्थी उर्फ लल्लू अवस्थी को बहाल कर दिया गया है। वहीं बड़ामलहरा सोसायटी के ब्रांच मैनेजर स्वामीप्रसाद पांडे को बहाल करके हैड ऑफिस जिला सहकारी केंद्रीय बैंक में अचैट कर दिया गया। वहीं डिकौली सोसायटी के प्रबंधक हरिओम अग्निहोत्री को पद से हटाने के लिए आदेश का आज तक पालन नहीं हुआ है। उधर इस घोटाले के बाद गड़बउ़ी करने वाली सोसायटियों का स्पेशल ऑडिट भी अभी तक नहीं हो पाया है। जबकि बड़ामलहरा और डिकौली सहित गबन वाली सभी सोसायटी के साथ ही जिले भर की सोसायटियों का स्पेशल ऑडिट किया जाना था, लेकिन ऑडिट का काम आज तक पूरा नहीं हुआ। कुछ सोसायटियों का ऑडिट कराया जा रहा है, लेकिन वह भी गोपनीय रूप से हो रहा है। इस स्थिति के कारण एक बार फिर से सहकारिता का काम भ्रष्ट चरित्र के लोगों के पास पहुंच गया है।
यह हुआ था सहकारिता का घोटाला :
23 नवंबर 2017 को समिति प्रबंधकों की समीक्षा बैठक के दौरान बीरो समिति, डिकौली समिति व सेंदपा समिति में घोटाले का खुलासा सामने आया था। 11 दिसंबर 2017 को लेखापाल रामविशाल पटैरिया ने समिति में हुए घोटाले की लिस्ट तत्कालीन महाप्रबंधक बाईके सिंह को सौंपी थी। बीरों समिति प्रबंधक भानू प्रताप अवस्थी ने साढ़े 5 करोड, डिकौली सोसायटी के प्रबंधक हरिओम अग्निहेत्री पर एक करोड़, सेंदपा के प्रबंधक जाहर सिंह पर एक करोड़ का घोटाला किए जाने के आरोप लगे थे। वीरों सोसायटी में डीडी बनवाकर खाद उठाने की जगह नगर रुपए निकालकर करीब डेढ़ करोड़ से ज्यादा रुपए निकाल लिए गए थे। जबकि लिमिट ३० लाख तक की होती है। इन लोगों ने लिमिट से ज्यादा शाखा प्रबध्ंाक ने किसानों के खाते में पैसे डाले थे। अभी तक ११ करोड़ रुपए का घोटाला सामने आया। वहीं डिकौली सोसायटी प्रबंधक हरिओम अग्निहोत्री द्वारा अपनी पत्नी विद्या अग्निहोत्री, बेटों और अन्य परिजनों के नाम से 5-5 लाख रुपए निकाले जाने सहित बड़ा घोटाला पकड़ा गया था। इस मामले में 30 दिसंबर को बड़ामलहरा शाखा प्रबंधक स्वामी प्रसाद पांडे व कैशियर कृष्णपाल सिंह को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया था। इस मामले में महाप्रबंधक को भी भोपाल अटैच किया गया। साथ ही छतरपुर में पदस्थ लेखापाल रामविशाल पटैरिया को भी निलंबित कर दिया गया। बीरो समिति में साढ़े 5 करोड़ का घोटाला उजागर हुआ था। समिति प्रबंधक भानू प्रताप अवस्थी ने 2 करोड़ ६७ लाख रुपए जमा कर दिया था। वहीं डिकौली के हरिओम अग्निहोत्री को पद से हटाने की सिफारिश भी की गई थी, लेकिन हरिओम ने अपने प्रभाव का उपयोग करके कोर्ट से स्टे ले लिया था।
टीम बनी, लेकिन नहीं हुआ स्पेशल ऑडिट :
सहकारिता के महाघोटाले के उजागर होने के बाद भोपाल स्तर से आए आदेश के बाद सागर संभाग के संयुक्त आयुक्त सहकारिता ने एक जंबो टीम गठित करके जांच शुरू करा दी थी। २७ फरवरी को सागर संभाग के तीन जिलों के सहकारिता सहायक और निरीक्षकों की ४७ सदस्ययी टीम के २१ दल बनाकर जांच शुरू कराई गई थी। सोसायटियों की जांच के लिए मैदान में भेजने के पहले जिला सहकारी बैंक में गोपनीय बैठक लेकर तत्कालीन प्रभारी जेआर एवं सागर डीआर पीआर काबड़कर ने टीम की बैठक ली थी। बैठक में उन्होंने छह बिंदुओं पर रिपोर्ट तैयार कर जरूरी दिशा-निर्देश दिए थे। उन्होंने कहा कि जिले की वीरों, डिकौली, बड़ामलहरा सहित कुछ सोसायटियों में घोटाला हुआ है, लेकिन इससे पूरी सहकारिता बदनाम हुई है। इसलिए इतिहास में पहली बार इतना बड़ा ऑडिट और जांच कराई जा रही है। लेकिन यह ऑडिट और जांच शुरू होने से पहले सोसायटी के कर्मचारियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल के कारण रुक गई थी। इसके बाद गेहूं खरीदी का काम आ जाने के कारण ऑडिट को टाला जाता रहा। अब अमला गेहूं खरीदी के काम से फ्री हो गया, लेकिन ऑडिट के नाम पर कुछ नहीं हुआ।
इन बिंदुओं पर होना था स्पेशल ऑडिट:
सहकारिता घोटाले की जांच के लिए गठित जंबो टीम को छह बिंदुओं पर हर सोसायटी की पड़ताल करने के निर्देश दिए गए थे।
– भुगतान कैश में हुआ है तो उसका पूरा डिटेल निकालना था।
– सोसायटी के सदस्यों की जो ऋण सीमा बनाई गई है उसके अंदर ऋण दिया गया या फिर ज्यादा ऋण दिया गया।
– सोसायटी बोर्ड ने जो लिमिट बनाई है उस हिसाब से कर्ज दिया गया या नहीं।
– ऋण के लिए जो दस्तावेज लगाए गए हैं उनका भी सत्यापन करना था ताकि वे सही है या गलत यह पता चल सके।
– कर्ज लेने वाले सदस्यों, किसानों का भौतिक सत्यापन भी किया जाना था।
– समितियों के बचत बैंक खाते की जांच और ऑडिटिंग भी किया जाना था।
जांच और ऑडिट के लिए बनाए गए थे २१ दल :
संयुक्त आयुक्त सहकारिता सागर ने जिला सहकारी केंद्रीय बैंक से संबद्ध पैक्स संस्थाओं की विशेष जांच और ऑडिट के लिए 21 दल बनाए थे। इस दल में छतरपुर, पन्ना, सागर, दमोह ४७ अंकेक्षण एवं सहायक निरीक्षक शामिल किए गए थे। इन दलों को जिले की ९७ सोसायटियों मेंं २८ फरवरी से १३ अप्रैल तक भौतिक सत्यापन कर रिकॉर्ड की जांच करके अपनी रिपोर्ट डीआर को देनी थी। लेकिन जैसे ही यह टीम जांच के लिए छतरपुर पहुुंची, सहकारिता के कर्मचारियों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी थी। इसके बाद गेहूं खरीदी का काम आ गया। तय किया गया था कि खरीदी के काम से निपटने के बाद फिर से स्पेशल ऑडिट का काम पूरा होगा। लेकिन अब तक इस दिशा में कोई पहल नहीं हुई।
१५ दिन में पूरा होगा गड़बड़ी वाली सोसायटियों का ऑडिट :
डिकौली, वीरों, सेंदपा और बड़ामलहरा सेवा सहकारी समितियों में हुई गड़बडिय़ों के मामले में स्पेशल ऑडिट कराने के लिए 15 दिन का समय दिया गया है। अन्य सभी सोसायटियों में भी जल्दी ऑडिट कराया जाएगा। इसके बाद जो भी भ्रष्टाचार और गड़बड़ी के दोषी मिलेंगे, उनके खिलाफ एफआइआर कराई जाएगी और उन्हें दंडित किया जाएगा।
– जगदीश कनौज, जेआर, सागर